जानें सूर्य नमस्कार के फायदे ?
सूर्य नमस्कार सिर से लेकर पैर तक, कई अंगों के लिए फायदेमंद है। दरअसल, यह संपूर्ण शारीरिक प्रणाली के लिए एक व्यापक कसरत है जिसे बिना किसी उपकरण के किया जा सकता है। दरअसल, हमारे शरीर में सौर जाल होता है जो कि पेट के गड्ढे में स्थित विकिरण तंत्रिकाओं का एक नेटवर्क है और सूर्य से जुड़ा हुआ माना जाता है। नतीजतन, लगातार सूर्य नमस्कार अभ्यास सौर जाल के आकार को बढ़ाता है, जो रचनात्मकता, अंतर्ज्ञान, आत्मविश्वास, निर्णय लेने की क्षमता और नेतृत्व में सुधार करता है।
शारीरिक और मानसिक शक्ति, शरीर पर बेहतर नियंत्रण, मन की शांति, संतुलित ऊर्जा और आंतरिक शांति जैसे कई लाभों का अनुभव करने के लिए सूर्य नमस्कार का अभ्यास करना बेहतर विकल्प हो सकता है। रोजाना इस योग को करने से शरीर, श्वास और चेतना के बीच गहरा संबंध बनाते हुए शक्ति को बढ़ावा दिया जा सकता है। आइए इससे होने वाले फायदों के बारे में जानते हैं।
सूर्य नमस्कार के लाभ
सूर्य नमस्कार पूरे शरीर को टोन करने, वजन घटाने में मदद करने और मांसपेशियों तथा जोड़ों को मजबूती देने का सबसे बेहतर अभ्यास माना जाता है। पाचन तंत्र, नींद में सुधार करने के साथ शरीर की इम्यूनिटी को बढ़ावा देने के लिए भी सूर्य नमस्कार योग को किया जा सकता है। यह महिलाओं के लिए विशेष रूप से फायदेमंद है क्योंकि यह नियमित मासिक धर्म सुनिश्चित करने में मदद करता है।
1. पेट की मांसपेशियां मजबूत हो जाती हैं उससे पाचन शक्ति बढ़ती है।
2. शरीर के ज्यादा वजन को घटाने में मददगार।
3. आलस्य को दूर भगाता है, दिमाग को ठंडा रखता है।
4. शरीर में खून का प्रवाह तेज होने से ब्लड प्रेशर की बीमारी में आराम मिलता है।
5. बालों को असमय सफेद होने, झड़ने व रूसी से बचाता है।
6. व्यक्ति में धीरज रखने की क्षमता बढ़ती है।
7. सहनशीलता बढ़ाने और क्रोध पर काबू रखने में मददगार।
8. शरीर में लचीलापन आता है, जिससे पीठ और पैरों के दर्द की आशंका कम होती है।
9. प्राकृतिक रूप से विटामिन डी मिलता है जो हड्डियों को मजबूत करने और आंखों की रोशनी बढ़ाने में फायदेमंद है।
10. त्वचा के रोग खत्म हो जाते हैं।
सूर्य नमस्कार के आसन
- प्रणाम आसन (प्रार्थना मुद्रा)
- हस्त उत्तानासन
- पादहस्तासन (आगे की ओर झुकना)
- अश्व संचालनासन (घुड़सवारी मुद्रा)
- संथोलानासन (प्लैंक पोज)
- अष्टांग नमस्कार आसन (अष्टांग नमस्कार)
- भुजंगासन (कोबरा मुद्रा)
- अधो मुख संवागासन
- अश्व संचालनासन (घुड़सवारी मुद्रा)