औद्योगिक समस्याओं में मनोबल की समस्या कर्मचारी तथा उद्योगपति दोनों के दृष्टिकोण अत्यन्त जटिल तथा महत्त्वपूर्ण है। उच्च अथवा उन्मत औद्योगिक मनोबल से जहाँ कर्मचारी तथा उद्योगपति को लाभ पहुंचता है वहीँ निम्न औद्योगिक मनोबल से उन्हें निश्चित हानि पहुँचती है। इसीलिए प्रबंधन की ओंर से हमेशा इस बात का प्रयास किया जाता है कि कर्मचारी-मनोबल उन्नत बना रहे। साधारण अर्थ में मनोबल का तात्पर्य किसी समूह के सदस्यों के बीच एकता, भाईचारा एवं आत्मीयता के भाव से है । इस दृष्टिकोण से औद्योगिक मनोबल का तात्पर्य किसी उद्योग के...
औद्योगिक संगठनों में कर्मचारी चयन अथवा व्यावसायिक चयन मौलिक रूप से महत्त्वपूर्ण है। यह कहना अतिशयोक्तिपूर्ण नहीं होगा कि औद्योगिक मनोविज्ञान के उद्देश्य की प्राप्ति एक बडी सीमा तक सही कर्मचारी चयन पर निर्भर करती हे। इसी बात को ध्यान में रखकर वाड़टलै ने कहा है कि, कर्मचारी को उपर्युक्त कार्य पर लगाना उद्योग में वैयक्तिक कुशलता एव समायोजन को बढाने से प्रथम तथा संभवत: सर्वाधिक महत्वपूर्ण चरण है | कर्मचारी चयन अथवा व्यावसायिक वयन का महत्त्व उपयुक्त उक्ति से स्पष्ट हो जाता है वैयक्तिक कुशलता के लिए -कर्मचारी चयन...
आधुनिक भारत की प्रगति का ऐतिहासिक सिंहावलोकन करने पर इस तथ्य पर प्रकाश पड़ता है कि भारत ने जहाँ एक ओर वैज्ञानिक एवं तकनीकी विकास में प्रगति कर अपने को विकासशील देशों की वेणी में खड़ा कर दिया है, वहीं देश की भौतिक प्रगति ने मानव जीवन के समक्ष अनेक समस्याएँ एवं जटिलताएँ उत्पन्न कर दी है। भौतिकवाद के परिणामस्वरूप ही व्यक्ति के जीवन का उद्देश्य बदल गया है, मानव मूल्य परिवर्तित हो गये है, स्वस्थ जीवन का दर्शन का अभाव हो गया है, धन संपदा के प्रति व्यक्ति के...
1. जैविक कारक बाल अपराध की उत्पत्ति में वंशानुक्रम तथा शारीरिक दोनों ही प्रकार के जैविक कारकों का योगदान होता है।सीजर लोम्बोसो तथा सिरिल बर्ट नै बाल अपराध की उत्पत्ति में वंशानुक्रम को अत्यन्त महत्वपूर्ण माना है। लोम्ब्रोसो के अनुसार अपराधी जन्मजात होते है और उनकी कुछ निश्चित शारीरिक व मानसिक विशेषताएँ होती हैँ। बर्ट के विचार भी इसी प्रकार के है। शारीरिक कारकों का बालक के व्यक्तित्व एवं व्यवहार पर गहरा प्रभाव पडता है। यदि शारीरिक विकास असामान्य हो तो बालक के व्यवहार में भी असामान्यता उत्पन्न हो सकती...
मनुष्य जीवन में सफलता प्राप्त करने के अनेक पहलुओं पर विचार करके उनमें सुधार लाने की प्रक्रिया निरंतर चलती रहती है । जिन में से व्यक्तित्व का सुधार अत्यंत महत्वपूर्ण है जैसा कि हम जानते है व्यक्तित्व के दो महत्वपूर्ण पहलू है । 1बाहरी स्वरूप 2 आन्तरिक स्वरूप या मानसिक व्यक्तित्व 1बाहरी स्वरूप : बाहरी व्यक्तित्व व्यक्ति के शारीरिक ढाचे उसके रूप रंग उसके अंगों के आकार व प्रकार से बना होता है और वह सभी का जैसा होता है वैसा ही दिखाई देता है बाहरी स्वरूप में सामान्य व्यक्तियो...
विज्ञान की प्रगति के साथ तकनीकी एवं प्राविधिकी विकास तथा परिवर्तनों ने उद्योग संस्थानों को प्रभावित किया है। श्रम-विभाजन तथा अति परित्कृत मशीनो के कारण हुए कार्यों का स्वचलन तथा बदलती हुई कार्य-प्रणाली ने उद्योगों के वातावरण में यांत्रिकता तथा एकरसता को बढावा दिया है । इसका प्रभाव कर्मचारी तथा मशीन एंव कर्मचारी एव प्रबंधन के बीच विरोध के रूप में पडा है तथा कर्मचारियों के बौद्धिक तथा संवेगात्मक्त पक्षों पर भी इसका नाकारात्मक प्रभाव पडा है । जिस कार्य को करने में मनुष्य की इच्छा, बुद्धि एवं प्रयास नहीं...