भाईदूज का त्योहार कार्तिक मास की शुक्लपक्ष की द्वितीया को मनाया जाता है। इस दिन बहनें भाई के कल्याण के लिए व्रत कर पूजा करती हैं और भाई बहन की रक्षा का वचन देता है। आज के दिन बहन भाईयों को तेल मलकर नदी में स्नान करना चाहिए। इस दिन भाईयों को बहन के यहाॅ ही भोजन करना चाहिए। बहने भाई को भोजन कराकर टीका करती हैं और भाई उनसे आर्शीवाद प्राप्त करते हैं तथा रक्षा का संकल्प करते हैं। एक बार की बात है कि सूर्य की पत्नी छाया जिसकी दो संताने थी यम और यमुना। बहन यमुना भाई यम से हमेशा आग्रह करती थी कि वे घर आकर भोजन करें लेकिन यम हमेशा टाल जाते। कार्तिक शुक्ल पक्ष की द्वितीया को यमराज ने नरक में निवास करने वाले जीवों को मुक्त कर दिया और बहन यमुना के पास चले आयें। भाई को देखते हुए बहन प्रसन्न हुई और स्वागत कर तिलक कर भोजन कराया और इससे यमराज प्रसन्न हुए। उन्होंने यमुना से वर मांगने को कहा तो बहन यमुना ने भाई से वर मांगा कि आप प्रतिवर्ष आज के ही दिन मेरे घर भोजन करने जरूर आयेंगे तथा इस दिन जो बहन अपने भाई को टीका कर भोजन कराये उसे आपका भय ना रहे। तभी से भाईदूज की परंपरा चली आ रही है।
Pt.P.S Tripathi
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