
गणपति जी को मोदक क्यों प्रिय है? इसके पीछे का अद्भुत राज…!
हिंदू धर्म में भगवान गणेश—बुद्धि, सिद्धि, विवेक और सफलता के देवता माने जाते हैं। हर शुभ कार्य की शुरुआत उनके नाम से होती है। लेकिन गणपति बप्पा के एक और विशेष रूप का वर्णन शास्त्रों में मिलता है—वह है मोदक प्रेम।
गणेश जी को मोदक सबसे प्रिय भोग माना जाता है। उनके हाथ में रखे मोदक के प्रतीक को “ज्ञान का अमृत-पात्र” तक कहा गया है।
1. मोदक का आध्यात्मिक अर्थ – “ज्ञान का प्रतीक”
शास्त्रों के अनुसार मोदक का आकार ऊपर से संकरा और नीचे से चौड़ा होता है। यह आकार हमें एक गहरा संदेश देता है—
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ऊपर की संकीर्ण चोटी एकाग्रता का प्रतीक
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नीचे का चौड़ा भाग विस्तृत ज्ञान का संकेत
जिस प्रकार साधना की शुरुआत एक छोटी-सी एकाग्रता से होती है और धीरे-धीरे वह ज्ञान-विस्तार बन जाती है—मोदक ठीक वही रूप दर्शाता है।
इसलिए मोदक को ज्ञान का स्वरूप माना गया और बुद्धि के देवता गणेश को यह अत्यंत प्रिय है।
2. पुराणों की कथा – गणेश जी ने ज्ञान का वास्तविक अर्थ सिद्ध किया
एक बहुत प्रसिद्ध कथा आती है—
एक बार शिवजी और माता पार्वती ने अपने दोनों पुत्रों—गणेश और कार्तिकेय—की परीक्षा लेने के लिए एक चुनौती दी।
चुनौती थी—
“जो तीनों लोकों का सबसे पहले परिक्रमा करेगा, उसे मोदक का दिव्य फल मिलेगा।”
कार्तिकेय तुरंत अपने वाहन मोर पर बैठकर तीनों लोकों की परिक्रमा करने निकल पड़े।
लेकिन गणपति जी क्या करते हैं?
उन्होंने माता-पिता के चारों ओर तीन बार परिक्रमा कर ली और कहा—
“मेरे लिए आप दोनों ही तीनों लोक के समान हैं।”
उनकी बुद्धि और भक्ति से प्रसन्न होकर शिव-पार्वती ने मोदक का दिव्य-फल उन्हें प्रदान किया।
और तभी से यह माना गया कि—
गणेश जी को मोदक सर्वाधिक प्रिय है।
यह कथा बताती है कि मोदक बुद्धि, श्रद्धा और भक्ति की विजय का प्रतीक है।
3. मोदक का छिपा विज्ञान – मन और शरीर को संतुलित करने वाला भोग
यदि हम मोदक की सामग्री देखें—
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चावल या गेहूं का आटा
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नारियल
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गुड़
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घी
ये सभी तत्व बेहद पवित्र और ऊर्जा देने वाले हैं।
शास्त्रों में इनका गुणधर्म बताया गया है—
1) गुड़ – मानसिक शांति देता है
गुड़ को सत्वगुणी आहार माना गया है। यह शरीर की ऊर्जा बढ़ाता है और तू्रंत शक्ति देता है।
2) नारियल – पवित्रता और शीतलता
नारियल को “श्रीफल” कहा जाता है, जो शुभ कार्यों में उपयोग होता है। यह बुद्धि और स्थैर्य दोनों प्रदान करता है।
3) घी – ओज बढ़ाता है
घी को आयुर्वेद में मेधा यानी बुद्धि बढ़ाने वाला बताया गया है।
4) आटा – सादगी और संतुलन
मोदक का बाहरी आवरण साधारण होता है, जो संतुलन और सरल जीवन का प्रतीक है।
इसलिए मोदक एक ऐसा भोग है जिसमें—
ऊर्जा + पवित्रता + शांति + बुद्धि का अद्भुत मेल
मौजूद है, जो गणपति जी के स्वरूप से पूरी तरह मेल खाता है।
4. “मोदक” शब्द का रहस्य – आनंद का प्रतीक
संस्कृत में “मोदक” शब्द ‘मोद’ से बना है।
और ‘मोद’ का अर्थ है—
आनंद, प्रसन्नता, खुशी।
मोदक का वास्तविक अर्थ ही है—
“जिसे खाने से आनंद प्राप्त हो।”
गणेश जी को खुशियों के देवता माना जाता है—
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वह विघ्नहर्ता हैं
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मंगलकर्ता हैं
