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पार्थिव शिवलिंग की पूजा क्यों की जाती है? शास्त्रों में क्या कहा गया है…

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हिंदू धर्म में भगवान शिव को संहारकर्ता, करुणामय और शीघ्र प्रसन्न होने वाले देवता माना गया है। शिव उपासना के अनेक रूप हैं—रुद्राभिषेक, महामृत्युंजय जप, शिवलिंग पूजन, व्रत और साधनाएँ। इन्हीं में एक अत्यंत पवित्र, सरल और फलदायी साधना है पार्थिव शिवलिंग की पूजा। यह पूजा मिट्टी से बने शिवलिंग द्वारा की जाती है, इसलिए इसे ‘पार्थिव’ कहा जाता है। शास्त्रों में पार्थिव शिवलिंग पूजा को विशेष पुण्यदायी बताया गया है, जो मनोकामनाओं की पूर्ति, दोष शांति, आत्मिक शुद्धि और मोक्ष मार्ग को प्रशस्त करती है।

पार्थिव शिवलिंग क्या है?

‘पार्थिव’ शब्द का अर्थ है—पृथ्वी तत्व से निर्मित। पार्थिव शिवलिंग शुद्ध, पवित्र मिट्टी (साधारणतः नदी, तालाब या बगीचे की स्वच्छ मिट्टी) से बनाया जाता है। यह शिवलिंग स्थायी नहीं होता, बल्कि पूजा पूर्ण होने के बाद इसे जल में प्रवाहित या मिट्टी में विसर्जित कर दिया जाता है। शिव पुराण के अनुसार, स्वयं भगवान शिव ने पार्थिव शिवलिंग पूजा की महिमा का वर्णन किया है। यह पूजा साधक को अहंकार, लोभ और विकारों से मुक्त कर शिव‑तत्व के समीप ले जाती है।

पार्थिव शिवलिंग की पूजा क्यों की जाती है?

पार्थिव शिवलिंग की पूजा के पीछे आध्यात्मिक, धार्मिक और व्यावहारिक—तीनों कारण हैं:

शीघ्र फलदायी साधना – पार्थिव शिवलिंग पूजा से भगवान शिव शीघ्र प्रसन्न होते हैं।

दोष निवारण – कालसर्प दोष, पितृ दोष, ग्रह दोष, विवाह में बाधा, संतान बाधा आदि में यह पूजा विशेष लाभ देती है।

मनोकामना पूर्ति – श्रद्धा और नियमपूर्वक की गई पूजा से इच्छित फल प्राप्त होता है।

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अहंकार का त्याग – मिट्टी से बना शिवलिंग यह सिखाता है कि सब कुछ नश्वर है।

आत्मिक शुद्धि – यह साधना मन, वाणी और कर्म को पवित्र करती है।

मोक्ष साधना – पार्थिव शिवलिंग पूजा को मोक्ष मार्ग की उत्तम साधना माना गया है।

पार्थिव शिवलिंग पूजा का धार्मिक महत्व

शास्त्रों में कहा गया है कि एक पार्थिव शिवलिंग की पूजा, हजारों स्थायी शिवलिंग पूजन के बराबर पुण्य देती है। कार्तिक मास, श्रावण मास, महाशिवरात्रि, प्रदोष व्रत और सोमवार के दिन इसका महत्व और भी बढ़ जाता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, माता पार्वती ने भी भगवान शिव को प्राप्त करने के लिए पार्थिव शिवलिंग की पूजा की थी।

पार्थिव शिवलिंग पूजा के लाभ

1. मानसिक शांति

नियमित पूजा से तनाव, भय, चिंता और नकारात्मक विचार कम होते हैं।

2. विवाह संबंधी समस्याओं का समाधान

विवाह में देरी, वैवाहिक कलह या मनचाहे जीवनसाथी की प्राप्ति हेतु यह पूजा फलदायी मानी जाती है।

3. संतान प्राप्ति

संतान सुख में बाधा होने पर पार्थिव शिवलिंग पूजा विशेष लाभ देती है।

4. आर्थिक उन्नति

व्यवसाय और नौकरी में आ रही रुकावटें दूर होती हैं।

5. स्वास्थ्य लाभ

शिव कृपा से रोगों में कमी और आरोग्य की प्राप्ति होती है।

6. आध्यात्मिक उन्नति

साधक की चेतना का विकास होता है और ध्यान में स्थिरता आती है।

पार्थिव शिवलिंग पूजा की सामग्री

पार्थिव शिवलिंग पूजा के लिए निम्न सामग्री की आवश्यकता होती है:

