जानिए अनंत चतुर्थी के दिन गणेश विसर्जन का सही समय और शुभ मुहूर्त, पढ़ें व्रत की महिमा और विधान
Anant Chaturdashi Ganesha Visarjan: आज अनंत चतुर्दशी है और इस खास दिन श्री विष्णु के अनंत रूप की उपासना की जाती है। अनंत चतुर्दशी के दिन भगवान के अनंत स्वरूप के लिए व्रत रखा जाता है। साथ ही इस दिन अनंत सूत्र भी बांधा जाता है। मान्यता के अनुसार अनंत सूत्र पहनने से मनुष्य के सभी दुखों और परेशानियों का नाश होता है और जीवन में खुशियां आती हैं।
हिंदू कैलेंडर के अनुसार अनंत चतुर्दशी हर साल भादो माह शुक्ल पक्ष की चौदस यानी कि 14वें दिन मनाई जाती है। गणेश चतुर्थी के 10 दिन बाद 11वें दिन अनंत चतुर्दशी आती है।
- तिथि: दिनांक 12 सितंबर को अनन्त चतुर्दशी है
- चतुर्दशी तिथि प्रारंभ: प्रातः 05 बजकर 05 मिनट पर चतुर्दशी आरम्भ होगा
- चतुर्दशी तिथि समाप्त: 13 सितंबर को 07 बजकर 34 मिनट पर समाप्त होगा
- जो लोग अनंत चतुर्दशी व्रत रखेंगे वो 13 को 07 बजकर 34 मिनट के बाद पारण करेंगे
करें इस मंत्र का जाप-
अनंत संसार महासुमद्रे मग्रं समभ्युद्धर वासुदेव।
अनंतरूपे विनियोजयस्व ह्रानंतसूत्राय नमो नमस्ते।।
अनंत चतुर्दशी की पूजा विधि
प्रातः ब्रम्हमुहूर्त में उठना चाहिए। पूजा घर में कलश स्थापित करिए। भगवान विष्णु की तस्वीर या मूर्ति के सामने अनंत धागा रखें। अब श्री विष्णुसहस्रनाम का पाठ करें। इस दिन पूड़ी हलवा भी बनता है। दान करके तब प्रसाद ग्रहण किया जाता है। व्रत के समय मन को सात्विक रखें। किसी से छल कपट मत करें। असत्य मत बोलें।
अनंत चतुर्दशी के दिन गणपति विजर्सन की परंपरा
अनंत चतुर्दशी के ही दिन गणेश की प्रतिमा का विसर्जन भी होता है। यह परंपरा कई सालों से चली आ रही है। विनायक की प्रतिमा को उठाने से पहले उनकी विधिवत पूजा की जाती है और मोदक का भोग लगाया जाता है। महाराष्ट्र सहित उत्तर भारत के कई हिस्सों में गणेश चतुर्थी की बड़ी मान्यता है। ऐसे में गणेश की प्रतिमा को 3, 5, 7, 10 दिन के बाद पानी में विसर्जित कर दिया जाता है।
अनंत चतुर्दशी पर गणेश विसर्जन (Ganpati Visarjan) का शुभ मुहूर्त-
- सुबह – प्रातः 06:16 से प्रातः 07:48 तक
- फिर प्रातः 10:51 से प्रातः 03:27 तक
- दोपहर मुहूर्त – शाम 04:59 से शाम 06:30 तक
- शाम मुहूर्त (अमृता, चर) – प्रातः 06:30 अपराह्न से 09:27 बजे
- रात्रि मुहूर्त (लब) – 12:23 AM से 01:52 AM, 13 सितंबर
- चतुर्दशी तिथि शुरू होती है – 05:06 AM 12 सितंबर, 2019 को
- चतुर्दशी तिथि समाप्त – 07:35 AM 13 सितंबर, 2019 को
कैसे करें गणपति विसर्जन:
गणेश जी को विदा करने से पहले भोग लगाएं। आरती करते समय पवित्र मंत्रों का स्वास्तिवाचन करें। लकड़ी का एक पटरा लें। उसे गंगाजल से साफ करें। घर की महिला इस पटरे पर स्वास्तिक बनाए। फिर पटरे पर अक्षत रखने के बाद पीला, गुलाबी या लाल रंग का वस्त्र बिछाएं। फिर जिस स्थान पर गणपति की स्थापना की गई हैं वहां से भगवान को उठा कर पटरे पर रखें।
गणेश जी को विराजमान करने के बाद पटरे पर फल, फूल, पांच मोदक रखें। उसके बाद एक छोटी लकड़ी लेकर उसमें गेहूं, चावल और पंच मेवा की पोटली बनाकर बांधें। और कुछ सिक्के रखें। नदी या तालाब में गणपति का विसर्जन करने से पहले फिर से उनकी आरती करें। इसके बाद भगवान से प्रार्थना करें, अपनी इच्छा बताएं और अपनी भूल के लिये क्षमा मांगें। फिर पूरे मान सम्मान के साथ गणेश जी की हर चीजों को एक एक कर के पानी में विसर्जित करें।