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शक्ति, बुद्धि और दुखों के नाश के लिए एक अद्भुत उपाय

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॥ श्री मारुतिस्तोत्रम् पुरश्चरण साधना विधि ॥
(हनुमत् भक्ति, बल, बुद्धि और कष्ट-विनाश की महान स्तुति)


🔱 1. पुरश्चरण क्यों करें?

श्री मारुतिस्तोत्रम् हनुमानजी का अत्यंत प्रभावकारी स्तोत्र है। इसका शास्त्रोक्त पुरश्चरण निम्न लक्ष्यों हेतु किया जाता है:

उद्देश्य लाभ
मानसिक और शारीरिक बल आत्मबल, साहस, धैर्य की वृद्धि
रोग निवारण विशेषतः वात रोग, मानसिक विकार
शत्रु-विनाश अदृश्य बाधा, भय, भयभ्रम का शमन
आकस्मिक दुर्घटनाओं से रक्षा यात्रा, व्यवसाय, सुरक्षा हेतु
ब्रह्मचर्य और मनोनिग्रह संयम, तप, तेज और ओज की प्राप्ति

📘 2. श्री मारुतिस्तोत्रम् परिचय

यह स्तोत्र “मनोजवं मारुततुल्यवेगं…” श्लोक से आरंभ होता है, और प्रायः १५–१८ श्लोकों में हनुमानजी के तेज, बल और ज्ञान का स्तवन करता है।


🔢 3. पुरश्चरण संख्या निर्धारण

स्तर पाठ संख्या सुझाव अवधि
लघु १०८ बार ११ दिन
मध्यम १००८ बार २१ या ४० दिन
पूर्ण ११,००० पाठ ४०–८४ दिन
विशिष्ट १,२५,००० पाठ १०८ दिन, या ब्रह्मचर्य व्रत सहित साधना

📌 1 पाठ = सम्पूर्ण मारुतिस्तोत्र (15–18 श्लोकों सहित)


📍 4. स्थान, समय, पात्रता

विषय विवरण
स्थान पवित्र साधना कक्ष, या हनुमानजी का मंदिर
दिशा पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख करके बैठें
समय ब्रह्ममुहूर्त (सुबह 4-6) सर्वोत्तम, न हो तो संध्या
वार प्रारंभ मंगलवार, शनिवार, या अमावस्या
व्रत/नियम ब्रह्मचर्य, सात्त्विक आहार, मौन या कम वाणी
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🌸 5. साधन सामग्री

  • हनुमानजी की प्रतिमा या चित्र
  • लाल वस्त्र, सिंदूर, चंपा पुष्प, अक्षत, गुड़
  • दीपक (सरसों के तेल का)
  • नैवेद्य (गुड़, केले, लड्डू आदि)
  • माला (रुद्राक्ष या तुलसी)
  • हनुमान कवच/गदा यंत्र (वैकल्पिक)

🪔 6. दैनिक साधना विधि (हर दिन)

🔰 1. संकल्प:

मम आत्मबलवृद्ध्यर्थं, रोगशत्रुनिवारणार्थं, श्रीहनुमज्ज्ञानप्राप्त्यर्थं,  
श्रीमारुतिस्तोत्रस्य (उदा. १००८) पाठानां पुरश्चरणं करिष्ये॥

जल से संकल्प करें।


🧘‍♂️ 2. ध्यान:

मनोजवं मारुततुल्यवेगं जितेन्द्रियं बुद्धिमतां वरिष्ठम्।  
वातात्मजं वानरयूथमुख्यं श्रीरामदूतं शरणं प्रपद्ये॥

हनुमानजी का ध्यान करें।


📖 3. मुख्य पाठ: श्री मारुतिस्तोत्रम्

🔸 प्रतिदिन नियत संख्या में पाठ करें
🔸 प्रत्येक श्लोक को स्पष्ट उच्चारण के साथ पढ़ें
🔸 यदि चाहें तो बीजमंत्र जोड़ें:

