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कृष्णपक्ष की चतुर्थी, एकादशी तथा शुक्लपक्ष की पंचमी व द्वादशी तिथियों में भगवान शंकर कैलाश पर्वत पर होते हैं और उनकी अनुकंपा से परिवार मेंआनंद-मंगल होता है। धन, धान्य, आरोग्य और पुत्र प्राप्ति होती है इस दिन भगवान रुद्र की निशा पूजन करना चाहिए और उनकी प्रियता के लिए करें पार्थिव शिवलिंग का पूजन
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पार्थिव पूजन | सावन मास को शिवजी का माह माना जाता है, इसलिए इन दिनों में पार्थिव लिंग बनाकर शिव पूजन का विशेष पुण्य मिलता है। शिवपुराण में पार्थिव शिवलिंग पूजा का महत्व बताया गया है। कलयुग में कूष्माण्ड ऋषि के पुत्र मंडप ने पार्थिव पूजन प्रारम्भ किया था। शिव महापुराण के अनुसार पार्थिव पूजन से धन, धान्य, आरोग्य और पुत्र प्राप्ति होती है। वहीं मानसिक और शारीरिक कष्टों से भी मुक्ति मिल जाती है।
कैसे करें पार्थिव पूजन ?
पार्थिव पूजन करने से पहले पार्थिव लिंग का निर्माण करना चाहिए। इसके लिए मिट्टी, गाय का गोबर, गुड़, मक्खन और भस्म मिलाकर शिवलिंग बनाएं। शिवलिंग के निर्माण में इस बात का ध्यान रखें कि यह 12 अंगुल से ऊंचा नहीं हो। इससे अधिक ऊंचा होने पर पूजन का पुण्य प्राप्त नहीं होता है। मनोकामना पूर्ति के लिए शिवलिंग पर प्रसाद चढ़ाना चाहिए। इस बात का ध्यान रहे कि जो प्रसाद शिवलिंग से स्पर्श कर जाए, उसे ग्रहण नहीं करें।
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पार्थिव शिवलिंग पूजा विधि – ?
- मिट्टी के शिवलिंग बनाकर उसे किसी शुद्ध पात्र में या पाट पर स्थापित करें।
- इसके बाद धूप और दीप प्रज्वलित करके कर्पर जलाएं।
- अब उस शिवलिंग पर थोड़ा सा जल अर्पित करें
- इसके बाद पंचामृत यानी दूध, दही, घी, शहद और शक्कर मिलाकर अर्पित करें।
- अब पुनः थोड़ा सा जल अर्पित करें।
- इसके बाद गुलाल, अबीर, भस्म, सफेद चंदन, रुद्राक्ष, फूल, फल, प्रसाद आदि अर्पित करें।
- इसके बाद अंत में शिवजी की आरती उतारें। आरती के बाद प्रसाद वितरण करें।
- इसके बाद किसी गरीब को भोजन कराएं और अंत में खुद खाएं।
पार्थिव शिवलिंग पूजा का महत्व
- पार्थिव पूजन से सभी प्रकार के भय दूर हो जाते हैं।
- इस शिवलिंग की पूजा करने से अकाल मृत्यु का भय नहीं रहता है
- पार्थिव पूजन से सभी तरह के दुःख दूर होकर मनोकामना पूर्ण होती है।
- सम्बंधित जानकारी
- शिव महापुराण अनुसार पार्थिव पूजन से धन, धान्य, आरोग्य और पुत्र की प्राप्ति होती है।
- कलयुग में मोक्ष की प्राप्ति और व्यक्ति की मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए पार्थिव पूजन सबसे उत्तम बताया गया है।
- कहते हैं कि कलिकाल में कूष्मांडा ऋषि ने इस पार्थिव शिवलिंग का पूजन प्रारंभ करवाया था।
- जो भी व्यक्ति मिट्टी का शिवलिंग बनाकर पार्थिव शिवलिंग पूजन रुद्राभिषेक करता है, भगवान उसकी मनोकामना जरूर पूर्ण करते हैं।