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ब्रह्मा जी की पूजा क्यों नहीं होती? जानिए इसके पीछे की रहस्यमयी पौराणिक कथा..

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हिंदू धर्म में त्रिदेव—ब्रह्मा, विष्णु और महेश (शिव)—को सृष्टि, पालन और संहार का कर्ता माना गया है।
जहाँ भगवान विष्णु और शिव की पूजा आज भी घर-घर और मंदिरों में होती है, वहीं सृष्टि के रचयिता भगवान ब्रह्मा की पूजा अत्यंत दुर्लभ है।

भगवान ब्रह्मा कौन हैं?

ब्रह्मा जी का स्वरूप

  • चार मुख (चारों वेदों के प्रतीक)
  • चार भुजाएँ
  • कमंडलु, वेद, जपमाला और कमल धारण किए हुए
  • वाहन: हंस
  • पत्नी: देवी सरस्वती

ब्रह्मा जी को सृष्टि का रचयिता माना जाता है। उन्होंने मनु, ऋषि-मुनि, देवता, असुर, मनुष्य, पशु-पक्षी—सभी की रचना की।

क्या वेदों में ब्रह्मा जी की पूजा का उल्लेख है?

वेदों में ब्रह्मा जी को सृष्टि तत्व के रूप में स्वीकार किया गया है, लेकिन उनकी व्यक्तिगत उपासना का विशेष वर्णन नहीं मिलता।
उपनिषदों में “ब्रह्म” तत्व को अधिक महत्व दिया गया है, न कि मूर्त रूप में ब्रह्मा को।

सावित्री जी का श्राप और पुष्कर का प्रसंग

कहानी है कि एक बार ब्रह्मा जी ने अग्नि यज्ञ का संकल्प लिया। यज्ञ के लिए स्थान की खोज करते हुए उनके हाथ से एक कमल का फूल गिरा। जहाँ वह पुष्प धरती पर गिरा, वहाँ तीन सरोवर बने – ब्रह्म, विष्णु और शिव पुष्कर। ब्रह्मा जी ने यहीं यज्ञ आरंभ करने का विचार किया।

यज्ञ में पत्नी की उपस्थिति अनिवार्य थी, इसलिए वे देवी सावित्री की प्रतीक्षा करने लगे। समय बीत रहा था और मुहूर्त निकलने का भय सामने था। ब्रह्मा जी ने जल्दबाजी में पास की ही एक कन्या से विवाह किया और उसे यज्ञ में सम्मिलित कर लिया।

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जब सावित्री जी पहुँचीं और यह दृश्य देखा तो उनका क्रोध भड़क उठा। उन्होंने ब्रह्मा जी को श्राप दिया – “तुम भले ही जगत के रचयिता हो, परंतु तुम्हारी पूजा इस संसार में कहीं नहीं होगी।” यही कारण है कि पुष्कर को छोड़कर कहीं भी ब्रह्मा जी का मंदिर नहीं मिलता।

केतकी के पुष्प और शिव जी का श्राप

एक अन्य कथा में ब्रह्मा और विष्णु में श्रेष्ठता का विवाद हुआ। देवताओं ने युद्ध रोकने के लिए शिव जी से प्रार्थना की। शिव जी अग्नि स्तंभ का रूप लेकर उनके सामने प्रकट हुए और कहा – “जो इस स्तंभ का छोर खोज लेगा वही श्रेष्ठ कहलाएगा।”

विष्णु जी ने विनम्रता से स्वीकार किया कि वे छोर तक नहीं पहुँच सके। लेकिन ब्रह्मा जी ने छल का सहारा लिया। उन्होंने केतकी पुष्प से कहा कि वह झूठी गवाही दे दे कि ब्रह्मा जी छोर तक पहुँचे। फूल ने भी सहमति दे दी।

