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नजर दोष और उसके उपाय

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कहते हैं कि कृष्ण जी इतने सुंदर थे कि उन्हें अक्सर उनकी माता यशोदा जी की नजर लग जाती थी। इसलिए मां यशोदा उनके माथे पर काला टीका लगा देती थीं ताकि उन्हें नजर न लगे। नजर दोष से बचाव के लिए अक्सर घरों के बाहर एक डरावना मुखौटा लगा दिया जाता है। गाडि़यों के पीछे काले कपड़े की चोटी या जूता भी नजर से बचाव के लिए ही लटकाया जाता है। हर ट्रक के पीछे ‘बुरी नजर वाले तेरा मुंह काला’ का वाक्य लिखा होना एक आम बात है। अक्सर सुनने में आता है कि किसी ने किसी दूसरे पर टोना कर दिया है, जिससे उसका कोई भी काम ठीक नहीं होता और दुर्भाग्य बार-बार आड़े आ जाता है। इसी प्रकार कभी हम महसूस करते हैं कि पूरी मेहनत के पश्चात भी हमें कार्य में सफलता नहीं मिल रही – कारण कि किसी ने हमारे व्यवसाय को बांध दिया है। बंधन के फलस्वरूप या तो व्यवसाय नहीं होता या फिर व्यवसाय होते हुए भी अंततः हानि ही हाथ आती है। यहां तक कि इस प्रकार का माहौल बन जाता है कि हमें वह व्यवसाय छोड़ना ही पड़ जाता है। कभी किसी व्यक्ति का स्वास्थ्य ऐसे बिगड़ जाता है कि सभी दवाइयां निष्प्रभावी हो जाती हैं। ऐसा अक्सर किसी भूत-प्रेत या चुड़ैल की बाधा साथ लग जाने से होता है। यह बाधा किसी के द्वारा कराई गई होती है या अंजाने में राह में या हमारे किसी कर्म के कारण लग जाती है। मनुष्य को पूर्व जन्म के ऋणानुबंध या श्राप आदि भी अनेक प्रकार से कष्टदायी होते हैं जिनका उपाय करने से उनसे मुक्ति मिल सकती है। हमारे साथ कुछ अच्छा होने वाला है या बुरा इसका पूर्वानुमान स्वप्न या शकुन द्वारा लगाया जा सकता है। सीता से विवाह के लिए जब श्री राम जी की बरात प्रस्थान करती है, तो सारे शकुन स्वतः होने लगते हंै जो एक शुभ कार्य का पूर्व संदेश देते हैं।

क्षेमकरी (सफेद सिर वाली चील) विशेष रूप से क्षेम (कल्याण) कह रही है। श्यामा बायीं ओर सुंदर पेड़ पर दिखाई पड़ी। दही, मछली और हाथ में पुस्तक लिए हुए दो विद्वान् ब्राह्मण सामने आए। सभी मंगलमय, कल्याणमय और मनोवांछित फल देने वाले शकुन मानो सच्चे होने के लिए एक ही साथ हो गए। इसी प्रकार रावण के युद्ध हेतु प्रस्थान के समय सारे अपशकुन होने लगते हैं।

