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नाग के 12 स्वरूपों की करें पूजा 09 अगस्त को मनाई जाएगी नाग पंचमी

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नाग के 12 स्वरूपों की करें पूजा 09 अगस्त को मनाई जाएगी नाग पंचमी

नाग देवता को समर्पित नाग पंचमी हर साल सावन महीने के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि के अगले दिन मनाई जाती है। इस दिन भगवान शिव संग नाग देवता की विधि-विधान से पूजा की जाती है। नाग देवता की पूजा करने से साधक को न केवल भगवान शिव बल्कि जगत के पालनहार विष्णुजी का भी आशीर्वाद प्राप्त होता है। नाग देवता समस्त परिवार की रक्षा करते हैं। स्कंद पुराण, नारद पुराण और महाभारत जैसे ग्रंथों में नाग देवता की पूजा का विधान वर्णित है। नाग देवता की पूजा करने से साधक के जीवन में व्याप्त दुख और संकट दूर हो जाते हैं। साथ ही घर में सुख, समृद्धि एवं खुशहाली आती है। इस बार नाग पंचमी पर दुर्लभ शिववास योग समेत कई शुभ योग बन रहे हैं। इन योग में नाग देवता की पूजा करने से साधक को मनोवांछित फल की प्राप्ति होगी।

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नाग पंचमी का शुभ मुहूर्त
श्री महाकाल धाम अमलेश्वर के सर्वराकार पंडित प्रियाशरण त्रिपाठी के मुताबिक सावन महीने के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को यानी 9 अगस्त को रात 12 बजकर 36 मिनट पर पंचमी शुरू होगी और 10 अगस्त को देर रात 3 बजकर 14 मिनट पर समाप्त होगी। अतः 9 अगस्त को नाग पंचमी मनाई जाएगी। इस दिन पूजा हेतु शुभ मुहूर्त सुबह 6 बजकर 1 मिनट से लेकर 8 बजकर 37 मिनट पर समाप्त होगी। इस दौरान साधक स्नान-ध्यान कर महादेव संग नाग देवता की पूजा कर सकते हैं।

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शिववास योग, सिद्ध योग और बालव करण का संयोग
श्री महाकाल धाम अमलेश्वर के सर्वराकार पंडित प्रियाशरण त्रिपाठी के मुताबिक नाग पंचमी पर दुर्लभ शिववास योग का निर्माण हो रहा है। इस दिन भगवान शिव कैलाश पर जगत जननी मां पार्वती के साथ रहेंगे। इस समय में शिव परिवार संग नाग देवता की पूजा करने से साधक को सभी प्रकार के सुखों की प्राप्ति होगी। साथ ही नाग देवता का आशीर्वाद भी प्राप्त होगा। नाग पंचमी पर सिद्ध योग का संयोग बन रहा है। सिद्ध योग दोपहर 1 बजकर 46 मिनट तक है। इसके बाद साध्य योग का निर्माण हो रहा है। सिद्ध और साध्य योग में भगवान शिव की पूजा करने से साधक को हर कार्य में सफलता प्राप्त होगी। नाग पंचमी पर बव और बालव करण का योग बन रहा है। इस दिन सर्वप्रथम बव करण का संयोग बन रहा है। इसके बाद बालव करण का निर्माण हो रहा है। वहीं, सावन माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि पर हस्त नक्षत्र का संयोग बन रहा है। ये सभी शुभ योग हैं। इन योग में भगवान शिव और नाग देवता की पूजा करने से जातक को उत्तम फल की प्राप्ति होगी।

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नाग के 12 स्वरूप की होती है पूजा
श्री महाकाल धाम अमलेश्वर के सर्वराकार पंडित प्रियाशरण त्रिपाठी के मुताबिक नाग पंचमी के दिन नाग के 12 स्वरूप अनंत, वासुकी, शेष, पद्मनाभ, कर्कोटक, अश्व, धृतराष्ट्र, शंखपाल, कालीय तथा तक्षक का स्मरण करके पूजा की जाती है। इस दिन मिथिलांचल में नागों की देवी मनसा की भी पूजा होती है। भक्तों को इस दिन मिट्टी से निर्मित नाग देवता की विधि-विधान से पूजा करनी चाहिए। पुराणों में वर्णित कथाओं में बताया गया है कि नागपंचमी के दिन सांप को दूध पिलाने से सर्पदंश का भय दूर होता है और आपको सर्प देवता का आशीर्वाद प्राप्‍त होता है। नाग पंचमी के दिन ब्रह्म मुहूर्त में स्नान करना चाहिए। इसके बाद ही व्रत का संकल्प लेकर पूजा की शुरुआत करनी चाहिए।

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नाग पंचमी पर इन नागों की होती है पूजा

नाग पंचमी की शुभ अवसर पर अनंत, वासुकी, शेष, पद्म, कंबल, कर्कोटक, अश्वंतर, धृतराष्ट्र, शंखपाल, कालिया, तक्षक और पिङ्गल नाग की पूजा का विधान है. इस विशेष दिन पर नाग को दूध पिलाया जाता है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, ऐसा करने से जीवन में सुख-समृद्धि आती है और कई प्रकार के ग्रह दोष दूर हो जाते हैं. इसके साथ जिन जातकों की कुंडली में कालसर्प दोष है, उन्हें नाग पंचमी के दिन नाग देवता की उपासना विशेष रूप से करनी चाहिए. ऐसा करने से इस दोष का अशुभ प्रभाव कम हो जाता और जीवन में सुख-समृद्धि आती है.

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ऐसे करें पूजा
श्री महाकाल धाम अमलेश्वर के सर्वराकार पंडित प्रियाशरण त्रिपाठी के मुताबिक नाग पंचमी के पुण्य मुहूर्त पर सुबह जल्दी उठकर स्नान-ध्यान आदि से निवृत हो जाएं और भगवान के सामने व्रत का संकल्प लें। पूजा घर में एक साफ चौकी पर नाग देवता का चित्र या मिट्टी से बने हुए नाग देवता की मूर्ति स्थापित करें। इसके बाद नाग देवता को हल्दी, रोली, चावल, फूल आदि चीज चढ़ाएं। फिर दूध घी व चीनी मिलाकर अर्पित करें। इसके बाद पूजा के अंत में नाग पंचमी व्रत कथा का श्रवण करें और आरती के साथ पूजा का समापन करें। कहा जाता है कि नाग पंचमी पर्व के दिन नाग देवता की पूजा करने से और उन्हें दूध पिलाने से अक्षय फल की प्राप्ति होती है।
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