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मृत्यु, बीमारी आदि के भय का चमत्कारिक समाधान

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॥ श्री शिव पंचाक्षर स्तोत्रम् पुरश्चरण साधना विधि ॥
(रचयिता: श्री आदि शंकराचार्य)
“न – नागेन्द्रहाराय त्रिलोचनाय… म – मन्दाकिनीसलिलचन्दनचर्चिताय…”
— इस प्रकार “नमः शिवाय” पंचाक्षर मंत्र के प्रत्येक अक्षर से युक्त यह स्तोत्र, शिवभक्ति, शुद्धि, मोक्ष और शिवतत्त्व की अनुभूति के लिए अत्यंत प्रभावकारी है।


🔱 1. शिव पंचाक्षर स्तोत्र का महत्त्व

विशेषता विवरण
🔹 मन्त्र नमः शिवाय — शिवतत्त्व का मूल बीज
🔹 स्तोत्र हर श्लोक पंचाक्षर (न-म-शि-वा-य) को समर्पित
🔹 फल भक्तिपूरक, शुद्धिकारी, मृत्यु भय नाशक, मोक्षदायक
🔹 स्वरूप केवल 6 श्लोक + 1 फलश्रुति

🗓️ 2. कब करें? (समय निर्धारण)

समय कारण
🌕 श्रावण मास शिव उपासना हेतु विशेष काल
🔱 प्रत्येक सोमवार सोम – शिव का विशेष दिन
🌑 प्रदोष, त्रयोदशी, महाशिवरात्रि रुद्र-शक्ति जागरण
🕐 ब्रह्ममुहूर्त (4–6am) जप सिद्धि हेतु श्रेष्ठ
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🛕 3. कहाँ करें? (स्थान)

  • घर के पूजास्थान में पूर्व/उत्तरमुखी होकर
  • किसी शिवलिंग/शिव प्रतिमा/शिव यंत्र के समक्ष
  • यदि संभव हो तो शिव मंदिर में

📿 4. कितनी बार करें? (संख्या)

स्तर पाठ संख्या अवधि
सामान्य 11×11 दिन 121 पाठ
मध्यम 108×11 दिन 1188 पाठ
पूर्ण पुरश्चरण 1008 पाठ + हवन + तर्पण + ब्राह्मण भोजन

🙏 5. क्यों करें? (लाभ)

उद्देश्य फल
शिवकृपा, भक्ति जागरण चित्त की शुद्धि
मृत्यु, रोग, भय की निवृत्ति आत्मबल
उपासना के लिए शक्तिपात शिवतत्त्व की अनुभूति
मोक्ष, जीवन कल्याण ईश्वरीय ऊर्जा में स्थिरता

🧘‍♂️ 6. कैसे करें? (विधि विस्तार)

(1) संकल्प:

“ॐ नमः शिवाय। मम आत्मशुद्ध्यर्थं, शिवानुग्रहार्थं, शिव पंचाक्षर स्तोत्रस्य पुरश्चरणं करिष्ये।”

(2) शिव पूजन:

  • पंचामृत स्नान (दूध, दही, शहद, घृत, जल)
  • बेलपत्र, धूप, दीप, नैवेद्य
  • मंत्र: ॐ नमः शिवाय
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(3) स्तोत्र पाठ:

  • श्रीशंकराचार्यकृत “शिव पंचाक्षर स्तोत्र” का पाठ
  • हर पाठ में 6 श्लोक पढ़ें
  • शुद्ध उच्चारण व श्रद्धा से करें

(4) हवन:

  • पाठ संख्या का 1/10 भाग हवन करें
  • हवन सामग्री: तिल, घृत, कपूर, पुष्पदल
  • प्रत्येक श्लोक के अंत में “स्वाहा”

(5) तर्पण, मार्जन, ब्राह्मण भोजन:

  • जल से तर्पण
  • अभिमंत्रित जल से मार्जन (शिव मंत्र)
  • ब्राह्मण या शिवभक्त को दक्षिणा/भोजन

⚠️ 7. साधना नियम:

नियम पालन
ब्रह्मचर्य हाँ, आवश्यक
सात्त्विक भोजन अनिवार्य
संयमित वाणी, विचार हाँ
एक स्थान व एक समय श्रेष्ठ होता है
शिव ध्यान व रुद्राक्ष धारणा अत्यंत शुभ

🔚 निष्कर्ष:

श्री शिव पंचाक्षर स्तोत्र का पुरश्चरण साधक को भक्ति, चित्त-शुद्धि, शिवानुभूति, भय से मुक्ति और अंततः मोक्ष तक ले जाता है। यह स्तोत्र सरल, प्रभावशाली व शास्त्रसम्मत है।

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शिव पंचाक्षर स्तोत्र 

नागेन्द्रहाराय त्रिलोचनाय
भस्माङ्गरागाय महेश्वराय ।
नित्याय शुद्धाय दिगम्बराय
तस्मै नकाराय नमः शिवाय

मन्दाकिनीसलिलचन्दनचर्चिताय
नन्दीश्वरप्रमथनाथमहेश्वराय ।
मन्दारपुष्पबहुपुष्पसुपूजिताय
तस्मै मकाराय नमः शिवाय
शिवाय गौरीवदनाब्जबृंदा
सूर्याय दक्षाध्वरनाशकाय ।
श्रीनीलकण्ठाय वृषध्वजाय
तस्मै शिकाराय नमः शिवाय

वशिष्ठकुम्भोद्भवगौतमार्यमूनीन्द्र देवार्चिता शेखराय ।
चन्द्रार्कवैश्वानरलोचनाय
तस्मै वकाराय नमः शिवाय
यज्ञस्वरूपाय जटाधराय
पिनाकहस्ताय सनातनाय ।
दिव्याय देवाय दिगम्बराय
तस्मै यकाराय नमः शिवाय

पञ्चाक्षरमिदं पुण्यं यः पठेच्छिवसंनिधौ ।
शिवलोकमावाप्नोति शिवेन सह मोदते