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मकर संक्रांति 2026 से मौनी अमावस्या तक? जानिए कब कौन-सा महापर्व पड़ेगा..

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जनवरी का महीना हिंदू धर्म और ज्योतिष की दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है। यह वही समय होता है जब सूर्य उत्तरायण होते हैं, देवताओं का दिन आरंभ होता है और माघ मास जैसे पुण्यदायक महीने की शुरुआत होती है। वर्ष 2026 में जनवरी का महीना विशेष रूप से धार्मिक दृष्टि से अत्यंत फलदायी है क्योंकि इसी महीने मकर संक्रांति, पौष पूर्णिमा, माघ स्नान, गुप्त नवरात्रि और अंत में मौनी अमावस्या जैसे महापर्व पड़ रहे हैं। यह पूरा कालखंड साधना, दान, स्नान और आत्मशुद्धि के लिए सर्वोत्तम माना गया है।

पौष मास का समापन और माघ मास का आरंभ

जनवरी 2026 की शुरुआत पौष मास के अंतिम चरण से होती है। पौष मास का अंतिम बड़ा पर्व पौष पूर्णिमा है, जो वर्ष 2026 में जनवरी के पहले सप्ताह में पड़ती है। पौष पूर्णिमा का विशेष महत्व स्नान-दान और पितृ तर्पण के लिए माना गया है। इसी पूर्णिमा के अगले दिन से माघ मास का शुभारंभ होता है, जिसे हिंदू धर्म में “पवित्र मास” कहा गया है।

माघ मास का नाम आते ही गंगा स्नान, कल्पवास, व्रत-नियम और तपस्या का स्मरण होता है। प्रयागराज, हरिद्वार, वाराणसी और अन्य तीर्थों में माघ स्नान का विशेष महत्व माना जाता है। माना जाता है कि माघ मास में किया गया स्नान और दान हजारों यज्ञों के बराबर पुण्य देता है। जनवरी 2026 का पूरा महीना पौष मास के अंतिम चरण और माघ मास के आरंभ से जुड़ा हुआ है। शास्त्रों में कहा गया है कि माघ मास में किया गया छोटा-सा पुण्य भी अक्षय फल देता है। यही कारण है कि इस महीने को “पुण्य मास” कहा गया है।

<strong data-start="239" data-end="283">2026 का व्रत-त्योहार कैलेंडर </strong>

1 जनवरी 2026, गुरुवार प्रदोष व्रत
 3 जनवरी 2026, शनिवार पौष पूर्णिमा
 6 जनवरी 2026, मंगलवार सकट चौथ
13 जनवरी 2026 लोहड़ी
14 जनवरी 2026, बुधवार मकर संक्रांति, षटतिला एकादशी, पोंगल, उत्तरायण
16 जनवरी, शुक्रवार   प्रदोष व्रत, मासिक शिवरात्रि
18 जनवरी 2026, रविवार मौनी अमावस्या
23 जनवरी 2026, शुक्रवार  बसंत पंचमी
 25 जनवरी 2026, रविवार रथ सप्तमी
 26 जनवरी, 2026, सोमवार भीष्म अष्टमी
29 जनवरी, 2026, रविवार जया एकादशी
30 जनवरी, शुक्रवार  प्रदोष व्रत

प्रदोष व्रत – 1 जनवरी 2026

प्रदोष व्रत भगवान शिव की आराधना के लिए रखा जाता है। माघ मास का प्रदोष व्रत विशेष फलदायी माना गया है। इस दिन संध्या काल में शिवलिंग पर जल, बेलपत्र और धूप-दीप अर्पित करने से शिव कृपा प्राप्त होती है।

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मान्यता है कि प्रदोष व्रत रखने से रोग, शोक और मानसिक कष्ट दूर होते हैं तथा जीवन में स्थिरता आती है।

पौष पूर्णिमा – 3 जनवरी 2026

जनवरी 2026 की शुरुआत पौष पूर्णिमा से होती है। पौष पूर्णिमा का विशेष महत्व स्नान, दान और पितृ तर्पण के लिए माना गया है। इस दिन पवित्र नदियों में स्नान करने से पापों का नाश होता है और पुण्य की प्राप्ति होती है। पौष पूर्णिमा के दिन अन्न, वस्त्र, तिल और घी का दान विशेष फलदायी माना गया है।

