11views
॥ श्री मारुतिस्तोत्रम् पुरश्चरण साधना विधि ॥
(हनुमत् भक्ति, बल, बुद्धि और कष्ट-विनाश की महान स्तुति)
🔱 1. पुरश्चरण क्यों करें?
श्री मारुतिस्तोत्रम् हनुमानजी का अत्यंत प्रभावकारी स्तोत्र है। इसका शास्त्रोक्त पुरश्चरण निम्न लक्ष्यों हेतु किया जाता है:
उद्देश्य | लाभ |
---|---|
मानसिक और शारीरिक बल | आत्मबल, साहस, धैर्य की वृद्धि |
रोग निवारण | विशेषतः वात रोग, मानसिक विकार |
शत्रु-विनाश | अदृश्य बाधा, भय, भयभ्रम का शमन |
आकस्मिक दुर्घटनाओं से रक्षा | यात्रा, व्यवसाय, सुरक्षा हेतु |
ब्रह्मचर्य और मनोनिग्रह | संयम, तप, तेज और ओज की प्राप्ति |
📘 2. श्री मारुतिस्तोत्रम् परिचय
यह स्तोत्र “मनोजवं मारुततुल्यवेगं…” श्लोक से आरंभ होता है, और प्रायः १५–१८ श्लोकों में हनुमानजी के तेज, बल और ज्ञान का स्तवन करता है।
🔢 3. पुरश्चरण संख्या निर्धारण
स्तर | पाठ संख्या | सुझाव अवधि |
---|---|---|
लघु | १०८ बार | ११ दिन |
मध्यम | १००८ बार | २१ या ४० दिन |
पूर्ण | ११,००० पाठ | ४०–८४ दिन |
विशिष्ट | १,२५,००० पाठ | १०८ दिन, या ब्रह्मचर्य व्रत सहित साधना |
📌 1 पाठ = सम्पूर्ण मारुतिस्तोत्र (15–18 श्लोकों सहित)
📍 4. स्थान, समय, पात्रता
विषय | विवरण |
---|---|
स्थान | पवित्र साधना कक्ष, या हनुमानजी का मंदिर |
दिशा | पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख करके बैठें |
समय | ब्रह्ममुहूर्त (सुबह 4-6) सर्वोत्तम, न हो तो संध्या |
वार प्रारंभ | मंगलवार, शनिवार, या अमावस्या |
व्रत/नियम | ब्रह्मचर्य, सात्त्विक आहार, मौन या कम वाणी |
🌸 5. साधन सामग्री
- हनुमानजी की प्रतिमा या चित्र
- लाल वस्त्र, सिंदूर, चंपा पुष्प, अक्षत, गुड़
- दीपक (सरसों के तेल का)
- नैवेद्य (गुड़, केले, लड्डू आदि)
- माला (रुद्राक्ष या तुलसी)
- हनुमान कवच/गदा यंत्र (वैकल्पिक)
🪔 6. दैनिक साधना विधि (हर दिन)
🔰 1. संकल्प:
मम आत्मबलवृद्ध्यर्थं, रोगशत्रुनिवारणार्थं, श्रीहनुमज्ज्ञानप्राप्त्यर्थं,
श्रीमारुतिस्तोत्रस्य (उदा. १००८) पाठानां पुरश्चरणं करिष्ये॥
जल से संकल्प करें।
🧘♂️ 2. ध्यान:
मनोजवं मारुततुल्यवेगं जितेन्द्रियं बुद्धिमतां वरिष्ठम्।
वातात्मजं वानरयूथमुख्यं श्रीरामदूतं शरणं प्रपद्ये॥
हनुमानजी का ध्यान करें।
📖 3. मुख्य पाठ: श्री मारुतिस्तोत्रम्
🔸 प्रतिदिन नियत संख्या में पाठ करें
🔸 प्रत्येक श्लोक को स्पष्ट उच्चारण के साथ पढ़ें
🔸 यदि चाहें तो बीजमंत्र जोड़ें:
ॐ हं हनुमते नमः ॥ (108 बार जप के पूर्व या पश्चात)
🙏 4. समाप्ति
- आरती:
आरती कीजै हनुमान लला की, दुष्ट दलन रघुनाथ कला की...
