कार्तिक मास की त्रयोदशी धनत्रयोदशी के रूप में मनाई जाती है। इस दिन धनवंतरी समुद्र से अमृत कलश लेकर आये थे, इसलिए वैद्य जन आज के दिन धनवंतरी की पूजा करते हैं और इसे धनवंतरी जयंती कहते हैं। आज के दिन धरतेरस के पूजन और दीपदान को विधि पूर्वक करने से अकाल मृत्यु से छुटकारा मिलता है ऐसा यमराज ने यमदूतों को बताया। इस दिन यम की पूजा भी होती है। इस दिन स्त्रियाॅ आटे का चर्तुमुख तेल का दीपक बनाकर दरवाजे पर प्रज्जवलित करते हैं।
इस दिन लक्ष्मी कुबेर आदि की पूजा की जाती है। कहते हैं कि भगवान के श्राप से लक्ष्मीजी को 12 वर्ष के लिए किसान के घर पर रहना पड़ा बाद में जब किसान ने लक्ष्मी जी को वापस भेजने से इंकार कर दिया, तो लक्ष्मीजी ने किसान से कहा कि कल धनतेरस है तुम अपना घर स्वच्छ करके रात्रि में घी का दीपक जलाकर रखना और मेरी पूजा करना इसके बाद मैं तुम्हारे घर में स्थाई तौर पर वास करूंगी पर अदृश्य रहूॅगी। तभी से धनतेरस के दिन स्थिर लक्ष्मी की प्राप्ति के लिए लोग रात्रिकाल में घी का दीपक जलाकर लक्ष्मी-कुबेर का पूजन करते हैं।
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