कालसर्प दोष से हैं परेशान तो नागपंचमी पर करें ये उपाय……
हर साल श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को नाग पंचमी का पर्व मनाया जाता है। इस बार ये पर्व 9 अगस्त, शुक्रवार को मनाया जाएगा। इस दिन नागदेवता की पूजा मुख्य रूप से की जाती है। विद्वानों के अनुसार, इस दिन कुछ खास उपाय किए जाएं तो कालसर्प दोष के अशुभ असर को कम किया जा सकता है। आगे जानें क्या होता है कालसर्प दोष और इससे बचने के लिए नागपंचमी पर कौन-से उपाय करें…
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कालसर्प दोष ?
ज्योतिष के अनुसार कुंडली में कालसर्प दोष को बहुत ही हानिकारक बताया गया है। जब कुंडली में सभी ग्रह राहु और केतु के मध्य होते हैं, तब कुंडली में कालसर्प योग का निर्माण होता है। काल’ समय को कहते हैं और सर्प का मतलब सांप होता है. यानि सांप ने काल में कुंडली लगा ली है. इससे व्यक्ति के सब कार्य अटक जाते हैं. जीवन में कई दुख और बाधाएं आ जाती हैं. ज्योतिष शास्त्र में राहु को सांप का मुख और केतु को सांप की पूंछ माना गया है. जिन जातकों की कुंडली में कालसर्प दोष होता है, उनकी कुंडली से राहु और केतु अच्छे प्रभाव को नष्ट कर देते हैं. सिर्फ इतना ही नहीं अगर काफी कोशिशों के बाद भी संतान का सुख नहीं मिल रहा या संतान की उन्नति नहीं हो रही. आपकी शादी की उम्र हो चुकी है पर शादी नहीं हो रही, वैवाहिक जीवन में तनाव या बार-बार चोट-दुर्घटनाएं हो रही हैं. अगर आप लगातार ऐसी परेशानियों का सामना कर रहे हैं तो आपको तुरंत एक बार अपनी कुंडली जरूर दिखा लेनी चाहिए. हो सकता है कि आपकी कुंडली में कालसर्प योग की वजह से ये सारी घटनाएं हो रही हैं.
ऐसे करें पूजा
श्री महाकाल धाम अमलेश्वर के सर्वराकार पंडित प्रियाशरण त्रिपाठी के मुताबिक नाग पंचमी के पुण्य मुहूर्त पर सुबह जल्दी उठकर स्नान-ध्यान आदि से निवृत हो जाएं और भगवान के सामने व्रत का संकल्प लें। पूजा घर में एक साफ चौकी पर नाग देवता का चित्र या मिट्टी से बने हुए नाग देवता की मूर्ति स्थापित करें। इसके बाद नाग देवता को हल्दी, रोली, चावल, फूल आदि चीज चढ़ाएं। फिर दूध घी व चीनी मिलाकर अर्पित करें। इसके बाद पूजा के अंत में नाग पंचमी व्रत कथा का श्रवण करें और आरती के साथ पूजा का समापन करें। कहा जाता है कि नाग पंचमी पर्व के दिन नाग देवता की पूजा करने से और उन्हें दूध पिलाने से अक्षय फल की प्राप्ति होती है।
नागदेवता की पूजा करें
नागपंचमी पर अपने आस-पास स्थित किसी नाग मंदिर में जाकर नागदेवता की पूजा करें। गाय के दूध से अभिषेक करें, सफेद फूल चढाएं। इस उपाय से नागदेवता की कृपा आपके ऊपर बनी रहेगी और कालसर्प दोष का प्रभाव भी कम होगा।
नवनाग स्त्रोत का पाठ करें
नाग देवता को प्रसन्न करने के लिए कईं मंत्र और स्तुतियों की रचना की गई है। नवनाग स्त्रोत भी इनमें से एक है। नागपंचमी की सुबह स्नान आदि करने के बाद सफेद कपड़े पहनकर नवनाग स्त्रोत का पाठ करें। ये पाठ कम से कम 11 या 21 बार करें। संभव हो तो किसी विद्वान की सलाह भी लें।
चांदी के नाग-नागिन प्रवाहित करें
नागपंचमी पर चांदी से बने नाग-नागिन का जोड़ा लेकर किसी नदी किनारे जाएं। यहां बैठकर इसकी विधि-विधान से पूजा करें। संभव हो तो किसी इसके लिए किसी विद्वान की सहायता भी ले सकते हैं। पूजा के बाद चांदी के नाग-नागिन के जोड़े को नदी में प्रवाहित कर दें।
कालसर्प यंत्र की पूजा करें
नागपंचमी के मौके पर पर कालसर्प यंत्र की स्थापना अपने घर के पूजा स्थान पर करें। रोज इसकी पूजा करें। किसी भी काम के लिए घर से निकलने से पहले इसके दर्शन जरूर करें। इसके आपके जीवन की निगेटिविटी दूर होगी और अटके काम फिर से बनने लगेंगे।
कालसर्प दोष पूजा
पंडित प्रियाशरण त्रिपाठी जी ने बताया है कि अमलेश्वर श्री महाकाल धाम मंदिर में विगत 20 वर्षों से कालसर्प दोष से मुक्ति पाने के लिए पूजा कराएं जा रहे है , जो 3 दिनों तक चलती है .इसके आलावा नारायण बलि , नागबली , पितृ दोष ,शनि शांति ,अर्क & कुम्भ विवाह इन तरह की सभी कर्मकांडी पूजा कराएं जा रहे है , नागपंचमी में इस पूजा को करने का ज्यादा महत्व है. आम दिनों में ये पूजा हवन 3 दिन तक करवाया जाता है, आप भी इस पूजा में सामिल होना चाहते है तो इस महीने 15 ,16 ,17 अगस्त 2024 को पूजा में सामिल हो सकते है और अपनी हर दोषों से मुक्ति पाएं , संपर्क करें पंडित प्रियाशरण त्रिपाठी जी से कांटेक्ट नंबर +91 9893363928 ,9753039055