archiveश्री महाकाल अमलेश्वर

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2135 केवल एक तिथि नहीं — एक चेतावनी है, श्री महाकाल अमलेश्वर फिर होंगे भूमिशायी

2135 में हो सकता है कि: विश्व एक बार फिर आध्यात्मिक भूलभुलैया में फँसा होगा भारत के प्राचीन तीर्थों को भुलाया जा रहा होगा और तब खारून तट पर मौन वटवृक्षों के बीच, महाकाल पुनः अंतर्धान हो जाएंगे यह असंवत्सरकाल कहलाएगा — जब साधकों को केवल भीतर जाकर शिव को खोजना पड़ेगा, बाहर नहीं।  क्या 2135 में जागरण भी होगा? हाँ – यदि किसी सत्यव्रती साधक, योगिनी कन्या, निष्कलंक बालक, या किसी तपस्वी कुल के वंशज का जन्म उस युग में हो, जो सच्चे भाव से श्री महाकाल का आह्वान...
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हर 131 वर्षों में जब धरती के पाताल में छिपे पाप प्रबल होंगे, तब मैं भूमिशयन कर कुछ काल तक लुप्त रहूंगा

श्री महाकाल अमलेश्वर के भूमिशयन का गूढ़ रहस्य (विशेषतः 2004 की श्रावण प्रतिपदा पर जागृति की ऐतिहासिक घटना के संदर्भ में)  प्राकट्य की महागाथा: पुराकाल में खारून तट पर तप कर रहे एक महान अघोर ऋषि — सप्तऋषियों के परंपरा-वंशज — ने इस क्षेत्र को महाकाल की स्थली घोषित किया था। कहा जाता है कि महाकाल स्वयं उनके आह्वान पर तीव्र अग्निकुण्ड से प्रकट हुए थे। यह प्रकट्य अद्भुत था — ना शिवलिंग भूमिपृष्ठ पर था, ना कोई प्रतिमा — बल्कि अग्नि में स्वयं प्रकट हुए ज्वालामय महाकाल। तब स्वयं...