धार्मिक मान्यता है कि पौष पूर्णिमा के दिन किए गए दान से पूर्वज प्रसन्न होते हैं और परिवार में सुख-शांति बनी रहती है। कई स्थानों पर इसी दिन से कल्पवास का आरंभ भी होता है, जो माघ मास तक चलता है।

माघ मास का आरंभ – 4 जनवरी 2026

पौष पूर्णिमा के अगले दिन से माघ मास का शुभारंभ होता है। माघ मास को सभी महीनों में सबसे पवित्र माना गया है। पुराणों में कहा गया है कि माघ मास में गंगा स्नान करने से मनुष्य को मोक्ष की प्राप्ति होती है।

माघ मास के दौरान प्रातःकाल स्नान, सूर्य को अर्घ्य, भगवान विष्णु और शिव की पूजा का विशेष महत्व है। इस महीने में नियम, संयम और सात्विक जीवन अपनाने से जीवन में सकारात्मक बदलाव आते हैं।

संकष्टी चतुर्थी – 6 जनवरी 2026

जनवरी 2026 में माघ कृष्ण पक्ष की संकष्टी चतुर्थी का व्रत 6 जनवरी को रखा जाएगा। यह व्रत भगवान गणेश को समर्पित होता है। इस दिन उपवास रखकर चंद्र दर्शन के बाद व्रत खोलने की परंपरा है।

संकष्टी चतुर्थी का व्रत विशेष रूप से संकटों से मुक्ति, मानसिक शांति और कार्यों में सफलता के लिए किया जाता है। मान्यता है कि इस व्रत से जीवन के बड़े से बड़े संकट भी दूर हो जाते हैं।

लोहड़ी – 13 जनवरी 2026

लोहड़ी उत्तर भारत का प्रमुख लोकपर्व है, जिसे विशेष रूप से पंजाब, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश और दिल्ली में बड़े उत्साह से मनाया जाता है। यह पर्व मकर संक्रांति से एक दिन पहले आता है और शीत ऋतु के अंत तथा नई फसल के स्वागत का प्रतीक माना जाता है।

षटतिला एकादशी – 14 जनवरी 2026

माघ कृष्ण पक्ष की एकादशी को षटतिला एकादशी कहा जाता है। यह एकादशी भगवान विष्णु को समर्पित होती है। इस दिन तिल का विशेष महत्व होता है। तिल से स्नान, तिल का दान और तिल का सेवन पुण्यदायक माना गया है।

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षटतिला एकादशी का व्रत करने से दरिद्रता दूर होती है और व्यक्ति को धन-समृद्धि की प्राप्ति होती है। यह एकादशी पापों के नाश और मोक्ष प्राप्ति के लिए भी अत्यंत महत्वपूर्ण मानी जाती है।

मकर संक्रांति – 14 जनवरी 2026

सूर्य के उत्तरायण होने का महापर्व

जनवरी 2026 का सबसे बड़ा और सबसे प्रसिद्ध पर्व मकर संक्रांति 14 जनवरी को मनाया जाएगा। यह वह दिन होता है जब सूर्य धनु राशि से निकलकर मकर राशि में प्रवेश करते हैं। ज्योतिष के अनुसार यही समय सूर्य के उत्तरायण होने का होता है, जिसे देवताओं का दिन कहा गया है।

मकर संक्रांति का महत्व केवल धार्मिक ही नहीं बल्कि खगोलीय और आध्यात्मिक भी है। इस दिन से शुभ कार्यों की शुरुआत मानी जाती है। विवाह, गृह प्रवेश, यज्ञ, दीक्षा और बड़े धार्मिक अनुष्ठान इसी समय से आरंभ होते हैं।

मकर संक्रांति के दिन स्नान, दान और जप का विशेष महत्व है। तिल, गुड़, खिचड़ी, तिल का तेल और गर्म वस्त्रों का दान अत्यंत शुभ माना गया है। माना जाता है कि इस दिन दान करने से जीवन के पाप कटते हैं और पुण्य की वृद्धि होती है।

उत्तरायण काल का आरंभ और देवताओं का जागरण

मकर संक्रांति के साथ ही उत्तरायण काल आरंभ हो जाता है। शास्त्रों में कहा गया है कि उत्तरायण में शरीर त्याग करने वाले को मोक्ष की प्राप्ति होती है। यही कारण है कि भीष्म पितामह ने उत्तरायण की प्रतीक्षा की थी।

