Other Articles

कृष्ण जन्माष्टमी –

कृष्ण जन्माष्टमी   भाद्रपद कृष्णपक्ष की अष्टमी को मध्यरात्रि में भगवान विष्णु के आठवें अवतार के रूप में श्री विष्णु की सोलह कलाओं से पूर्ण अवतरित हुए थे। श्री कृष्ण का प्राकट्य आततायी कंस एवं संसार से अधर्म का नाष करने हेतु हुआ था। भविष्योत्तर पुराण में कृष्ण ने स्वयं युधिष्ठिर से कहा कि मैं वासुदेव एवं देवकी से भाद्रपक्ष कृष्णपक्ष की अष्टमी को उत्पन्न हुआ जबकि सूर्य सिंह राषि में एवं चंद्रमा वृषभ राषि में था और नक्षत्र रोहिणी था। जन्माष्टमी के व्रत तिथि दो प्रकार की हो सकती...
AstrologyGods and Goddess

माॅ दुर्गाजी की आठवीं शक्ति “माॅ महागौरी”

माॅ दुर्गाजी की आठवीं शक्ति का नाम महागौरी हैं। इनका वर्ण पूर्णतः गौर हैं। इस गौर वर्ण की उपमा स्वर्ण, चंद्र और कुंद के फूल से की गई है। इनकी आयु आठ वर्ष की मानी गई है। इनके समस्त वस्त्र, एवं आभूषण आदि श्वेत हैं। इनका वाहन वृषभ है, जिसका रंग भी श्वेत है। इनकी चार भुजाएॅ हैं दाहिने भुजा के उपर वाली भुजा में अभयमुद्रा नीचे में डमरू बायीं भुजा के उपर वाली भुजा में त्रिषूल और नीचे वरमुद्रा है। मुद्रा अत्यंत शांत व मनोहारी है। महाकाली के रूप...
AstrologyGods and Goddess

माॅ दुर्गा की सातवीं शक्ति “माॅ कालरात्रि “

माॅ दुर्गा की सातवीं शक्ति कालरात्रि के नाम से जानी जाती हैं। इनके शरीर का रंग घने अंधकार की तरह एकदम काला है। सिर के बाल बिखरे हुए हैं। गले में विद्युत की तरह चमकने वाली माला है। इनके तीन नेत्र हैं। ये तीनों नेत्र ब्रम्हाण्ड के सदृष गोल हैं। इनके विद्युत के समान चमकीली किरणें निःसृत होती रहती हैं। इनकी नासिका के श्वास-प्रष्वास से अग्नि की भयंकर ज्वालाएॅ निकलती रहती हैं। इनका वाहन गर्दभ अर्थात् गदहा है। इनकी चार भुजाओं में से दाहिने ओर के उपर की भुजा में...
AstrologyGods and Goddess

माॅ दुर्गा के छठवें स्वरूप “माॅ कात्यायनी”

माॅ दुर्गा के छठवें स्वरूप का नाम कात्यायनी देवी हैं। मान्यता है कि जब दानव महिषासुर का अत्याचार बहुत बढ़ गया तब भगवान ब्रम्हा, विष्णु और महेष तीनों ने अपने-अपने तेज का अंष देकर महिषासुर के विनाष के लिए एक देवी को उत्पन्न किया। महर्षि कात्यायन ने सर्वप्रथम इनकी पूजा की इसी कारण इनका नाम कात्यायनी पड़ा। माॅ कात्यायनी अमोघ फलदायिनी हैं। भगवान कृष्ण को पति रूप में पाने के लिए व्रत की गोपियों ने इन्हीं की पूजा कालिन्दी-यमुना के तट पर की थी। ये व्रत मंडल की अधिष्ठात्री देवी...
AstrologyMarital Issues

नाड़ी दोष और भकूट दोष का व्यवहारिक स्वरूप

भारतीय ज्योतिष में कुंडली मिलान के लिए प्रयोग की जाने वाली गुण मिलान की विधि में मिलाएॅ जाने वाले अष्टकूटों में नाड़ी और भकूट को सबसे अधिक गुण प्रदान किये जाते हैं। नाड़ी को 8 और भकूट को 7 गुण प्रदान किय जाते हैं। मिलान की विधि में यदि नाड़ी और भकूट के गुण मिलते हैं तो गुणों को पूरे अंक और ना मिलने की स्थिति में शून्य अंक दिया जाता है। इस प्रकार से अष्टकूटों के मिलान में प्रदान किये जाने वाले 36 गुणों में 15 गुण केवल इन...
1 474 475 476 477
Page 476 of 477