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शुद्ध मिट्टी

स्वच्छ जल

पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद, शक्कर)

बेलपत्र

धतूरा, आक फूल

चंदन

भस्म

धूप, दीप

नैवेद्य (फल, मिठाई)

जनेऊ

फूल

आसन

पार्थिव शिवलिंग बनाने की विधि

शुद्ध स्थान से मिट्टी लाएँ।

मिट्टी को छानकर पत्थर‑कंकर अलग करें।

स्वच्छ जल मिलाकर नरम करें।

अपने हाथों से ध्यानपूर्वक शिवलिंग का आकार दें।

शिवलिंग बनाते समय ‘ॐ नमः शिवाय’ मंत्र का जप करें।

पार्थिव शिवलिंग पूजा की संपूर्ण विधि

1. संकल्प

पूजा प्रारंभ से पूर्व पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख करके संकल्प लें—अपने नाम, गोत्र और उद्देश्य का उच्चारण करें।

2. आवाहन

भगवान शिव का ध्यान कर उन्हें शिवलिंग में आमंत्रित करें।

3. अभिषेक

क्रमशः जल, दूध, दही, घी, शहद और शक्कर से अभिषेक करें।

4. वस्त्र और चंदन

शिवलिंग पर चंदन, भस्म और जनेऊ अर्पित करें।

5. पुष्प और बेलपत्र अर्पण

बेलपत्र तीन पत्तियों वाला होना चाहिए।

6. मंत्र जप

कम से कम 108 बार ‘ॐ नमः शिवाय’ का जप करें।

7. आरती

शिव आरती करें और क्षमा प्रार्थना करें।

पूजा के बाद विसर्जन विधि

पूजा पूर्ण होने के बाद पार्थिव शिवलिंग को:

बहते जल में प्रवाहित करें, या

किसी पवित्र वृक्ष की जड़ में मिट्टी में मिला दें।

घर में इसे स्थायी रूप से न रखें।

पार्थिव शिवलिंग पूजा में नियम और सावधानियाँ

ब्रह्मचर्य और शुद्ध आचरण रखें।

पूजा के दिन मांस‑मदिरा का सेवन न करें।

क्रोध और नकारात्मक विचारों से बचें।

स्त्रियाँ मासिक धर्म में यह पूजा न करें।

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शिवलिंग का अपमान न हो, इसका विशेष ध्यान रखें।

पार्थिव शिवलिंग की पूजा कौन कर सकता है?

1. गृहस्थ

सभी गृहस्थ स्त्री‑पुरुष श्रद्धापूर्वक यह पूजा कर सकते हैं।

2. अविवाहित युवक‑युवतियाँ

विवाह की इच्छा रखने वाले साधक यह पूजा कर सकते हैं।

3. साधक और तपस्वी

ध्यान और साधना में रुचि रखने वाले साधकों के लिए यह श्रेष्ठ साधना है।

4. विद्यार्थी

एकाग्रता और मानसिक स्थिरता के लिए विद्यार्थी भी यह पूजा कर सकते हैं।

किन लोगों को सावधानी रखनी चाहिए?

जिनके गुरु ने मना किया हो

अत्यधिक अस्वस्थ व्यक्ति

जिनके पास पूजा के नियमों का पालन संभव न हो

ऐसे लोगों को पहले योग्य गुरु या विद्वान से परामर्श लेना चाहिए।

पार्थिव शिवलिंग पूजा और आधुनिक जीवन

आज के तनावपूर्ण जीवन में पार्थिव शिवलिंग पूजा मानसिक संतुलन और आत्मिक शांति का श्रेष्ठ साधन है। यह हमें प्रकृति से जोड़ती है और जीवन के असली सत्य—नश्वरता और शिव‑तत्व—का बोध कराती है।

निष्कर्ष

पार्थिव शिवलिंग की पूजा एक सरल, सुलभ और अत्यंत प्रभावशाली शिव साधना है। श्रद्धा, नियम और भक्ति से की गई यह पूजा जीवन के कष्टों को दूर कर सुख, शांति और समृद्धि प्रदान करती है। 
यह न केवल सांसारिक समस्याओं का समाधान है, बल्कि आत्मा को शिव के निकट ले जाने का माध्यम भी है।  जो भी साधक सच्चे मन से भगवान शिव की कृपा पाना चाहता है, 
उसके लिए पार्थिव शिवलिंग पूजा एक श्रेष्ठ मार्ग है।
ॐ नमः शिवाय