Bhadrapada Purnima Vrat:भाद्रपद पूर्णिमा, जानें इस व्रत का महत्व, पूजा विधि, कथा और संबंधित जानकारी
धार्मिक रूप से पूर्णिमा की तिथि खास मानी जाती है और जब बात भाद्रपद पूर्णिमा की है तो इस तिथि का महत्व और भी अधिक बढ़ जाता है। इस दिन भगवान विष्णु के सत्यनारायण रूप की पूजा की जाती है, साथ ही इस दिन उमा-महेश्वर व्रत भी रखा जाता है। यह पूर्णिमा इसलिए भी खास होती है क्योंकि इसी दिन से पितृ पक्ष यानि श्राद्ध प्रारंभ होते हैं, जो आश्विन अमावस्या पर समाप्त होते हैं। इस बार ये पूर्णिमा 13 सितंबर को है और श्राद्ध 14 सितंबर से शुरु हो रहे हैं।
कैसे करें व्रत? भाद्रपद पूर्णिमा व्रत रखने वाले जातक इस दिन ब्रह्ममुहूर्त में उठकर स्नान करें। इसके बाद पूजा स्थल की सफाई करें। अब एक लकड़ी के पटरे पर लाल या पीला वस्त्र बिछाकर उस पर भगवान सत्यनारायण की प्रतिमा या तस्वीर स्थापित करें। तत्पश्चात पूजा के लिये पंचामृत का निर्माण करें। प्रसाद के लिये चूरमा बनायें। पूजन शुरु करने से पहले अपनी विशेष कामना की पूर्ति के लिए संकल्प लें। उसके बाद भगवान सत्यनारायण की पूजा करके सत्यनारायण की कथा जरूर सुनें। कथा के बाद आरती करें और प्रसाद वितरण करें। व्रत रखने वाले इस दिन दिनभर अन्न ग्रहण न करें।
भाद्रपद पूर्णिमा का महत्व: भाद्रपद पूर्णिमा कई मायनों में खास मानी जाती है। इस तिथि के बाद से श्राद्ध पक्ष आरंभ होते हैं। वहीं इस पूर्णिमा पर भगवान सत्यनारायण की पूजा करने का विधान भी है। मान्यता है कि भगवान सत्यनारायण की पूजा करने से उपासक के सारे कष्ट दूर हो जाते हैं और घर में सुख-समृद्धि आती है।
व्रत के लाभ: भाद्रपद पूर्णिमा का व्रत फलदायी माना जाता है। इस दिन विष्णु के स्वरूप भगवान सत्यनारायण की पूजा करने से जीवन के सभी प्रकार के कष्टों और संकटों से मुक्ति मिलती है। जीवन में आ रही आर्थिक परेशानियों का समाधान हो जाता है। मनोकामनाओं की पूर्ति करने के लिए ये व्रत किया जाता है। इस व्रत को करने से अविवाहित कन्याओं और युवकों का विवाह शीघ्र हो जाता है।
भाद्रपद पूर्णिमा व्रत मुहूर्त: सितंबर 13, 2019 को 07:37:13 से पूर्णिमा आरम्भ होगी जो सितंबर 14, 2019 को 10:04:34 पर रहेगी।