ॐ हं हनुमते नमः ॥ (108 बार जप के पूर्व या पश्चात)

🙏 4. समाप्ति

  • आरती:
आरती कीजै हनुमान लला की, दुष्ट दलन रघुनाथ कला की...
  • पुष्प अर्पण करें, और शांति मंत्र बोलें:
ॐ शान्तिः शान्तिः शान्तिः ॥

🕉 7. पूर्णाहुति / समापन विधि

तत्व विधि
हवन हनुमान गायत्री से 108 आहुतियाँ
तर्पण जल+तिल से ऋषियों और हनुमान तर्पण
मार्जन जल छिड़क कर पवित्रिकरण
ब्राह्मण / बालक भोज ब्राह्मण, बालक या वानर रूपी सेवा (गाय/कुत्ते को भी)
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🧾 8. साधना ट्रैकर उदाहरण

दिन प्रति दिन पाठ कुल
11 दिन 10 पाठ 108
21 दिन 48 पाठ 1008
40 दिन 25 पाठ 1000
84 दिन 12 पाठ 1008

📌 9. विशेष निर्देश:

  • “हनुमान चालीसा” को पूरक रूप से साथ में जपें
  • मंगलवार और शनिवार को उड़द या नारियल का दान करें
  • मंगलवार को 21 बार पाठ करने पर तीव्र फल
  • ब्रह्मचर्य का पूर्ण पालन करें — यह अत्यावश्यक है

📜 निष्कर्ष:

“हनुमन्ते नमः सदा”
जो श्रद्धा से श्री मारुतिस्तोत्र का पुरश्चरण करता है,
वह हनुमानजी के तेज, बल, भक्ति और सिद्धि का अधिकारी होता है।

 

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                                     श्री मारुतिस्तोत्रम् 

श्रीगणेशाय नम: ॥

ॐ नमो भगवते विचित्रवीरहनुमते प्रलयकालानलप्रभाप्रज्वलनाय ।
प्रतापवज्रदेहाय । अंजनीगर्भसंभूताय ।
प्रकटविक्रमवीरदैत्यदानवयक्षरक्षोगणग्रहबंधनाय ।
भूतग्रहबंधनाय । प्रेतग्रहबंधनाय । पिशाचग्रहबंधनाय ।
शाकिनीडाकिनीग्रहबंधनाय । काकिनीकामिनीग्रहबंधनाय ।
ब्रह्मग्रहबंधनाय । ब्रह्मराक्षसग्रहबंधनाय । चोरग्रहबंधनाय ।
मारीग्रहबंधनाय । एहि एहि । आगच्छ आगच्छ । आवेशय आवेशय ।
मम हृदये प्रवेशय प्रवेशय । स्फुर स्फुर । प्रस्फुर प्रस्फुर । सत्यं कथय ।
व्याघ्रमुखबंधन सर्पमुखबंधन राजमुखबंधन नारीमुखबंधन सभामुखबंधन
शत्रुमुखबंधन सर्वमुखबंधन लंकाप्रासादभंजन । अमुकं मे वशमानय ।
क्लीं क्लीं क्लीं ह्रुीं श्रीं श्रीं राजानं वशमानय ।
श्रीं हृीं क्लीं स्त्रिय आकर्षय आकर्षय शत्रुन्मर्दय मर्दय मारय मारय
चूर्णय चूर्णय खे खे
श्रीरामचंद्राज्ञया मम कार्यसिद्धिं कुरु कुरु
ॐ हृां हृीं ह्रूं ह्रैं ह्रौं ह्रः फट् स्वाहा
विचित्रवीर हनुमत् मम सर्वशत्रून् भस्मीकुरु कुरु ।
हन हन हुं फट् स्वाहा ॥
एकादशशतवारं जपित्वा सर्वशत्रून् वशमानयति नान्यथा इति ॥
इति श्रीमारुतिस्तोत्रं संपूर्णम् ॥