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स्वामी विवेकानंद: युवाओं के प्रेरणास्त्रोत और मार्गदर्शक कलकत्ता में 12 जनवरी 1863 को जन्मे स्वामी विवेकानंद । स्वामी विवेकानंद युवाओं के प्रेरणास्त्रोत, आधुनिक भारत के एक महान युवा संन्यासी और एक आदर्श व्यक्तित्व के धनी थे । स्वामी विवेकानन्द का जन्म 12 जनवरी सन् 1863 को कलकत्ता में एक कायस्थ परिवार में हुआ था। उनके बचपन का नाम नरेन्द्रनाथ दत्त था। पिता विश्वनाथ दत्त कलकत्ता हाईकोर्ट के एक प्रसिद्ध वकील थे। स्वामी विवेकानंद संत रामकृष्ण के शिष्य थे और वर्ष 1897 में उन्होंने रामकृष्ण मठ और रामकृष्ण मिशन की स्थापना...
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कुंडली से जाने की शादी क्यों टूट जाती है (१)- यदि कुंडली में सातवें घर का स्वामी सप्तमांश कुंडली में किसी भी नीच ग्रह के साथ अशुभ भाव में बैठा हो तो शादी तय नहीं हो पाती है. (२)- यदि दूसरे भाव का स्वामी अकेला सातवें घर में हो तथा शनि पांचवें अथवा दशम भाव में वक्री अथवा नीच राशि का हो तो शादी तय होकर भी टूट जाती है. (३)- यदि जन्म समय में श्रवण नक्षत्र हो तथा कुंडली में कही भी मंगल एवं शनि का योग हो तो...
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विवाह में विलंभ होने का कारण और निवारण हमारे हिन्दू संस्कारों में विवाह को जीवन का आवश्यक संस्कार बताया गया है. विवाह के योग प्रत्येक व्यक्ति के जीवन में होते हैं लेकिन कुछ ऐसे कारक हैं जो उसमें विलंब कराते हैं. ज्योतिषशास्त्र में मंगल, शनि, सूर्य, राहु और केतु को विलंब का कारक बताया गया है.जन्मकुंडली के सप्तम भाव में अशुभ या क्रूर ग्रह के स्थित होने अथवा सप्तमेश व उसके कारक ग्रह बृहस्पति व शुक्र के कमजोर होने से विवाह में बाधा आती है. आम बोलचाल के शब्दों में...
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(दोष रहित, सत्य प्रधान, उन्मुक्त, अमर और भरा-पूरा जीवन विधान ही धर्म है।) धर्म क्या है -- एक प्रकार की ब्रम्हाण्डीय जानकारी और उस जानकारी के अनुसार अपने आपको स्थित और व्यवस्थित करना अर्थात् ब्रम्हाण्डीय स्थिति की यथार्थत: जानकारी रखते हुये अपने को उसके अनुसार व्यस्थित कर देना । जो कुछ और जितना भी हम ब्रम्हाण्डीय विधान से अलग हट चुके हैं, उसमें अपने को स्थित कर देना । पिण्ड (शरीर) ब्रम्हाण्ड की एक इकाई है । ब्रम्हाण्डीय विधान क्या है और उसमें यह जो हमारा पिण्ड है यह कहाँ...
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स्त्री का सम्मान और आदर:खुशियाँ और लक्ष्मी का वास जब किसी घर में शादी के बाद पहली बार दुल्हन आती है तब उसे लक्ष्मी स्वरुप माना जाता है। वास्तव में लक्ष्मी होती भी है। प्रायः सुनने में आता है कि बहू के पैर बहुत ही भाग्यशाली हैं, जब से पड़े है, घर में लक्ष्मी बरसने लगी है। इसके विपरीत ऐसे पैर भी सुनने को मिलते हैं जिनके घर में प्रवेश करते ही सुख-सम्पदा का पलायन प्रारम्भ हो जाता है। परन्तु मैं प्रत्येक स्त्री के पर घर में शुभ मानता हॅ।...
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कौन सी ग्रह आपकी जीवन प्रभावित करता है एक नया वर्ष एक फिर आने वाला हें..नए वर्ष के स्वागत में हम सभी अपने पुराने गम,दुःख-दर्द,तकलीफ भूलकर नयी आशा ,नयी उर्जा और नयी सोच से एक बार फिर से नए जोश के साथ इस नए साल/वर्ष का स्वागत करते हें..जीवन का एक नया अध्याय शुरू होने वाला हें..हमने पुरुषार्थ के साथ साथ कर्म प्रधान भी बनाना हें ..एक नयी प्रेरणा से इस नए वर्ष का स्वागत करना हें..दृढ संकल्प प्रत्येक मनुष्य को कर्मनिष्ठ बनाकर सफलता प्राप्ति में सहयोग प्रदान करता हें......
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जानें तुलसी पूजा का महत्व और नियम   हिन्दू धर्म में देव पूजा और श्राद्ध कर्म में तुलसी आवश्यक मानी गई है। शास्त्रों में तुलसी को माता गायत्री का स्वरूप भी माना गया है। गायत्री स्वरूप का ध्यान कर तुलसी पूजा मन,घर-परिवार से कलह व दु:खों का अंत कर खुशहाली लाने वाली मानी गई है। इसके लिए तुलसी गायत्री मंत्र का पाठ मनोरथ व कार्य सिद्धि में चमत्कारिक भी माना जाता है। तुलसी को दैवी गुणों से अभिपूरित मानते हुए इसके विषय में अध्यात्म ग्रंथों में काफ़ी कुछ लिखा गया...
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जानें हिन्दू धर्म में विवाह संस्कार का महत्व और नियम हिंदू धर्म शास्त्रों में हमारे सोलह संस्कार बताए गए हैं। इन संस्कारों में काफी महत्वपूर्ण विवाह संस्कार। शादी को व्यक्ति को दूसरा जन्म भी माना जाता है क्योंकि इसके बाद वर-वधू सहित दोनों के परिवारों का जीवन पूरी तरह बदल जाता है। इसलिए विवाह के संबंध में कई महत्वपूर्ण सावधानियां रखना जरूरी है। विवाह के बाद वर-वधू का जीवन सुखी और खुशियोंभरा हो यही कामना की जाती है। विवाह = वि + वाह, अत: इसका शाब्दिक अर्थ है - विशेष...
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