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मृत्यु के बाद आत्मा की यात्रा के प्रमुख 13 स्टेजेस

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शास्त्रों के अनुसार मृत्यु के बाद जीवात्मा के अनुभव और यात्रा के मुख्य चरण (Stages After Death as per Hindu Scriptures):

यह विवरण मुख्यतः गरुड़ पुराण, बृहदारण्यक उपनिषद, कठोपनिषद, भागवत पुराण, और योगवशिष्ठ जैसे ग्रंथों पर आधारित है।


मृत्यु के बाद आत्मा की यात्रा के प्रमुख 13 स्टेजेस (संक्षेप में):

क्रम अवस्था / स्टेज विवरण
1 मृत्यु काल (प्राण-त्याग) जब प्राण (Vital Energy) शरीर छोड़ता है, अंतिम श्वास रुक जाती है। पांच प्राण वायु (प्राण, अपान, समान, उदान, व्यान) शरीर से निकलती हैं।
2 शरीर से आत्मा का अलगाव आत्मा सूक्ष्म शरीर के साथ स्थूल शरीर से अलग होती है। कई बार आत्मा कुछ समय तक अपने मृत शरीर को देखती रहती है।
3 मोह-अवस्था (Attachment Phase) जीवात्मा का मोह परिवार, शरीर और संसार से बना रहता है। इस समय आत्मा असहाय और भ्रमित रहती है।
4 प्रेत अवस्था (Ghost-like State) मृत्यु के बाद 10 से 12 दिन तक आत्मा ‘प्रेत’ अवस्था में भटकती है। उसे भूख-प्यास लगती है लेकिन वो खा-पी नहीं पाती।
5 पिंडदान और श्राद्ध का प्रभाव जीवात्मा को आगे की यात्रा के लिए शक्ति और रास्ता पिंडदान, तर्पण और श्राद्ध से मिलता है। बिना इन संस्कारों के आत्मा भटक सकती है।
6 यमदूतों का आगमन (For Sinners) जिनका पाप अधिक होता है, उन्हें यमदूत पकड़कर ले जाते हैं। यमदूत भयंकर होते हैं, उनका दर्शन ही आत्मा को भयभीत कर देता है।
7 सूर्य मार्ग (For Virtuous Souls) पुण्यात्माएँ देवदूतों के साथ सूर्य मार्ग (Archiradi Marga) से ब्रह्मलोक या स्वर्ग की ओर यात्रा करती हैं।
8 विचार (Judgment Phase – यमपुरी या चित्रगुप्त के यहाँ लेखा-जोखा) आत्मा का पाप-पुण्य लेखा-जोखा चित्रगुप्त के सामने प्रस्तुत होता है। कर्मफल का निर्णय होता है।
9 नरक/स्वर्ग या पुनर्जन्म का निर्णय पाप अधिक तो नरक-यात्रा (विविध यन्त्रणाएं), पुण्य अधिक तो स्वर्ग या अन्य उच्च लोक।
10 नरक-यात्रा (For Heavy Sinners) गरुड़ पुराण में नरक-यातनाओं का विस्तार से वर्णन। जैसे: तमिस्र, अन्धतमिस्र, रौरव आदि।
11 स्वर्ग-लोक में वास (For Virtuous) पुण्यात्माएँ देवलोक में इन्द्र, अग्नि, सोम आदि के लोकों में सुख भोगती हैं।
12 पुनर्जन्म (Rebirth) भोग समाप्ति के बाद आत्मा पुनः नए शरीर में जन्म लेती है। जन्म का स्थान, कुल, शरीर प्रकार पूर्व जन्म के कर्मों पर निर्भर करता है।
13 मोक्ष (Ultimate Liberation) केवल वे जो ज्ञान, भक्ति या योग के द्वारा बंधनों से मुक्त हो चुके हैं, वे पुनर्जन्म के चक्र से बाहर निकलते हैं और मोक्ष प्राप्त करते हैं। आत्मा परमात्मा में लीन हो जाती है।
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अनुभूति कैसी होती है आत्मा को?

अवस्था जीव की अनुभूति
मृत्यु के ठीक बाद भ्रम, भय, मोह, संसार से लगाव, परिवार के लिए चिंता
प्रेत अवस्था अकेलापन, भूख-प्यास, अदृश्य होना, कोई सुन नहीं रहा, भटकाव
यमदूतों द्वारा खिंचाव भय, दर्द, पछतावा, कष्ट
यमलोक में कर्मों का सामना, दुख या सुख की यादें, पूर्व जन्मों की झलक
स्वर्ग / नरक इन्द्रियों से बढ़कर सुख या दर्द, कर्मफल की यथावत अनुभूति
मोक्ष पूर्ण शांति, परमानंद, अहंकार का लोप, सर्वत्र व्यापकता की अनुभूति

शास्त्रीय सूत्र (References):

  • गरुड़ पुराण पूर्व खंड (प्रेतगति, यमदर्शन, नरक यातना, पिंडदान महत्व)
  • कठोपनिषद (यम और नचिकेता संवाद)
  • बृहदारण्यक उपनिषद (प्राण का विचरण)
  • भागवत पुराण स्कंध 3 (जीव की यात्रा)
  • योग वशिष्ठ (मृत्यु और आत्मा का गमन)
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विशेष ध्यान दें:

👉 इसलिए हिन्दू परंपरा में अंत्येष्टि, तर्पण, श्राद्ध, पिंडदान, गीता पाठ, और गरुड़ पुराण श्रवण का विशेष महत्व है ताकि आत्मा की यात्रा सरल हो सके।

👉 मृत्यु के तुरंत बाद शांति पाठ, महामृत्युंजय जाप, और गीता का 2nd Chapter पढ़ना आत्मा के लिए अत्यंत कल्याणकारी माना जाता है।