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जानें पूजा में यंत्रों का महत्व क्या है ?

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जानें पूजा में यंत्रों का महत्व क्या है ?

भारतीय संस्कृति में पूजा केवल भगवान की आराधना नहीं, बल्कि ऊर्जा, श्रद्धा और साधना का अद्भुत संगम है। पूजा के दौरान प्रयोग होने वाले मंत्र, पूजा सामग्री और अनुष्ठानिक विधियाँ मन एवं पर्यावरण दोनों को दिव्य बनाती हैं। इन्हीं अनुष्ठानों का एक शक्तिशाली हिस्सा है—यंत्र

यंत्र केवल धातु पर बनी आकृति नहीं होता; यह ब्रह्मांडीय ऊर्जा का एक केंद्र, एक माध्यम और एक शक्तिपुंज है। ज्योतिष और तांत्रिक शास्त्र दोनों मानते हैं कि पूजा में यंत्रों का प्रयोग जीवन में अत्यधिक सकारात्मक परिवर्तन ला सकता है।

1. यंत्र क्या है?

यंत्र एक पवित्र ज्यामितीय संरचना है, जिसमें दिव्य शक्तियों का वास माना जाता है।
यह एक ऐसा उपकरण (Tool) है जो—

  • ऊर्जा को आकर्षित करता है

  • उसे स्थिर करता है

  • और साधक तक पहुंचाता है

यंत्र में मंत्र, आकृति और ऊर्जा तीनों का संगम पाया जाता है।

यंत्र = मंत्र + शक्ति + आकृति

पुराणों में लिखा है कि जहां यंत्र की स्थापना होती है, वहां देवता का निवास होता है।

2. पूजा में यंत्रों का महत्व – क्यों इतने आवश्यक हैं?

पूजा में यंत्र का उपयोग सिर्फ दिखावे के लिए नहीं, बल्कि उसके पीछे गहरा वैज्ञानिक और आध्यात्मिक सिद्धांत है।

(1) यंत्र ऊर्जा को आकर्षित करते हैं

हर यंत्र विशिष्ट प्रकार की ऊर्जा को खींचकर उसे अपने अंदर संग्रहित करता है।
जैसे—

  • श्री यंत्र → धन और लक्ष्मी की ऊर्जा

  • महामृत्युंजय यंत्र → शिव की शक्ति

  • कुबेर यंत्र → संपत्ति वृद्धि

  • नवग्रह यंत्र → ग्रहों की शुभ ऊर्जा

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पूजा के दौरान यह ऊर्जा धीरे-धीरे वातावरण में फैलने लगती है।

(2) यंत्र घर की नकारात्मक शक्ति को निष्क्रिय करते हैं

यंत्र अपने आसपास ऊर्जा का एक सुरक्षा कवच (Energy Shield) बना देता है।
इसके प्रभाव से—

  • बुरी नजर

  • काली शक्ति

  • नकारात्मक ऊर्जा

  • अवसाद

  • मानसिक तनाव
    धीरे-धीरे समाप्त हो जाते हैं।

(3) यंत्र मन को एकाग्र करते हैं

पूजा में मन बहुत जल्दी भटकता है।
यंत्र का केंद्र बिंदु (Bindu) मन को स्थिर करता है।
इसे “ध्यान बिंदु” कहा जाता है।

जब मन स्थिर होता है तो—
✔ पूजा का लाभ कई गुना बढ़ जाता है
✔ मंत्र सशक्त होता है
✔ आत्मविश्वास बढ़ता है
✔ मन में शांति आती है

(4) मंत्रोच्चार को प्रभावशाली बनाते हैं

यंत्र के बिना मंत्र अधूरा माना जाता है।

मंत्र + यंत्र = शक्तिशाली अनुष्ठान

यंत्र मंत्र की ऊर्जा को संग्रहित कर उसे बाहर फैलाता है।
जैसे—

  • श्री यंत्र के सामने लक्ष्मी मंत्र का जप कई गुना प्रभाव देता है

  • महामृत्युंजय यंत्र के सामने जप रोग नाशक बन जाता है

(5) पूजा की दिव्यता कई गुना बढ़ जाती है

यंत्र घर के वातावरण को पावन बनाता है।
उसकी उपस्थिति मात्र से—

  • घर में सकारात्मकता

  • परिवार में समरसता

  • मन में प्रसन्नता

  • रिश्तों में मिठास

  • कार्यों में सफलता

इन सबका प्रभाव स्वतः बढ़ जाता है।

3. यंत्र कैसे काम करता है?

