कहा गया है- जिसकी आज्ञा से संसार में वायु बहती है। अग्नि जलती है। सूर्य तपता है। ताराओं का समूह चमकता है। जिसकी सांस से धरती सबको धारण करती है, बादले बरसते हैं। उस विश्वरूप ईश्वर को प्रणाम है राम का स्थान अहम है।
ज्योतिर्मय
जब कहा जाता हैं कि राम के बिना कुछ हो ही नहीं सकता तो एक बहुत बड़े आध्यात्मिक रहस्य का उद्घाटन हो रहा होता हैं, लेकिन कुछ लोगों को आपत्ति भी हो सकती है। गोस्वामी तुलसीदास बहुत पहले कह गए हैं कि उमा दारु मरकट की नाईं। सबहिं नचावत राम गोसाईं। अर्थात- राम पूरी दुनिया को कठपुतली की तरह नचा रहे हैं। यों भी कहा गया है कि राम के बिना कुछ नहीं होता।
कहा गया है- जिसकी आज्ञा से संसार में वायु बहती है। अग्नि जलती है। सूर्य तपता है। ताराओं का समूह चमकता है। जिसकी सांस से धरती सबको धारण करती है, बादले बरसते हैं। उस विश्वरूप ईश्वर को प्रणाम है राम का स्थान अहम है। आत्मा को भी राम कहा है। राम विश्वरूप है। यही यहां तक कहा है कि राम का नाम स्वयं राम से भी बड़ा है। राम नाम इस देश का संबल है। तभी तो कहते हैं कि वही होगा जो राम चाहेंगे। राम पर लोगों का विश्वास बहुत पुराना है।
आस्थावादियों के लिए पूरा संसार ही राम की इच्छा का विस्तार है। राम लोगों की आस्था के बिंदु हैं। आस्था तर्क-वितर्क का विषय नहीं है। वह विश्वास का विषय है। राम के बारे में कहा गया है कि भाव, कुभाव अनख आलसहूं। नाम जपत मंगल दिसि दसहूं। राम का नाम चाहे जैसे भी लें, उससे व्यक्ति का दसों दिशाओं में मंगल होता है। सुंदरकांड के उस प्रसंग को ही लें जिसमें राम का नाम लेकर हनुमान ने लेंका में प्रवेश किया और सारी परिस्थितियां उनके अनुकूल हो गईं।
सर्पों की माता सुरसा का विष भी उनके लिए अमृत हो गया। बालि का भाई सुग्रीव मित्र हो गया। समुद्र लांघना गाय के खुर से बने गड्ढे के समान आसान हो गया और लंका दहन की आग भी उनके लिए ठंडी हो गई। नाम का ही प्रभाव था कि उन्हें जानकी से अजर-अमर होने का वरदान मिले गया। अजर-अमर गुणनिधि सुत होहू। रावण के साथ क्या हुआ। राम विमुख संपति प्रभुताई। जाई रही पाई बिनु पाई। रावण के एक लाख पुत्र, सवा लाख नाती थे, सब मारे गए। इक लेख पूत, सवा लेख नाती। ता रावन घर दिया न बाती।
राम क्या है? भगवान क्या है। रमंतति राम: अर्थात जो सबमें बसता है वह राम है। तभी तो कबीर ने इस बात को इन शब्दों में कहा- एक राम घट-घट में बोला। एक राम दशरथ घर डोला। एक राम का जगत पसारा। एक राम सब जग से न्यारा। और भगवान तो इसका अर्थ है आदर्शों का समुच्चय। जो आदर्शों और सिद्धांतों का आदमी है। वही राम का आदमी है। वही भगवान का आदमी है और सीधे-सपाट शब्दों में कहूं तो वही काम का आदमी है। नीति भी कहती है कि जो राम का नहीं, वह किसी काम का नहीं। हनुमान जी तो अक्सर कहते थे कि राम काज कीन्हें बिनु मोहिं कहां विश्राम।
हनुमान मंदिर सबसे ज्यादा भीड़ आकर्षित करने वाले मंदिरों में प्रमुख हैं। हर गली में नुक्कड़ पर हनुमान मंदिर मिले जातें हैं। मंगलवार शनिवार को दर्शनार्थियों की लंबी कतार। किसी से पूछो तुम्हारे इष्ट कौन हैं तुरंत हनुमान का नाम ले देगा। हनुमान इष्ट होने लायक देवता नहीं हैं। यह उनकी महिमा और गरिमा का अवमूल्यन हैं। हनुमान की गरिमा तो उनकी गुरुता से हैं। हनुमान इष्ट प्राप्ति कराने वाले गुरुदेव ही हो सकते हैं यही उनकी महिमा है।
सांसारिक ताप से पीड़ित जीवों को ज्ञान प्रदान कर ब्रह्म की, इष्ट की प्राप्ति कराना, भक्ति के मार्ग पर अग्रसर करने वाले गुरु का स्वरूप ही हनुमान है। वे सीताराम की भक्ति और कृपा प्राप्त कराने वाले गुरुदेव हैं, भक्ति के परमाचार्य हैं। हनुमान को समझने के पहले उनके ध्येय वाक्य को पहले समझना होगा। श्रीहनुमानजी का ध्येय वाक्य हैं, राम काज कीन्हे बिनु मोहि कहां विश्राम हनुमान निरंतर रामजी के काज में लगे हुए हैं बिना विश्राम। इसलिए, सही मायने में वह हनुमान से रामभक्ति की ही कामना करता है। उनका अवतरण राम-काज के लिए, उनकी आतुरता राम-काज के लिए, वस्तुत: उनकी सम्पूर्ण चेतना ही राम-काज संवारने के लिए है।