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पितृमोक्ष महायात्रा: श्री महाकाल धाम अमलेश्वर

पितृमोक्ष महायात्रा: श्री महाकाल धाम अमलेश्वर संवत् 1278 — जब वंश धमनियों में थम रहा था* अमलेश्वर का क्षेत्र कलकत्ते नगर के समीप स्वतंत्र राज्य हुआ करता था। वहाँ के राजवंश की मध्यमा पीढ़ी में अचानक संतानहीनता ने घर-घर को शोकविहीन कर दिया। पीढ़ियों से चलती परम्परा अचानक टूटने लगी—राजा, राजकुमार और राज्याभिषेक की आशाएँ सब मलिन हो चलीं। श्राद्धहीनि पूर्णिमा और अपूर्ण चंद्र हर पूर्णिमा को मंदिर के प्रधान पुरोहित श्लोकमालाएँ जपता, पर पिण्डदान के बिना श्राद्ध अपूर्ण रह जाता। अमावस्या पर चंद्रमा छिपने लगता, और महाकाल मंदिर के...
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पितृदोष और उसकी शांति का विधान का शास्त्र प्रमाण

  1. पितृदोष और उसकी शांति का विधान गरुड़ पुराण (पूर्व खंड, अध्याय 40-42): पितृदोष का कारण, संकेत, और उसके निवारण के लिए श्राद्ध, नारायण बली, पिंडदान आदि विधियों का वर्णन है। इसमें वर्णन है कि पितरों के रुष्ट होने से संतानहीनता, गर्भपात, वंश रुकावट जैसे कष्ट होते हैं। 2. सर्पशाप का प्रभाव और शमन महाभारत (आदि पर्व, सर्पसत्र प्रसंग) राजा जनमेजय द्वारा तक्षक नाग को नष्ट करने हेतु किया गया सर्पसत्र यज्ञ, जो उनके पिता परीक्षित की मृत्यु के प्रतिशोध में था। इससे संकेत मिलता है कि सर्प द्वारा...
उपाय लेख

पितृदोष निवारण के लिए करें विशेष उपाय और नारायणबलि-नागबलि…

पितृदोष निवारण के लिए करें विशेष उपाय और नारायणबलि-नागबलि... पितरों के प्रति श्रद्धा अर्पण करने का पर्व है श्राद्ध पक्ष...