रंभा एकादषी व्रत –
कार्तिक माह की कृष्ण पक्ष की एकादषी को रंभा एकादषी के रूप में मनाया जाता है। इस एकादषी के व्रत को करने से अनेकों पापों को नष्ट करने में समर्थ माना जाता हैं। इस दिन भगवान श्री कृष्ण की पूजा का विधान है। इस व्रत के दिन मिट्टी का लेप कर स्नान कर मंदिर में श्री कृष्ण पूजन करना चाहिए। इस व्रत में दस चीजों के त्याग का महत्व है जिसमें जौ, गेहूॅ, उडद, मूंग, चना, चावल और मसूर दाल, प्याज ग्रहण नहीं करना चाहिए। मौन रहकर गीता का पाठ या उपदेष सुनना चाहिए। पाप से बचना तथा हानि पहुॅचाने से बचना चाहिए। व्रत की समाप्ति पर दान-दक्षिणा कर फलो का भोग लगाया जाता है। व्रत की रात्रि जागरण करने से व्रत से मिलने वाले शुभ फलों में वृद्धि होती इस दिन व्रत करके चंद्रोदय होने पर दीपदान करने के उपरांत बैल या गाय करने की प्रथा प्राचीन समय में थी। ब्राम्हणों को दान तथा भोजन कराने के उपरांत व्रत का पारण करने से सर्वमनोकामना की पूर्ति होती है। अतः व्रत के करने से मानसिक शांति के साथ पारिवारिक सामंजस्य और सौहार्द बढ़ता है।
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