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शुभता और समृद्धि के दाता हैं
इसलिए उनका भोग भी वही है जो खुशी और प्रसन्नता का प्रतीक है।
5. गणपति का पौराणिक स्वरूप – पेटू और उदार
गणेश जी का बड़ा पेट सिर्फ शारीरिक प्रतीक नहीं है। यह दर्शाता है कि—
“वह संसार के सभी सुख-दुख को धैर्यपूर्वक पचा लेते हैं।”
मोदक उस आनंदमय जीवन-दर्शन का प्रतीक है, जिसे गणपति जी स्वीकार करते हैं।
मोदक को कहा गया—
“आनंद का ग्रास”
जो गणेश जी की उदारता और संतुलित जीवन-दृष्टि से पूरी तरह मेल खाता है।

6. सिद्धिविनायक परंपरा – 21 मोदक का महत्व
आप अक्सर सुनते हैं कि गणेश जी को 21 मोदक चढ़ाए जाते हैं।
इसके पीछे भी रहस्य है—
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5 इंद्रियाँ
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5 कर्मेंद्रियाँ
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5 ज्ञानेंद्रियाँ
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5 प्राण
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1 मन
इन सबका योग 21 होता है।
मोदक का भोग चढ़ाने का संदेश यह है कि—
“जीवन के हर अंग को शुद्ध और संयमित करो।”
7. गणपति के प्रतीक में मोदक – सफलता का रहस्य
गणेश जी की मूर्ति में अक्सर मोदक बाईं हथेली में या सूंड में दिखाया जाता है।
यह दर्शाता है कि—
“वास्तविक आनंद (मोदक) केवल बुद्धि और विवेक से ही प्राप्त होता है।”
मोदक यहां एक आत्मिक उपलब्धि, एक जीवन-लक्ष्य का भी प्रतीक है।
8. ब्रह्मांडीय ऊर्जा का प्रतिनिधि – मोदक का त्रिकोणीय आकार
कुछ परंपराओं में मोदक को त्रिकोणीय माना गया है।
त्रिकोण प्रतीक है—
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सृष्टि (Creation)
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स्थिति (Preservation)
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संहार (Destruction)
ये तीनों शक्तियाँ गणेश जी में समाहित हैं।
इसलिए मोदक को ब्रह्मांडिय ऊर्जा का प्रतीक माना जाता है, जो गणपति जी को प्रिय है।
9. भक्त और भगवान का संबंध – सरल भोग, गहरी भावना
गणेश जी को लड्डू और मोदक इसलिए भी प्रिय माने गए क्योंकि यह—
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सरल है
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शुद्ध है
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घर में बनाए जा सकते हैं
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किसी भी व्यक्ति के लिए उपलब्ध है
गणपति जी सरलता के देवता हैं।
जहां भोग में दिखावा न हो, सिर्फ भावना हो—उन्हें वही पसंद है।
मोदक भोग संदेश देता है—
“ईश्वर भावना का भूखा है, भोज्य का नहीं।”
निष्कर्ष – मोदक गणपति जी का सिर्फ भोग नहीं, जीवन-दर्शन है
मोदक सिर्फ एक मिठाई नहीं है।
यह—
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ज्ञान का प्रतीक
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आनंद का संदेश
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भक्ति की विजय
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सरलता का दर्शन
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ऊर्जा का रहस्य
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विवेक का स्वरूप
सब कुछ सम्मिलित रूप से दर्शाता है।
और सबसे महत्वपूर्ण—
गणेश जी का मोदक प्रेम हमें यह सिखाता है कि जीवन में वास्तविक “आनंद” (मोदक) वही पाता है, जो बुद्धि, भक्ति और सादगी को साथ लेकर चलता है।





