175
होलिका की पूजा के लाभ-
होलिका की पूजा के लाभ-
होली के पर्व को नवसंवत्सर का आरम्भ तथा वसन्तागम के उपलक्ष में किया हुआ यज्ञ भी माना जाता है। होली वसंत ऋतु में मनाया जाने वाला एक महत्वपूर्ण भारतीय त्योहार है। यह पर्व हिंदूपंचांग के अनुसार फाल्गुन मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है। रंगों का त्योहार कहा जाने वाला यह पर्व पारंपरिक रूप से दो दिन मनाया जाता है। पहले दिन को होलिका जलायी जाती है, जिसे होलिका दहन भी कहते है। आज हम इसी पर्व यानि हालिका दहन के शुभ मुहूर्त, दहन की पूजा से होने वाले लाभ और परंपरा के बारे में बात करेंगे…. होली की पूजा का इस वर्ष शुभ मुहूर्त है रात्रि 10 बजकर 37 मिनट से…इस दिन भद्रा की समाप्ति हो जायेगी प्रातः 09 बजकर 34 मिनट पर अतः इस दिन स्वास्थ्य लाभ एवं किसी भी प्रकार के नजर दोष से बचाव हेतु होलिका की पूजा करनी चाहिए…किसी की भी कुंडली में लग्न या अष्टम स्थान पर राहु या अष्टमेष राहु से पापाक्रांत हो जाए तो उन्हें ये पूरा जरूर करनी चाहिए, जिससे स्वास्थ्य एवं आर्थिक स्थिति के साथ सामाजिक परिवेष में भी साकारात्मक परिवर्तन लाया जा सकता है…. पूजा करते समय आपका मुख पूर्व या उत्तर दिशा की ओर होना चाहिए। एक लोटा जल, माला, रोली, चावल, गंध, पुष्प, कच्चा सूत, गुड, साबुत हल्दी, मूंग, बताशे, गुलाल, नारियल आदि का प्रयोग करना चाहिए। इसके अलावा नई फसल के धान्यों जैसे- पके चने की बालियां व गेंहूं की बालियां भी सामग्री के रुप में रखी जाती है। होलिका दहन मुहुर्त समय में जल, मोली, फूल, गुलाल तथा गुड आदि से होलिका की पूजा करें।
होली के पर्व को नवसंवत्सर का आरम्भ तथा वसन्तागम के उपलक्ष में किया हुआ यज्ञ भी माना जाता है। होली वसंत ऋतु में मनाया जाने वाला एक महत्वपूर्ण भारतीय त्योहार है। यह पर्व हिंदूपंचांग के अनुसार फाल्गुन मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है। रंगों का त्योहार कहा जाने वाला यह पर्व पारंपरिक रूप से दो दिन मनाया जाता है। पहले दिन को होलिका जलायी जाती है, जिसे होलिका दहन भी कहते है। आज हम इसी पर्व यानि हालिका दहन के शुभ मुहूर्त, दहन की पूजा से होने वाले लाभ और परंपरा के बारे में बात करेंगे…. होली की पूजा का इस वर्ष शुभ मुहूर्त है रात्रि 10 बजकर 37 मिनट से…इस दिन भद्रा की समाप्ति हो जायेगी प्रातः 09 बजकर 34 मिनट पर अतः इस दिन स्वास्थ्य लाभ एवं किसी भी प्रकार के नजर दोष से बचाव हेतु होलिका की पूजा करनी चाहिए…किसी की भी कुंडली में लग्न या अष्टम स्थान पर राहु या अष्टमेष राहु से पापाक्रांत हो जाए तो उन्हें ये पूरा जरूर करनी चाहिए, जिससे स्वास्थ्य एवं आर्थिक स्थिति के साथ सामाजिक परिवेष में भी साकारात्मक परिवर्तन लाया जा सकता है…. पूजा करते समय आपका मुख पूर्व या उत्तर दिशा की ओर होना चाहिए। एक लोटा जल, माला, रोली, चावल, गंध, पुष्प, कच्चा सूत, गुड, साबुत हल्दी, मूंग, बताशे, गुलाल, नारियल आदि का प्रयोग करना चाहिए। इसके अलावा नई फसल के धान्यों जैसे- पके चने की बालियां व गेंहूं की बालियां भी सामग्री के रुप में रखी जाती है। होलिका दहन मुहुर्त समय में जल, मोली, फूल, गुलाल तथा गुड आदि से होलिका की पूजा करें।
Pt.P.S Tripathi
Mobile no-9893363928,9424225005
Landline no-0771-4035992,4050500
Feel Free to ask any questions in
Mobile no-9893363928,9424225005
Landline no-0771-4035992,4050500
Feel Free to ask any questions in