तपस्वी विश्वामित्र और अमलेश्वर की गाथा
तपस्वी विश्वामित्र और अमलेश्वर की गाथा आत्मसम्मान बनाम अपमान प्राचीन काल में एक प्रतापी क्षत्रिय राजा थे—कौशिक, जो युद्धकला के महारथी और धर्मनिष्ठ राजर्षि थे। किंतु एक दिन उन्होंने ब्रह्मर्षि वशिष्ठ के आश्रम में कामधेनु के चमत्कार देखे। वशिष्ठ के एक मन्त्र से संपूर्ण सैन्यशक्ति निष्फल हो गई। यह दृश्य कौशिक के आत्मसम्मान को चुभ गया। उनका मन भीतर तक काँप गया— “मैं सब कुछ जानता हूँ, पर क्या ब्रह्मतेज के बिना मेरी शक्ति अधूरी है?” श्लोक (शार्दूलविक्रीडित):* वशिष्ठगौकार्याद् मन्दोऽहं किंचित् भ्रान्तो हृदि मया । “कर्मज्ञोऽहं भव” इति संकल्प्य महाकालं...