देवों के देव महादेव हिंदू धर्म के समस्त देवी-देवताओं में से एक मात्र ऐसे देव माने जाते हैं जो बहुत जल्दी अपने भक्तों पर प्रसन्न हो जाते हैं। मगर वहीं अगर भक्त से इनकी पूजा-अर्चना में कोई भूल हो जाए तो भगवान शंकर उन पर बहुत भयानक क्रोधित हो जाते हैं। अब भोलेनाथ के भक्त इनके क्रोध से अंजान तो नहीं होंगे। धार्मिक शास्त्रों में इनके क्रोध की अग्नि में भस्म होने वाले कई असुरों आदि के किस्से भी पढ़ने को मिलते हैं। मान्यता है इनका तीसरा नेत्र केवल तब ही खुलता है जब इन्हें अत्यंत क्रोध आता है। परंतु आज हम अपने वेबसाईट के माध्यम से अपने इस आर्टिकल में इनके तीसरे नेत्र से जुड़ा एक ऐसा तथ्य बताने जा रहे हैं जिसके बारे में आप में से लगभग लोग अंजान होंगे। तो चलिए आपकी उत्सुक्ता को खत्म करते हुए जानते शिव जी की तीसरे नेत्र से जुड़ा ये दिलचस्प तथ्य-
धार्मिक ग्रंथों में उल्लेख मिलता है कि भगवान शिव तीनों लोकों पर नज़र रखते हैं। इन्हें सृष्टि के प्रलय कारक भी कहा जाता है। ऐसी मान्यता है कि इनकी तीन आंखें इस बात का प्रतीक हैं कि वो इस संसार में व्याप्त तीनों गुण रज, तम और सत्व के पिता हैं जो इनकी प्रेरणा से ही विकसित होते हैं। भगवान शंकर की तीसरी आंख शिव जी का कोई अतिरिक्त अंग नहीं बल्कि एक दिव्य दृष्टि का प्रतीक है। जो आत्मज्ञान के लिए बेहद ज़रूरी बताई जाती है। अब शिव शंभू के पास ऐसी दिव्य दृष्टि का होना कोई अचरज की बात नहीं है क्योंकि देवों के देव महादेव समस्त देवी-देवताओं से ऊपर माने जाते हैं।
शिव की तीसरी आंख के रहस्यों से भरपूर कई कथाएं प्रचलित है। जिसमें एक कामदेव वाली कथा लगभग सब जानते हैं। परंतु इसके अलावा एक ऐसी है कथा है3 जिसके बारे में बहुत कम लोग जानते हैं। आइए जानते हैं ये पौराणिक कथा-
पौराणिक कथाओं के अनुसार एक समय की बात है, पार्वती जी ने भगवान शिव के पीछे जाकर उनकी दोनों आंखें अपनी हथेलियों से बंद कर दी। जिस कारण सारे संसार में अंधकार छा गया। सूर्य का मानो जैसे अस्तित्व ही न रहा हो क्योंकि ऐसा माना जाता है कि भगवान शिव की एक आंख सूर्य है और दूसरी चंद्रमा। अंधकार होते ही पूरे संसार में हाहाकार मच गया तब भोलेनाथ ने तुरंत अपने माथे से अग्नि निकाल यानि तीसरी आंख खोल पूरी दुनिया में अंधकार मिटा प्रकाश किया। कहा जाता है कि ये प्रकाश इतना तेज था कि इससे पूरा हिमालय जलने लगा। जिसे देखकर मां पार्वती घबरा गई और तुंरत अपनी हथेलियां शिव की आंखों से हटा दी। तब शिव जी ने मुस्कुरा कर अपनी तीसरी आंख बंद की। शिव पुराण में किए वर्णन के अनुसार पार्वती जी को इससे पूर्व ज्ञान नहीं था कि शिव त्रिनेत्रधारी हैं।