भाग्य या कर्म कौन बलि?????
भाग्य या कर्म कौन बलि?????
भारतीय मान्यता है कि इंसान के 12 वर्ष अर्थात् कालपुरूष के भाग्य के एक चक्र के पूरा होने के उपरांत क्रियामाण का दौर शुरू हो जाता है जोकि जीवन के अंत तक चलता है। अब व्यक्ति की षिक्षा उसकी रूचि सामाजिक स्थिति पारिवारिक तथा निजी परिस्थिति पसंद नापसंद, प्रयास तथा उसमें सकाकरात्मक या नाकारात्मक सोच से व्यक्ति का क्रियामाण उसके जीवन को प्रतिकूल या अनुकूल स्थिति हेतु प्रभावित करता है अतः पुरूषार्थ या क्रियामाण कर्म ही संचित होकर प्रारब्ध बनता है अतः जीवन के सिर्फ कर्म के आधार पर नहीं वरन् कर्म और भाग्य के आधार पर निर्धारित किया जा सकता है जोकि कुंडली के पंचम, नवम और दषम स्थान से देखा जाता है इसमें प्रयास का स्तर, मनोभाव या सहयोग कि स्थिति देखना भी आवष्यक होता है जोकि कुंडली के अन्य भाव से निर्धारित होता है अतः मानव जीवन में भाग्य का भी अहम हिस्सा होता है…..
Pt.P.S Tripathi
Mobile no-9893363928,9424225005
Landline no-0771-4035992,4050500
Feel Free to ask any questions in