- पुष्प अर्पण करें, और शांति मंत्र बोलें:
ॐ शान्तिः शान्तिः शान्तिः ॥
🕉 7. पूर्णाहुति / समापन विधि
तत्व | विधि |
---|---|
हवन | हनुमान गायत्री से 108 आहुतियाँ |
तर्पण | जल+तिल से ऋषियों और हनुमान तर्पण |
मार्जन | जल छिड़क कर पवित्रिकरण |
ब्राह्मण / बालक भोज | ब्राह्मण, बालक या वानर रूपी सेवा (गाय/कुत्ते को भी) |
🧾 8. साधना ट्रैकर उदाहरण
दिन | प्रति दिन पाठ | कुल |
---|---|---|
11 दिन | 10 पाठ | 108 |
21 दिन | 48 पाठ | 1008 |
40 दिन | 25 पाठ | 1000 |
84 दिन | 12 पाठ | 1008 |
📌 9. विशेष निर्देश:
- “हनुमान चालीसा” को पूरक रूप से साथ में जपें
- मंगलवार और शनिवार को उड़द या नारियल का दान करें
- मंगलवार को 21 बार पाठ करने पर तीव्र फल
- ब्रह्मचर्य का पूर्ण पालन करें — यह अत्यावश्यक है
📜 निष्कर्ष:
“हनुमन्ते नमः सदा”
जो श्रद्धा से श्री मारुतिस्तोत्र का पुरश्चरण करता है,
वह हनुमानजी के तेज, बल, भक्ति और सिद्धि का अधिकारी होता है।
श्री मारुतिस्तोत्रम्
श्रीगणेशाय नम: ॥
ॐ नमो भगवते विचित्रवीरहनुमते प्रलयकालानलप्रभाप्रज्वलनाय ।
प्रतापवज्रदेहाय । अंजनीगर्भसंभूताय ।
प्रकटविक्रमवीरदैत्यदानवयक्षरक्षोगणग्रहबंधनाय ।
भूतग्रहबंधनाय । प्रेतग्रहबंधनाय । पिशाचग्रहबंधनाय ।
शाकिनीडाकिनीग्रहबंधनाय । काकिनीकामिनीग्रहबंधनाय ।
ब्रह्मग्रहबंधनाय । ब्रह्मराक्षसग्रहबंधनाय । चोरग्रहबंधनाय ।
मारीग्रहबंधनाय । एहि एहि । आगच्छ आगच्छ । आवेशय आवेशय ।
मम हृदये प्रवेशय प्रवेशय । स्फुर स्फुर । प्रस्फुर प्रस्फुर । सत्यं कथय ।
व्याघ्रमुखबंधन सर्पमुखबंधन राजमुखबंधन नारीमुखबंधन सभामुखबंधन
शत्रुमुखबंधन सर्वमुखबंधन लंकाप्रासादभंजन । अमुकं मे वशमानय ।
क्लीं क्लीं क्लीं ह्रुीं श्रीं श्रीं राजानं वशमानय ।
श्रीं हृीं क्लीं स्त्रिय आकर्षय आकर्षय शत्रुन्मर्दय मर्दय मारय मारय
चूर्णय चूर्णय खे खे
श्रीरामचंद्राज्ञया मम कार्यसिद्धिं कुरु कुरु
ॐ हृां हृीं ह्रूं ह्रैं ह्रौं ह्रः फट् स्वाहा
विचित्रवीर हनुमत् मम सर्वशत्रून् भस्मीकुरु कुरु ।
हन हन हुं फट् स्वाहा ॥
एकादशशतवारं जपित्वा सर्वशत्रून् वशमानयति नान्यथा इति ॥
इति श्रीमारुतिस्तोत्रं संपूर्णम् ॥