जनवरी 2026 में उत्तरायण का आरंभ होते ही साधना, मंत्र-जप और व्रतों का फल कई गुना बढ़ जाता है। जो लोग आध्यात्मिक उन्नति चाहते हैं, उनके लिए यह समय अत्यंत श्रेष्ठ माना गया है।

माघ कृष्ण पक्ष की तिथियाँ और उनका महत्व

मकर संक्रांति के बाद माघ मास का कृष्ण पक्ष आरंभ होता है। इस दौरान आने वाली प्रत्येक तिथि का अपना विशेष धार्मिक महत्व है। माघ कृष्ण पक्ष में एकादशी, प्रदोष व्रत और मासिक शिवरात्रि जैसे व्रत आते हैं।

माघ मास में शिव पूजा का विशेष महत्व बताया गया है। माना जाता है कि इस महीने में शिवलिंग पर जल अर्पित करने से जीवन के सभी कष्ट दूर होते हैं। जो लोग मानसिक तनाव, रोग या आर्थिक समस्याओं से परेशान हैं, उनके लिए माघ मास की शिव आराधना अत्यंत फलदायी होती है।

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षष्ठी व्रत – 18 जनवरी 2026

षष्ठी व्रत संतान सुख और परिवार की रक्षा के लिए किया जाता है। माघ मास की षष्ठी का विशेष महत्व है। इस दिन माता स्कंदमाता और भगवान कार्तिकेय की पूजा की जाती है।

गुप्त नवरात्रि – जनवरी 2026

जनवरी 2026 में माघ मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से गुप्त नवरात्रि का शुभारंभ होता है। यह नवरात्रि विशेष रूप से साधकों, तांत्रिकों और सिद्धि-साधना करने वालों के लिए महत्वपूर्ण मानी जाती है।

गुप्त नवरात्रि में मां दुर्गा के दस महाविद्या स्वरूपों की पूजा की जाती है। यह साधना गुप्त रूप से की जाती है, इसलिए इसे गुप्त नवरात्रि कहा जाता है। माना जाता है कि इस समय की गई साधना शीघ्र फल प्रदान करती है।

माघ शुक्ल पक्ष की एकादशी और द्वादशी

माघ मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी का विशेष महत्व विष्णु भक्तों के लिए बताया गया है। इस दिन व्रत रखने से मोक्ष की प्राप्ति होती है और जन्म-जन्मांतर के पाप नष्ट होते हैं। द्वादशी के दिन ब्राह्मण भोजन और दान करना अत्यंत शुभ माना गया है।

मौनी अमावस्या – 29 जनवरी 2026

माघ मास का सबसे बड़ा स्नान पर्व

जनवरी 2026 का अंतिम और सबसे महत्वपूर्ण पर्व मौनी अमावस्या 29 जनवरी को पड़ रहा है। मौनी अमावस्या को माघ मास का सबसे पवित्र दिन माना जाता है। इस दिन मौन रहकर स्नान, ध्यान और दान करने की परंपरा है।

मौनी अमावस्या के दिन गंगा, यमुना, सरस्वती और अन्य पवित्र नदियों में स्नान करने से असंख्य पुण्य प्राप्त होता है। प्रयागराज में इस दिन का स्नान कुंभ स्नान के समान फलदायी माना गया है।

मौन का अर्थ केवल बोलना बंद करना नहीं, बल्कि मन, वाणी और कर्म से संयम रखना है। माना जाता है कि मौनी अमावस्या के दिन मौन रहकर किया गया जप और ध्यान सीधे आत्मा को शुद्ध करता है।

निष्कर्ष
जनवरी 2026 का महीना वास्तव में महापर्वों का संगम है। मकर संक्रांति से लेकर मौनी अमावस्या तक का यह पूरा समय साधना, स्नान, दान और आत्मिक उन्नति के लिए सर्वोत्तम है। 
जो व्यक्ति इस पूरे कालखंड में नियम, श्रद्धा और विश्वास के साथ व्रत-उपवास और पूजा करता है, उसे जीवन में सुख, शांति और समृद्धि की प्राप्ति होती है।
यह महीना केवल पर्व मनाने का नहीं, बल्कि अपने जीवन को शुद्ध और संतुलित करने का अवसर भी प्रदान करता है।