व्रत एवं त्योहार

Navratri 2019: कैसे करें माँ कालरात्रि की पूजा, जाने मुहूर्त एवं अन्य जानकारी

314views

Navratri 2019 Maa Kalratri Puja Vidhi and Mantra: शारदीय नवरात्रि का आज शनिवार को सातवां दिन है। इस दिन मां कालरात्रि स्वरूप की पूजा-अर्चना विधिपूर्वक  की जाती है। देवी कालरात्रि का रंग कृष्ण वर्ण यानी काले रंग का है, इसलिए इनको कालरात्रि कहा जाता है। इस देवी की पूजा से शुभ फल प्राप्त होता है। इस वजह से मां कालरात्रि को शुभंकरी भी कहा जाता है। देवी को रातरानी का फूल प्रिय है, इसलिए पूजा में उनको यह फूल अर्पित करें। पूजा के बाद दुर्गा चालीसा और दुर्गा आरती करना न भूलें।

ALSO READ  Chaitra Navratri Totke : नवरात्रि में करें लौंग के ये आसान उपाय

कैसे देवी का नाम पड़ा कालरात्रि

आदिशक्ति मां दुर्गा ने राक्षसों के राजा रक्तबीज का वध करने के लिए मां कालरात्रि को अपने तेज से उत्पन्न किया था। इनका स्वरूप विकराल, दुश्मनों में भय पैदा करने वाला और कृष्ण वर्ण का है। कृष्ण वर्ण के कारण उनका नाम कात्यायनी पड़ा।

मां कालरात्रि का स्वरूप

मां कालरात्रि का रंग गहरे काले रंग का है और केश खुले हुए हैं। वह गर्दभ पर सवार रहती हैं। उनकी चार भुजाएं हैं। उनके एक बाएं हाथ में कटार और दूसरे बाएं हाथ में लोहे का कांटा है। वहीं एक दायां हाथ अभय मुद्रा और दूसरा दायां हाथ वरद मुद्रा में रहता है। गले में माला है।

ALSO READ  chaitra navratri 2023 : चैत्र नवरात्रि के पहले दिन की व्रत कथा...

मंत्र

ॐ देवी कालरात्र्यै नमः॥

प्रार्थना 

एकवेणी जपाकर्णपूरा नग्ना खरास्थिता।

लम्बोष्ठी कर्णिकाकर्णी तैलाभ्यक्त शरीरिणी॥

वामपादोल्लसल्लोह लताकण्टकभूषणा।

वर्धन मूर्धध्वजा कृष्णा कालरात्रिर्भयङ्करी॥

स्तुति

या देवी सर्वभू‍तेषु माँ कालरात्रि रूपेण संस्थिता।

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥

पूजा विधि 

नवरात्रि के सातवें दिन सुबह में स्नानादि से निवृत होने के बाद स्वच्छ वस्त्र धारण करें। फिर मां कालरात्रि की विधि विधान से पूजा अर्चना करें। देवी को अक्षत्, धूप, गंध, रातरानी पुष्प और गुड़ का नैवेद्य आदि विधिपूर्वक अर्पित करें। अब दुर्गा आरती करें। इसके बाद ब्राह्मणों को दान दें, इससे आकस्मिक संकटों से आपकी रक्षा होगी।

ALSO READ  chaitra navratri 2023 : चैत्र नवरात्रि के पहले दिन की व्रत कथा...

मां कालरात्रि की आरती और पूजा के समय अपने सिर को खुला न रखें। पूजा के समय सिर पर साफ रूमाल आदि रख लें।