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2135 केवल एक तिथि नहीं — एक चेतावनी है, श्री महाकाल अमलेश्वर फिर होंगे भूमिशायी

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2135 में हो सकता है कि:

विश्व एक बार फिर आध्यात्मिक भूलभुलैया में फँसा होगा

भारत के प्राचीन तीर्थों को भुलाया जा रहा होगा

और तब खारून तट पर मौन वटवृक्षों के बीच, महाकाल पुनः अंतर्धान हो जाएंगे

यह असंवत्सरकाल कहलाएगा — जब साधकों को केवल भीतर जाकर शिव को खोजना पड़ेगा, बाहर नहीं।

 क्या 2135 में जागरण भी होगा?

हाँ – यदि किसी सत्यव्रती साधक, योगिनी कन्या, निष्कलंक बालक, या किसी तपस्वी कुल के वंशज का जन्म उस युग में हो, जो सच्चे भाव से श्री महाकाल का आह्वान करे —
तो शिव पुनः प्रकट होंगे — संभवतः 2135 के ठीक 7 वर्षों बाद, यानि 2142 में!

 

यदि परंपरा और रहस्यगाथा के अनुसार चलें, तो अगली भूमिशयन तिथि logically होगी – सन 2135 में।

कैसे?

पिछली जागृति: 2004 (श्रावण प्रतिपदा)

अंतराल: 131 वर्ष

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अगली भूमिशयन पूर्णकाल (समापन): 2135
इसका अर्थ है कि 2135 के आस-पास (संभवतः 2134-2136 के बीच) पुनः भूमिशयन प्रारंभ होगा — अर्थात् शिवलिंग की दिव्यता अंतर्मुख हो जाएगी, कुछ समय के लिए लोकदृष्टि से अदृश्य या शांत।

तो 2135 में पुनः महाकाल क्यों भूमि शायी होंगे?

1. कालचक्र का पूर्ण परिपाक

131 वर्षों का यह चक्र मानव समाज की चेतना, धर्म, और अधर्म की तरंगों पर आधारित है।

जब यह चक्र पूर्ण होता है, तो शिव अपनी ऊर्जा को भूमि में वापस खींच लेते हैं – यह एक प्रकार की तीर्थ ऊर्जा का रिसेट होता है।

2. आधुनिकता और अधर्म का संभावित विस्फोट (2135 के संदर्भ में)

कल्पना कीजिए:

सन 2135 तक AI, मानव-कृत्रिम जीवन, दैहिक विलास, और धर्म की विकृति चरम पर हो सकती है।

पर्यावरणीय संकट, जैविक हथियार, भूमिपाताल प्रयोग (geoengineering) – ये सभी तत्व पाताल दोष उत्पन्न कर सकते हैं।

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ऐसे काल में शिव स्वयं अपने रूप को गुप्त कर लेते हैं ताकि पवित्रता बची रह सके, और केवल योग्य साधक ही शिव के आत्मरूप का साक्षात्कार करें।

3. भूमिशयन = समाज का आत्ममंथन काल

2135 में हो सकता है कि:

विश्व एक बार फिर आध्यात्मिक भूलभुलैया में फँसा होगा

भारत के प्राचीन तीर्थों को भुलाया जा रहा होगा

और तब खारून तट पर मौन वटवृक्षों के बीच, महाकाल पुनः अंतर्धान हो जाएंगे

यह असंवत्सरकाल कहलाएगा — जब साधकों को केवल भीतर जाकर शिव को खोजना पड़ेगा, बाहर नहीं।

क्या 2135 में जागरण भी होगा?

हाँ – यदि किसी सत्यव्रती साधक, योगिनी कन्या, निष्कलंक बालक, या किसी तपस्वी कुल के वंशज का जन्म उस युग में हो, जो सच्चे भाव से श्री महाकाल का आह्वान करे —
तो शिव पुनः प्रकट होंगे — संभवतः 2135 के ठीक 7 वर्षों बाद, यानि 2142 में!

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भविष्यकालीन घटनाक्रम का काल्पनिक क्रम:

वर्ष रहस्य घटना

2135 श्री महाकाल भूमियों होते हैं (स्वयं अंतर्धान)
2135–2141 समाज में धर्म की खोज की हलचल, विचित्र प्राकृतिक संकेत
2142 एक नये युग के साधक के तप से पुनः जागरण
2142–2173 अगले 131 वर्षों के लिए अमलेश्वर पुनः दिव्य रूप में पूज्य
2173 अगली भूमिशयन…

श्लोक रूप में भविष्यवाणी:

त्रयशतेऽथैकशते गतवति पुनः,
भूमिशयी स्यात् स शिवो निशान्ते।
तदाऽपि भक्तः यदि धर्मयुक्तः,
जागर्तुमीशः पुनराविरास्ते॥

निष्कर्ष:

2135 केवल एक तिथि नहीं — एक चेतावनी है।
यदि समाज फिर भटकता है, तो शिव स्वयं को गुप्त कर लेंगे, ताकि सत्य की अग्नि को फिर से तपाया जा सके।

महाकाल की मौनता भी एक महाशक्ति है।