
जन्म कुंडली से जानें विदेश यात्रा के योग
विदेश जाने का सपना भला कौन नहीं देखता है। कभी विदेश में नौकरी तो कभी घूमने के लिए जाने के लिए हम सभी जिज्ञासु रहते हैं। यही नहीं कुछ पेरेंट्स सोचते हैं कि उनके बच्चे विदेश जाकर पढ़ाई करें।ज्योतिष शास्त्र के अनुसार प्रत्येक ग्रह का एक निर्धारित समय अवधि के बाद राशि परिवर्तन होता है।
ग्रहों के गोचर का काफी हिंदू धार्मिक बहुत ही अधिक महत्व है। हिंदू धर्म में ज्योतिष शास्त्र को अपना भविष्य जानने का बेहद महत्वपूर्ण जरिया माना गया है। किस्मत की कुछ बातें कुंडली के ग्रहों और उनकी कुछ विशेष स्थिति पर निर्भर करती है। ज्योतिष शास्त्र में बताया गया है कि कुंडली में कुछ योग बनने पर व्यक्ति को विदेश जाने का अवसर प्राप्त हो सकता है। आइए जानते हैं कुंडली में बनने वाले कुछ ऐसे ही योगों के बारे में।
विदेश यात्रा के योग
- कुंडली के बारहवें भाव में चंद्रमा हो तो विदेश यात्रा के योग बनते हैं। ऐसी स्थिति में जातक विदेश से आजीविका पाता है।
- यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में लग्नेश बारहवें भाव में स्थित है, तब भी विदेश यात्रा के योग बनते हैं.
- कुंडली के छठे भाव में चंद्रमा हो तो भी विदेश यात्रा के योग बनते हैं।
- दशम भाव में चंद्रमा हो या इस घर पर शनि की दृष्टि पड़ रही हो तो भी विदेश यात्रा के योग बनते हैं।
- सातवें भाव या लग्न भाव में चंद्रमा की उपस्थिति भी विदेश से व्यापार का संकेत देती है।
- शनि देव को आजीविका का कारक माना गया है। शनि और चंद्रमा की युति भी विदेश यात्रा करवाती है।
- अगर जन्मकुंडली में दशमेश बारहवें भाव और बारहवें भाव का स्वामी दसवें भाव में हो तो भी विदेश यात्रा के योग बनते हैं और जातक को विदेश से आजीविका कमाने का मौका मिलता है।
- यदि भाग्य का स्वामी बारहवें भाव में है या बारहवें भाव का स्वामी भाग्य स्थान में बैठा है तो जातक के विदेश यात्रा के योग बनते हैं।
- भाग्य स्थान में बैठकर राहू भी विदेश यात्रा के योग का निर्माण करता है।
- सप्तम भाव का स्वामी बारहवें भाव में हो या बारहवें भाव का स्वामी सप्तम भाव में बैठा हो तो विदेश यात्रा की संभावना बढ़ जाती है और जातक विदेश से व्यापार करता है।