Other Articles

ज्योतिष का स्त्री के प्रति दृष्टिकोण

281views

future-for-you-lh12.jpg

ग्रहों और राशियों को भी स्त्री और पुरूष वर्गों में बांटा गया है। मेष, मिथुन, सिंह, तुला, धनु और कुंभ को पुरूष राशि और वृष, कर्क, कन्या, वृश्चिक, मकर और मीन राशियों को स्त्री राशि कहा गया है। इसी प्रकार चंद्रमा और शुक्र जहां स्त्री स्वभाव ग्रह है वहीं सूर्य, मंगल और गुरू पुरूष ग्रह हैं। स्त्री जातकों में स्त्री राशि और स्त्री ग्रहों का प्रभाव अधिक होने पर स्त्रैण गुण अपेक्षाकृत अधिक मात्रा में होंगे।
ऐसा देखा गया कि जिन मामलों में पुरूष जातकों की तुलना में स्त्री जातकों का विश्लेषण किया जाता है, उनमें स्त्री जातकों के लिए अलग नियम दिए गए हैं। शेष योगायोगों के मामले में स्त्री और पुरूष जातकों को कमोबेश एक ही प्रकार से फलादेश दिए जाते हैं। जिस स्त्री की कुण्डली में पुरूष राशियों और पुरूष ग्रहों की भूमिका अधिक होती है, उनका जीवन में कमोबेश पुरूषों की तरह होता है। भारी आवाज, बड़े डील-डौल, उत्साह के साथ आगे बढ़कर काम करने वाली महिलाओं को देखकर ही समझा जा सकता है कि उनकी कुंडली में पुरूष राशियों और सूर्य, मंगल और गुरू जैसे ग्रहों का प्रभाव अधिक है।
बृहस्पति देता है सांसारिक सुख
पुरूष कुंडली में जहां शुक्र सांसारिकता और दैहिक सुख के लिए देखा जाता है वहीं स्त्री जातक के लिए गुरू महत्वपूर्ण है। स्त्री जातक के लिए उसके पति का प्रगति करना सौभाग्य का प्रतीक माना जाता है। जिस स्त्री जातक की कुंडली में वृहस्पति शुभ स्थान और शुभ प्रभाव में होता है, उसे सामाजिक मान प्रतिष्ठा और सांसारिक सुख सहजता से मिलते हैं। वृहस्पति खराब होने पर स्त्री जातक को अपमान और उपेक्षा झेलनी पड़ सकती है। ?से में अधिकांश स्त्री जातकों को गुरू का रत्न पुखराज पहनने की सलाह दी जाती है। पुखराज रत्न सोने की अंगूठी में पहनने से गुरू का प्रभाव बढ़ जाता है। जिन जातकों के गुरू मारक या बाधकस्थानाधिपति होता है, उनके अलावा सभी स्त्री जातकों को बेधड़क पुखराज पहनाया जा सकता है।
मंगल भाता है महिलाओं को सामान्य तौर पर ऋतुस्त्राव के दौरान स्त्रियों के रक्त की हानि होती है। ज्योतिष में इसे मंगल के ह्रास के रूप में देखा जाता है। मंगल के इस नुकसान की भरपाई के लिए सुहागिनों को लाल बिंदी लगाने, लाल चूडियां पहनने, लाल साड़ी एवं लाल रंग का सिंदूर लगाने की सलाह दी जाती है। लाल रंग को धारण करने से मंगल का तेज महिलाओं को फिर से प्राप्त हो सकता है।
हालांकि लोकमान्यता में अधिकांशतया इसे सुहाग से जोड़ा जाता है, लेकिन ज्योतिषीय दृष्टिकोण से यह मंगल के नुकसान की भरपाई है। सामाजिक मान्यताओं में वैधव्य का दोष स्त्रियों को दिया जाता है। स्त्री के मांगलिक हो और उसका पति मांगलिक न हो तो ?सा माना जाता है कि स्त्री हावी रहेगी और दांपत्य जीवन में तनाव रहेगा। अगर मंगल और शनि आठवें स्थान पर हो तो उसे चूंदड़ी मंगल कहा जाता है। ?सी स्थिति में मंगल वैधव्य के योग बनाता है। विधुर की तुलना में विधवा को पुरूष प्रधान समाज में अधिक समस्याओं को सामना करना पड़ सकता है। इसे देखते हुए कुंडली मिलान के समय पुरूष की तुलना में स्त्री के मंगल पर अधिक ध्यान दिया जाता है।
