Other Articles

हरतालिका तीज व्रत –

170views

हरतालिका तीज व्रत

भाद्रपद मास की शुक्ल पक्ष की तृतीया को विवाहित महिलाएॅ तीज का व्रत करती हैं। इस दिन शंकर-पावर्ती की बालू की मूर्ति बनाकर पूजन किया जाता है। सुदंर वस्त्रों कदली स्तंभों से गृह को सजाकर नाना प्रकार के मंगल गीतों से रात्रि जागरण कर शंकरजी तथा पावर्ती की पूजा की जाती हैं। निर्जला व्रत करने तथा पूजन आदि से पावर्ती के समान सुखपूर्वक पति रमण कर शिवलोक प्राप्ति की कामना की जाती है।
कथा –
इस व्रत के माहात्म्य की कथा भगवान शंकर ने पार्वती को उनके पूर्व जन्म का स्मरण कराने हेतु इस प्रकार कहीं थी – एक बार तुमने हिमालय पर गंगा तट पर अपनी बाल्यावस्था में बारह वर्ष की आयु में अधोमुखी होकर घोर तप किया। तुम्हारी कठोर तपस्या से तुम्हारे पिता को बड़ा क्लेश होता था। एक दिन तुम्हारी तपस्या तथा तुम्हारे पिता के क्लेश को देखकर नारद जी तुम्हारे पिता से कहा कि भगवान विष्णु तुम्हारी कन्या से विवाह करना चाहते हैं। तुम्हारे पिता सहर्ष तैयार हो कर विवाह की हामी दे दी। तुम्हें ज्ञात होने पर तुमने विवाह से अनिच्छा जताकर जंगल में जाकर घोर तप किया और भाद्रपद की तृतीया को हस्त नक्षत्र में रेत का शिवलिंग बनाकर पूजन कर रात्रि जागरण कर मुझसे अपनी पत्नी बनाने का वचन ले लिया। तुम्हे वचन देकर मैं कैलाश पर्वत पर चला गया। तुमने अपनी सहेली के साथ व्रत का पारण करने हेतु पूजन की सभी सामग्री नदी में प्रवाहित कर बचे द्रव से अपने व्रत का पारण किया। तभी तुम्हारे पिता तुम्हे खोजते हुए जंगल में पहुॅचे और वापस घर ले जाने हेतु प्रेरित हुए। तुम्हारे बताने पर की तुम्ने मुझे पति रूप में वरण कर लिया है। तुम्हारे पिता वापस चले गए। और तभी सभी देवताओं ने वरदान दिया कि जो भी स्त्री हरतालिका का व्रत करेगी उसे अचल सुहाग का वरदान प्राप्त होगा।

Pt.P.S Tripathi
Mobile no-9893363928,9424225005
Landline no-0771-4035992,4050500
Feel Free to ask any questions in