
सनातन धर्म में तुलसी को केवल एक पौधा नहीं, बल्कि माता तुलसी और भगवान विष्णु की प्रिय माना गया है। जिस प्रकार गले में धारण की जाने वाली रुद्राक्ष माला का विशेष महत्व है, उसी प्रकार तुलसी की कंठी भी आध्यात्मिक, मानसिक और शारीरिक दृष्टि से अत्यंत शुभ मानी गई है।
शास्त्रों में कहा गया है कि
“तुलसी काष्ठ से बनी कंठी धारण करने वाला व्यक्ति यमलोक के भय से मुक्त हो जाता है।”
परंतु तुलसी की कंठी धारण करने के कुछ नियम, मर्यादाएँ और आचरण भी बताए गए हैं।
तुलसी की कंठी क्या होती है?
तुलसी की सूखी लकड़ी (काष्ठ) से बनी माला या गले में पहनने योग्य हार को तुलसी कंठी कहा जाता है। इसे प्रायः कंठ (गले) में धारण किया जाता है, इसलिए इसे कंठी कहा गया।
यह दो प्रकार की होती है—
- एक मुखी/एक दाना कंठी
- माला रूप में तुलसी कंठी
शास्त्रों में तुलसी कंठी का महत्व
शास्त्रों के अनुसार, तुलसी कंठी (माला) धारण करना अत्यंत शुभ माना जाता है, जो भगवान विष्णु और कृष्ण को प्रिय है; यह नकारात्मक ऊर्जा, पापों, बुरे सपनों और यमदूतों से रक्षा करती है, शरीर को शुद्ध करती है, सात्विक गुण बढ़ाती है, तथा पुण्य कर्मों (जैसे पितृ/देवता पूजा) का फल करोड़ों गुना बढ़ा देती है, जिससे व्यक्ति का स्वभाव, स्वास्थ्य (हृदय/फेफड़े) सुधरता है और उसे आध्यात्मिक उन्नति मिलती है, क्योंकि यह भगवान की कृपा का पात्र बनाती है
तुलसी की कंठी पहनने के प्रमुख लाभ
🔹 1. आध्यात्मिक लाभ
- भगवान विष्णु और श्रीकृष्ण की विशेष कृपा
- भक्ति में स्थिरता
- मन की चंचलता में कमी
- ध्यान और जप में एकाग्रता
🔹 2. नकारात्मक ऊर्जा से रक्षा
- बुरी नजर
- नकारात्मक शक्तियाँ
- तंत्र-मंत्र प्रभाव
- भय और अनजानी आशंकाएँ
🔹 3. मानसिक लाभ
- तनाव कम होता है
- क्रोध और चिड़चिड़ापन घटता है
- आत्मविश्वास बढ़ता है
🔹 4. स्वास्थ्य लाभ
- गले से संबंधित समस्याओं में राहत
- प्रतिरोधक क्षमता में वृद्धि
- शुद्ध वायु तरंगों का प्रभाव

तुलसी की कंठी पहनने के नियम
तुलसी कंठी साधारण आभूषण नहीं है, इसलिए इसे पहनते समय कुछ धार्मिक नियमों का पालन आवश्यक है।
✅ 1. शुद्धता का विशेष ध्यान
- रोज स्नान के बाद पहनें
- शरीर और मन दोनों से शुद्ध रहें
- नशा, मांसाहार से दूर रहें
✅ 2. सही दिन और समय
- एकादशी
- गुरुवार
- कार्तिक मास
- प्रातः ब्रह्म मुहूर्त सर्वोत्तम
✅ 3. मंत्र के साथ धारण करें
तुलसी कंठी पहनते समय यह मंत्र बोलें—
“ॐ नमो भगवते वासुदेवाय”
या
“ॐ श्री तुलस्यै नमः”
✅ 4. जमीन पर न रखें
- तुलसी कंठी का अपमान न करें
- टूट जाए तो गंगा जल में प्रवाहित करें
तुलसी कंठी पहनते समय क्या न करें
- शौचालय या स्नानघर में उतारकर नीचे न रखें
- नशा, मांस, शराब सेवन करते समय न पहनें
- झूठ, छल, हिंसा जैसे कर्मों से बचें
- अपवित्र अवस्था में स्पर्श न करें
कौन लोग तुलसी की कंठी पहन सकते हैं?
✔️ 1. स्त्री और पुरुष
- विवाहित
- अविवाहित
- वृद्ध
- युवा
✔️ 2. बच्चे
- 5 वर्ष के बाद
- संस्कार और सुरक्षा हेतु लाभकारी
✔️ 3. गृहस्थ
- पारिवारिक जीवन में शांति
- कलह में कमी
✔️ 4. साधक और भक्त
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जप, तप, भजन करने वालों के लिए श्रेष्ठ
कौन नहीं पहन सकता या सावधानी रखे
- जो व्यक्ति नित्य मांसाहार करता हो
- शराब, तंबाकू का सेवन करता हो
- तुलसी को केवल फैशन समझता हो
ऐसे लोग पहले आचरण सुधारें, फिर धारण करें।

तुलसी कंठी से जुड़े विशेष उपाय
🌟 1. ग्रह दोष शांति हेतु
- गुरुवार को तुलसी कंठी धारण करें
- गुरु दोष में विशेष लाभ
🌟 2. विवाह बाधा के लिए
- तुलसी माता की पूजा
- 108 बार विष्णु मंत्र जप
- कंठी धारण करें
🌟 3. भय और नकारात्मकता दूर करने के लिए
- काली तुलसी की कंठी
- मंगलवार या शनिवार को धारण करें
तुलसी कंठी और कर्म का संबंध
शास्त्र कहते हैं—
“तुलसी कंठी धारण करने वाला व्यक्ति स्वतः सात्विक बन जाता है।”
यह व्यक्ति को—
- गलत कर्म से रोकती है
- आत्मसंयम सिखाती है
- धर्म के मार्ग पर ले जाती है
तुलसी कंठी से जुड़ी भ्रांतियाँ
❌ “यह सिर्फ वैष्णव पहन सकते हैं”
➡️ गलत, कोई भी श्रद्धालु पहन सकता है।
❌ “महिलाएँ नहीं पहन सकती”
➡️ पूर्णतः गलत, महिलाएँ भी धारण कर सकती हैं।
❌ “यह ताबीज जैसा है”
➡️ नहीं, यह आध्यात्मिक संस्कार है।
निष्कर्ष
तुलसी की कंठी केवल गले में पहनने की वस्तु नहीं, बल्कि आस्था, संस्कार और सुरक्षा का प्रतीक है। यदि इसे सही नियम, श्रद्धा और शुद्ध आचरण के साथ धारण किया जाए, तो यह—
- जीवन में शांति
- मन में भक्ति
- और आत्मा को मोक्ष की ओर ले जाने वाला मार्ग बनती है।





