जिज्ञासा

शत्रुओं को पराजित करने के लिए मा दुर्गा ने किस शस्त्र का इस्तेमाल किया था, 9 अस्त्रों की पीछे कि ये रोचक कहानी?

434views

Navratri 2019: :  शारदीय नवरात्र 29 सितंबर से शुरू हो चुके हैं। इन नवरात्र में भी चैत्र की तरह मां दुर्गा के नवस्वरूपों की विशेष पूजा और अर्चना की जाती है। नौ दिनों के बाद विजयदशमी से एक दिन पूर्व शारदीय नवरात्र संपनन हो जाते हैं। चेत्र नवरात्र की तरह इसमें भी मां दुर्गा के शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कूष्माण्डा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी, सिद्धिदात्री रूपों का पूजन और अर्चन किया जाता है। इस बार शारदीय नवरात्र 29 सितंबर से शुरू होकर 7 अक्टूबर को संपन्न हो जाएंगे।

दुर्गा सप्तशती के मुताबिक, देवताओं ने देवी को अपने हथियार प्रदान किए थे, ताकि वह असुरों के साथ होने वाले युद्ध में विजयी रहें। मां दुर्गा के हाथों में नौ अस्त्र-शस्त्र हैं। आइए जानते हैं कि शत्रुओं को पराजित करने के लिए मा दुर्गा ने किस शस्त्र का इस्तेमाल किया था।

1. त्रिशुल 

भगवान शंकर ने दैत्यों से युद्ध के लिए अपने शूल से त्रिशूल निकालकर मां दुर्गा को भेंट किया था। इससे देवी को महिषासुर समेत असुरों का वध करने में मदद मिली थी।

2. चक्र 

भगवान विष्णु ने भक्तों की रक्षा करने के लिए देवी को चक्र अर्पण किया था। यह चक्र उन्होंने खुद अपने चक्र से उत्पन्न किया था।

3. शंख 

वरुण देव ने माता को शंख भेट किया था। इस शंख की ध्वनि जब गुंजती है तो धरती, आकाश और पाताल में दैत्यों की सेना भाग खड़ी होती है।

4. वज्र 

देवराज इंद्र ने अपने वज्र से दूसरा वज्र उत्पन्न कर माता को भेंट किया था। वज्र के प्रहार से सेना युद्ध के मैदान से भाग खड़ी हुई थी।

5. दंड 

यमराज ने माता को दंड भेंट किया था। देवी ने युद्ध भूमि में दैत्यों को दंड पाश से बांधकर धरती पर घसीटा था।

6. धनुष-बाण 

पवन देव ने देवी को धनुष और बाणों से भरा तरकश प्रदान किया था। मां ने धनुष और बाणों के प्रहार से असुरों की सेना को नष्ट कर दिया था।

7. तलवार 

यमराज ने देवी को तलवार और ढाल भेंट की थी। देवी ने असुरों की गर्दन तलवार से ही काटी थी।

8. घंटा 

देवराज इंद्र ने ऐरावत हाथी के गले से एक घंटा उतारकर भी माता को भेंट किया था। असुर घंटे की भयंकर ध्वनि से मूर्छित हो गए थे और फिर उनका संहार हुआ था।

9. फरसा 

विश्वकर्मा देव ने देवी को फरसा प्रदान किया था। चंड-मुंड का सर्वनाश करने वाली देवी ने काली का रूप धारण कर हाथों में तलवार और फरसा लेकर असुरों से युद्ध किया था।