व्रत एवं त्योहार

विजयादशमी 2019 जानें विजय मुहूर्त, पूजा विधि एवं मंत्र

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Dusshera 2019 Vijayadashami Puja Muhurat and Date: आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को विजयादशमी मनाई जाती है, जिसमें अपराह्नकाल की प्रधानता होती है। इस वर्ष 08 अक्टूबर दिन मंगलवार को विजयादशमी मनाई जाएगी। आदिशक्ति मां दुर्गा ने 9 रात्रि और 10 दिन के भीषण युद्ध में महिषासुर का वध कर दिया था, वहीं श्रीराम ने लंका के राजा रावण का इस तिथि को वध किया था, इसलिए विजयादशमी बुराई पर अच्छाई के विजय के रूप में मनाते हैं।

इसलिए 08 अक्टूबर को है विजयादशमी

इस वर्ष विजयादशमी 8 अक्टूबर को क्यों मनाई जाएगी, इसका शुभ मुहूर्त, पूजा विधि एवं मंत्र क्या है। इस वर्ष सोमवार दिनांक 07 अक्टूबर को नवमी दिन में 3 बजकर 5 मिनट तक है। इसके बाद दशमी तिथि लग जा रही है, जिसमें अपराह्नकाल का स्पर्श मात्र है, अपराह्नव्याप्ति नहीं है। दूसरे दिन मंगलवार 08 अक्टूबर को दशमी तिथि दिन में 04 बजकर 18 मिनट तक है, जिसकी अपराह्नकाल में पूर्ण व्याप्ति है। अत: “विजयादशमी सा परदिने एव अपराह्नव्याप्तौ परा” धर्म सिन्धु के इस वचनानुसार, मंगलवार दिनांक 08 अक्टूबर को विजयादशमी मनाई जाएगी।

विजयादशमी मुहूर्त

विजय मुहूर्त: दोपहर में 02 बजकर 21 मिनट से 03 बजकर 08 मिनट तक। विजय मुहूर्त में किया गया कार्य कभी निष्फल नहीं होता है।

अपराह्न पूजा मुहूर्त: दोपहर में 01 बजकर 33 मिनट से 03 बजकर 55 मिनट तक।

विजयादशमी को करें अपराजिता देवी का पूजन

विजयादशमी के दिन अपराजिता देवी, शमी और शस्त्रों का विशेष पूजन किया जाता है। अपराजिता के पूजन के लिए अक्षत्, पुष्प, दीपक आदि के सा​थ अष्टदल पर अपराजिता देवी की मूर्ति की स्थापना की जाती है। ओम अपराजितायै नमः मंत्र से अपराजिता का, उसके दाएं भाग में जया का ‘ऊँ क्रियाशक्त्यै नमः’ मंत्र से तथा उसके बाएं भाग में विजया का ओम उमायै नमः मंत्र से स्थापना करें। इसके बाद आवाहन पूजा करें।

चारुणा मुख पद्मेन विचित्रकनकोज्वला।

जया देवि भवे भक्ता सर्व कामान् ददातु मे।।

काञ्चनेन विचित्रेण केयूरेण विभूषिता।

जयप्रदा महामाया शिवाभावितमानसा।।

विजया च महाभागा ददातु विजयं मम।

हारेण सुविचित्रेण भास्वत्कनकमेखला।

अपराजिता रुद्ररता करोतु विजयं मम।।

इस मंत्र से अपराजिता, जया और विजया की प्रार्थना करें। इसके पश्चात हरिद्रा से सूती वस्त्र को रंग दें और उसमें दूब और सरसों रखकर डोरा बनाएं।

सदापराजिते यस्मात्त्वं लतासूत्तमा स्मृता।

सर्वकामार्थसिद्धयर्थं तस्मात्त्वां धारयाम्यहम्।।

इसके बाद उस डोरे को मंत्र से अभिमंत्रित करें। फिर नीचे दिए गए मंत्र से उस डोरे को दाहिने हाथ में बांध लें।