शिव जी प्रकट हुए और बोले – “ब्रह्मा, तुमने असत्य का सहारा लिया है। इसलिए तुम्हारी कहीं पूजा नहीं होगी।” इसी के साथ उन्होंने केतकी पुष्प को भी श्राप दिया कि वह किसी देव पूजन में स्वीकार्य नहीं होगा। आज तक शिवलिंग पर केतकी नहीं चढ़ाई जाती।

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देवी सरस्वती और ब्रह्मा जी से जुड़ा प्रसंग

कथाओं में एक और प्रसंग आता है। देवी सरस्वती ब्रह्मा जी की पुत्री कही गई हैं। माना जाता है कि ब्रह्मा जी का उन पर अनुचित आकर्षण हुआ। यह धर्म मर्यादा का उल्लंघन था। शिव जी इस आचरण से क्रोधित हुए और ब्रह्मा जी का पाँचवाँ सिर काट दिया। इसी से उन्हें ब्रह्महत्या का दोष लगा और उनकी पूजा निषिद्ध मानी गई। कहा जाता है कि हरिद्वार का ब्रह्मकुंड इसी घटना से जुड़ा है, जहाँ आज भी पितरों का श्राद्ध किया जाता है।

कलयुग में क्यों नहीं होती ब्रह्मा जी की पूजा?

शास्त्रों के अनुसार, कलयुग में किसी भी शुभ कार्य – विवाह, यज्ञ, हवन या पूजा – में ब्रह्मा जी का नाम नहीं लिया जाता। यह परंपरा शिव जी के श्राप से जुड़ी है। इस प्रकार, त्रिदेवों में स्थान रखने के बावजूद वे उपासना से दूर रहे।

भारत में ब्रह्मा जी के प्रमुख मंदिर?

ब्रह्मा जी का मुख्य और सबसे प्रसिद्ध मंदिर राजस्थान के पुष्कर में स्थित है, जो पवित्र पुष्कर झील के पास है और इसे “जगतपिता ब्रह्मा मंदिर” के नाम से जाना जाता है; यह पूरे भारत में ब्रह्मा जी को समर्पित एकमात्र प्रमुख मंदिर है, हालाँकि अन्य छोटे मंदिर और प्रतिमाएँ भी देश के विभिन्न हिस्सों में मौजूद हैं, जैसे आसोतरा (राजस्थान) और  कुम्भकोणम
(तमिलनाडु)। 

घर में ब्रह्मा जी की पूजा क्यों नहीं की जाती?

  • गृहस्थ जीवन में ब्रह्मा उपासना का विधान नहीं
  • वेदों में गृहस्थ के लिए विष्णु और शिव पूजा अधिक उपयुक्त मानी गई
  • ब्रह्मा जी की पूजा सन्न्यास और यज्ञ परंपरा से जुड़ी है
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क्या ब्रह्मा जी की पूजा करना वर्जित है?

❌ नहीं
लेकिन
✔️ सामान्य नहीं है

विशेष परिस्थितियों और स्थानों पर ही उनकी पूजा का विधान है।

ब्रह्मा जी का आध्यात्मिक संदेश

ब्रह्मा जी की कथा हमें सिखाती है—

  • अहंकार ज्ञान को नष्ट कर देता है
  • सत्य से बड़ा कोई धर्म नहीं
  • सृष्टि की रचना से अधिक महत्वपूर्ण उसका संतुलन है

ब्रह्मा तत्व आज भी पूज्य क्यों है?

  • वेद, मंत्र और ज्ञान
  • गायत्री मंत्र
  • सृजनात्मक ऊर्जा
  • चेतना का आरंभ

निष्कर्ष

भगवान ब्रह्मा की पूजा न होना कोई रहस्य नहीं, बल्कि—

  • उनके कर्मों का परिणाम
  • पौराणिक मर्यादाओं का पालन
  • त्रिदेवों के कार्यों का संतुलन

आज भी ब्रह्मा जी—

  • ज्ञान में
  • वेदों में
  • सृष्टि के हर कण में

विद्यमान हैं।

ब्रह्मा जी की पूजा भले ही कम हो, लेकिन उनका योगदान अनंत है।