अत्यंत गर्व के कारण रावण शकुन-अशकुन का विचार नहीं करता। हथियार हाथों से गिर रहे हैं। योद्धा रथ से गिर पड़ते हैं। घोड़े, हाथी साथ छोड़कर चिंघाड़ते हुए भाग जाते हैं। स्यार, गिद्ध, कौए और गधे शब्द कर रहे हैं। बहुत अधिक कुत्ते बोल रहे हैं। उल्लू ऐसे अत्यंत भयानक शब्द कर रहे हैं, मानो मृत्यु का संदेशा सुना रहे हों। प्रकृति में कुछ भी अचानक घटित नहीं होता, किसी बड़ी घटना से पूर्व शकुन-अपशकुन के रूप में अनेक घटनाएं क्रमबद्ध ढंग से घटित होती हैं। यदि इन पर गंभीरता से ध्यान कर लिया जाए, तो किसी बड़ी दुर्घटना से बचाव किया जा सकता है। कहते हैं कि नजरदोष या अन्य कोई व्याधा लग जाने पर आंख की निचली पलक भारी हो जाती है मानो वह सूज गई हो। प्रभावित व्यक्ति का कोई भी काम करने का मन नहीं करता। इससे मुक्ति के लिए अनेक प्रकार के उपाय सुझाए गए हैं, जिन्हें अपनाने से वर्णित कष्टों का निवारण हो सकता है। नजर दोष निवारक लाॅकेट धारण करें। रुद्राक्ष माला, और खासकर तेरहमुखी रुद्राक्ष माला, नजर दोष व ऊपरी बाधाओं से बचाव के लिए विशेष प्रभाशाली है। बच्चों को मोती चांद का लाॅकेट एवं नजरबंद (काले-सफेद मोती) का ब्रेसलेट या करधनी धारण कराएं। पारद लाॅकेट सभी बाधाओं को दूर करने में सक्षम है। नजर दोष निवारक यंत्र एवं नवदुर्गा यंत्र साथ रखें। पंचमुखी हनुमान का लाॅकेट धारण करें या घर में अथवा व्यवसाय स्थल पर स्थापित करें। काले हकीक की माला पर ऊँ हं हनुमते नमः मंत्र का नियमित रूप से जप करें। मोर पंख से या सरसों के तेल की बत्ती से उतारा करें। नीबू को सिर से उतारकर चार टुकड़ों में काटकर चैराहे पर चारों दिशाओं में फेंक दें। यदि कोई

नजर लगी हो या टोटका किया गया हो तो दोष दूर हो जाता है।

  • नजर दोष से प्रभावित व्यक्ति के ऊपर चारों ओर से फिटकरी का टुकड़ा घुमाकर चूल्हे में डालने से नजर दोष समाप्त होता है।
  • प्रवेश द्वार पर घोड़े का नाल लगाने से आगंतुकों की नजर नहीं लगती। नमक, राई और लाल मिर्च अंगारे पर डालकर रोगी के ऊपर ग्यारह बार घुमाने से नजर दोष मिटता है।
  • सोते समय सिर के नीचे चाकू रखने से डरावने स्वप्न नहीं आते।
  • हनुमान चालीसा का पाठ करने से भूत-प्रेत आदि व्याधाएं भाग जाती हैं।
  • यदि ऐसा महसूस होता हो कि किसी ने आपका घर या व्यवसाय बांध दिया है, तो चार कीलें घर के अंदर चारों दिशाओं में ठोंक दें, बंधन से मुक्ति मिलेगी।
  • वाहन दुर्घटनाग्रस्त न हो इसके लिए लाल कपड़े की थैली में आठ छुहारे बांधकर वाहन के अंदर रखें।
  • पुष्य नक्षत्र में सहदेवी की जड़ लाकर साथ रखने से बीमारी से मुक्ति मिलती है।
  • प्रतिदिन या फिर प्रति मंगलवार को सात साबुत हरी मिर्च और एक नीबू को धागे में बांधकर व्यवसाय स्थल पर बांध देने से कारोबार में उन्नति होती है।
  • जब कोई ग्राहक दुकान पर आए, तो कोई एक धागा तोड़कर अपनी सीट के नीचे दबाकर रखें, ग्राहक निश्चित रूप से खरीददारी करेगा। ग्राहक चला जाए, तो धागा निकालकर फेंक दें।
  • घर या व्यवसाय स्थल के प्रवेश द्वार पर मयूर का चित्र लगाने से नजर नहीं लगती।

‘ऊँ ऐं ह्लीं क्लीं चामुंडाय विच्चैः’ मंत्र का जप करने से सभी बाधाएं दूर होती हैं। ऊपर वर्णित सभी दोषों का प्रभाव मानसिक रूप से कमजोर व्यक्तियों पर अधिक पड़ता है। कुंडली में नीचस्थ चंद्र या राहु व शनि से ग्रस्त चंद्र होने पर व्यक्ति मानसिक रूप से कमजोर होता है और उस पर उक्त दोषों का प्रभाव अधिक पड़ता है। शिव व हनुमत आराधना और चंद्रमणि धारण करने से मानसिक बल प्राप्त होता है और दोषों से मुक्ति मिलती है।