बुध और शनि की भूमिका
बुध और शनि ग्रहों को नपुंसक ग्रह बताया गया है। पुरूष कुण्डली में जहां शनि पीड़ादायी ग्रह है वहीं स्त्री जातक के लिए बुध पीड़ादायी ग्रह सिद्ध होता है। बुध के प्रभाव में एक ही रूटीन में लंबे समय तक बने रहना और एक जैसी क्रियाओं को लगातार दोहराते रहना पुरूष के लिए आसान है, पर स्त्री जातकों के लिए यह पीड़ादायी सिद्ध होता है। ?से में महिलाओं को अपनी दिनचर्या, कपड़े, रहने का तौर तरीका लगातार बदलते रहने की सलाह दी जाती है। इससे उनकी जिंदगी में दुख और तकलीफ का असर कम होता है। परिधान की बात की जाए तो महिलाओं को परिधानों का रंग भी लगातार बदलना चाहिए।
चंद्रमा देता है रचनात्मकता
जिस स्त्री जातक की कुंडली में चंद्रमा अच्छी स्थिति में होता है, वे हंसमुख और रचनात्मक होती हैं। हर काम में सक्रिय रहती हैं और उनमें नया काम करने की ललक होती है। राहू, केतू, बुध और शनि के कारण चंद्रमा पीडित हो तो स्त्री कर्कशा, रूदन करने वाली या कलहप्रिय होती है। ?सी स्त्रियों को रोजाना सुबह खाली पेट मिश्री के साथ मक्खन खाने की सलाह दी जाती है। चंद्रमा पीडित होने पर शरीर में खनिज तत्वों और कैल्शियम की कमी हो जाती है। मक्खन में उपलब्ध खनिज तत्व एवं कैल्शियम जातक के केन्द्रीय तंत्रिका तंत्र को फिर से दुरूस्त करता है और जातक हंसने खिलखिलाने लगता है।
स्त्री और अंग लक्षण
शारीरिक चिह्नों के आधार पर स्त्री को पुरूष के लक्षण अलग-अलग बताए गए हैं। पुरूष की कुंडली में जहां शंख, पद्म एवं चक्र जैसे चिह्न शरीर के दाएं अंग में शुभ बताए गए हैं, वहीं स्त्री जातक की कुंडली में ये चिह्न बाएं अंग में शुभ माने गए हैं। स्त्री जातक के ललाट, आंख, गाल, कंधे, हाथ, वक्ष, उदर एवं पांव के बाएं भागों में तिल को शुभ माना गया है। अंगों की स्फुरण के मामले में भी स्त्री के बाएं अंगों में स्फुरण को शुभ बताया गया है। हस्तरेखा शास्त्र में ?सा माना जाता है कि पुरूष का बायां हाथ उसे अपने पूर्व जन्मों के कर्मों के अनुसार मिला है, जबकि दायां हाथ इस जीवन के भाग्य और कर्म का लेखा जोखा रखता है, इसके उलट स्त्री जातक के बाएं हाथ को अधिक तरजीह दी जाती रही है। बदलते जमाने के अनुसार अब कुछ ज्योतिषी कामकाजी या खुद निर्णय लेने वाली स्त्रियों के दाएं हाथ का निरीक्षण भी करने लगे हैं।

ALSO READ  Canada's Better Lowest Deposit Casinos Inside the 2024

Pt.P.S Tripathi
Mobile no-9893363928,9424225005
Landline no-0771-4035992,4050500
Feel Free to ask any questions in