व्रत एवं त्योहार

Guru Purnima 2019: गुरु पूर्णिमा व्रत कथा और पूजा की विधि, यहां जानिए सबकुछ

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हिन्दी मास की अंतिम तिथि को पूर्णिमा कहा जाता है इस दिन चंद्रमा का पूर्ण रूप होता है जिसका धार्मिक दृष्टि से बहुत महत्व माना गया है। चूॅकि भारतीय शास्त्र में चंद्रमा का महत्वपूर्ण स्थान माना गया है अतः पूर्णिमा को बहुत शुभ एवं मंगलकारी तिथि माना जाता है। पूर्णिमा के दिन स्नान, दान का विषेष महत्व दिया गया है और इस दिन धर्मकर्म करने से जीवन में पुण्य की प्राप्ति होने से जीवन के कष्ट होते हैं तथा सुखसमृद्धि प्राप्त होती है ऐसी मान्यता भारतीय दर्षन में है। आषाढ़ शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा में कुल गुरू या गुरू की पूजा का विधान है। माना जाता है कि आषाढ़ शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा में स्नान कर अपने गुरू का पूजन कर दान करने से जीवन से जीवन में अषिक्षा समाप्त होकर कष्ट समाप्त होकर मन वांछित फल की प्राप्ति हेाती है। भगवान कृष्ण ने स्वयं कहा है कि बिना गुरू के मैं प्राप्त नहीं होता। गंगाजी या किसी नदी तालाब में सबसे पहले नियमपूर्वक पवित्र होकर स्नान करने के उपरांत सफेद कपड़े पहनें और आचमन करें। इस के बाद व्रत प्रारंभ करने हेतु ‘उॅ नमो नारायण’ मंत्र का उच्चारण करें। जिनके मन में अषांति, तनाव तथा भ्रम की स्थिति होती है उन्हें पूर्णिमा का व्रत विषेष शुभ फलदायी होता है ऐसी ज्योतिषीय मान्यता है। इस पूर्णिमा में गुरू का पूजन तथा आरती कर एवं सफेद चीजों के दान के उपरांत पारण करने से मनोकामना की पूर्ति होती है।

गुरु पूर्णिमा व्रत विधि (Guru Purnima Vrat Vidhi)

इस दिन सुबह उठकर घर साफ करने के बाद अपने गुरु की प्रतिमा या चित्र सामने रखकर पूजा करनी चाहिए। मन में शुकदेव जी, गुरु व्यास, बृहस्पतिदेव आदि का ध्यान करना चाहिए। इस दिन सिर्फ गुरु या शिक्षक ही नहीं बल्कि जीवन में जिसे भी गुरु मानते हो उसकी पूजा करनी चाहिए।कोशिश करनी चाहिए कि इस दिन किसी पवित्र नदी में नहाया जा सके। साथ ही इस दिन गरीबों और ब्राह्मणों को दान देने से अत्यधिक पुण्य प्राप्त होता है।

Guru Purnima Vrat Katha:

गुरु का संपूर्ण जीवन हमें बहुमूल्य ज्ञान देने में ही गुजरता है। गुरु अपने हर शिष्य से स्नेह और लगाव रखते हैं। गुरु पूर्णिमा गुरु के इसी आशीर्वाद, प्रेम और त्याग को समर्पित है। इस दिन शिष्य अपने गुरु की अराधना करते हैं। ऐसा कहा जाता है कि प्राचीन काल में गुरुकुलों में जब विद्यार्थी निःशुल्क शिक्षा ग्रहण करते तो गुरु पूर्णिमा के दिन ही वे श्रद्धाभाव से गुरु को दक्षिणा देते थे। इसके बाद शिष्य अपने गुरु की आराधना करते थे। ऐसा करने के बाद ही शिष्यों को धर्म ग्रन्थों, वेदों, शास्त्रों तथा अन्य विद्याओं की जानकारी दी जाती थी। कहा जाता है कि गुरु पूर्णिमा के दिन अपने गुरु के पास जाकर उन्हें वस्त्र, फल-फूल और माला अर्पण करनी चाहिए। मान्यता है कि इस दिन गुरु से मिलने वाला आशीर्वाद शिष्य को अमूल्य ज्ञान प्रदान करता है।

गुरु पूर्णिमा 2019

16 जुलाई

गुरु पूर्णिमा तिथि प्रारंभ – 01:48 बजे (16 जुलाई 2019) से

गुरु पूर्णिमा तिथि समाप्त – 03:07  बजे (17 जुलाई 2019) तक