(1) Sacred Geometry – दिव्य ज्यामिति

यंत्र में जो रेखाएँ, त्रिकोण, वृत्त और कमल की पंखुड़ियाँ बनती हैं, वह साधारण आकृति नहीं होती।

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हर आकृति ऊर्जा को नियंत्रित करती है—

  • ऊर्ध्व त्रिकोण → शक्ति, इच्छा (Agni Tattva)

  • अधो त्रिकोण → शांति, सौम्यता (जल तत्व)

  • वृत्त → अनंत ऊर्जा

  • चौकोर → स्थिरता

  • षट्कोण → संतुलन

यह “कोस्मिक कोड” की तरह काम करता है।

(2) Bindu – ऊर्जा का जन्म स्थान

हर यंत्र का केंद्र बिंदु सबसे महत्वपूर्ण होता है।
यही वह स्थान है जहां से—

  • ऊर्जा उत्पन्न होती है

  • फैलती है

  • साधक तक पहुंचती है

इसे “Brahma Bindu” कहा गया है।

(3) धातु का विज्ञान

यंत्र तांबा, चांदी, सोना या पंचधातु में बनते हैं।
ये धातु ऊर्जा को संचित करने की क्षमता रखते हैं।
इसलिए यंत्र तुरंत सक्रिय हो जाता है।

4. पूजा में प्रयुक्त मुख्य यंत्र और उनके लाभ

1. श्री यंत्र

पूजा में सबसे लोकप्रिय यंत्र।
लाभ:

  • धन लाभ

  • सौभाग्य

  • विवाह में सफलता

  • व्यापार वृद्धि

2. कुबेर यंत्र

धन के देवता कुबेर का आशीर्वाद।
लाभ:

  • रोकड़ा धन

  • व्यापार में उन्नति

  • घर में समृद्धि

3. नवग्रह यंत्र

सबसे शक्तिशाली यंत्रों में एक।
लाभ:

  • ग्रह दोष समाप्त

  • मन की शांति

  • विवाह/नौकरी की रुकावट दूर

4. महामृत्युंजय यंत्र

भगवान शिव की अनंत शक्ति।
लाभ:

  • रोग निवारण

  • भय समाप्त

  • आयु वृद्धि

5. वास्तु दोष निवारण यंत्र

घर की गलत ऊर्जा को ठीक करता है।
लाभ:

  • नकारात्मकता हटाता है

  • विवाद खत्म

  • सुख-शांति

5. पूजा में यंत्रों का उपयोग कैसे करें?

(1) यंत्र की शुद्धि करें

  • गंगाजल

  • चंदन

  • फूल

यंत्र को पवित्र करें।

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(2) सही दिशा में रखें

  • श्री यंत्र → पूर्व/उत्तर

  • कुबेर यंत्र → उत्तर

  • नवग्रह यंत्र → पूजाघर

(3) दीपक जलाएँ

यंत्र के सामने दीपक जलाने से ऊर्जा सक्रिय होती है।

(4) मंत्र जप करें

108 बार संबंधित मंत्र का जप करें।
जैसे—
ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं महालक्ष्म्यै नमः

(5) प्रतिदिन कुछ क्षण ध्यान करें

यंत्र के बिंदु पर दृष्टि केंद्रित करें।
मन शांत और ऊर्जा सशक्त होती है।

6. पूजा में यंत्र रखने से होने वाले 11 प्रमुख लाभ

  1. नकारात्मक ऊर्जा समाप्त

  2. धन का आगमन

  3. रिश्तों में मिठास

  4. नौकरी-व्यापार में सफलता

  5. मानसिक तनाव कम

  6. बीमारी में सुधार

  7. ग्रह दोष शांत

  8. घर में शुभ ऊर्जा बढ़ती

  9. साधक की मनोकामना पूर्ण

  10. ध्यान और स्मरणशक्ति बढ़ती

  11. जीवन में सौभाग्य का वास

7. पूजा में यंत्र उपयोग करते समय सावधानियाँ

  • गंदे हाथों से यंत्र न छुएँ

  • टूटा या खरोंच वाला यंत्र न रखें

  • यंत्र को पैरों के पास न रखें

  • रोज कम से कम 2 मिनट ध्यान अवश्य करें

  • यंत्र को कभी उल्टा न रखें

  • गलत दिशा में यंत्र लगाने से समस्याएँ बढ़ सकती हैं

निष्कर्ष

पूजा में यंत्रों का महत्व केवल धार्मिक या आध्यात्मिक नहीं, बल्कि ऊर्जा विज्ञान पर आधारित है। यंत्र घर और साधक दोनों को ब्रह्मांडीय सकारात्मक ऊर्जा से जोड़ते हैं। यह ऊर्जा—
✔ धन
✔ स्वास्थ्य
✔ सौभाग्य
✔ शांति
✔ सफलता
✔ मनोकामना सिद्धि सब कुछ प्रदान करने में सक्षम होती है। यदि सही विधि से यंत्र स्थापित किया जाए, तो यह जीवन में आश्चर्यजनक परिवर्तन ला सकता है।