
विवाह जीवन का सबसे महत्वपूर्ण संस्कार माना गया है। यह केवल दो व्यक्तियों का नहीं, बल्कि दो परिवारों, संस्कारों और कर्मों का मेल होता है। फिर भी आज के समय में वैवाहिक जीवन में तनाव, कलह, अविश्वास, अलगाव और तलाक जैसी समस्याएँ बढ़ती जा रही हैं। इसके पीछे केवल सामाजिक या मानसिक कारण ही नहीं, बल्कि ज्योतिषीय कारण भी बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार कुंडली में ग्रहों की स्थिति, दोष और योग वैवाहिक जीवन को गहराई से प्रभावित करते हैं।
ज्योतिष में विवाह का महत्व
ज्योतिष शास्त्र में विवाह को देखने के लिए मुख्य रूप से निम्न बातों पर विचार किया जाता है:
- सप्तम भाव (7th House) – विवाह और जीवनसाथी का भाव
- शुक्र ग्रह – प्रेम, दांपत्य सुख और आकर्षण
- गुरु ग्रह – स्त्री की कुंडली में पति और विवाह
- मंगल ग्रह – ऊर्जा, क्रोध और दांपत्य संघर्ष
- चंद्रमा – मानसिक स्थिति और भावनात्मक संतुलन
- राहु–केतु – भ्रम, गलतफहमी और अचानक समस्याएँ
- यदि इन ग्रहों में दोष या अशुभ प्रभाव हो, तो वैवाहिक जीवन प्रभावित होता है।
वैवाहिक जीवन में किन कारणों से होती है परेशानी?
- किसी जातक की कुंडली में ग्रहों की स्थिति विवाह की सफलता या विफलता को निर्धारित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती हैं।
- ज्योतिष शास्त्र में, विवाह से पहले वर-वधू की कुंडली के मिलान को बहुत महत्व दिया जाता है। यदि कुंडली ठीक से मेल नहीं खाती है, तो यह वैवाहिक जीवन में समस्याएं पैदा कर सकती हैं। साथ ही वैवाहिक जीवन में दो लोगों की अनुकूलता भी महत्वपूर्ण मानी जाती है, क्योंकि अगर दो लोगों के बीच अनुकूलता नहीं है, तो संबंध टूट सकता है।
- अगर जातक की कुंडली में कोई अशुभ योग बन रहा है, तो विवाह में परेशानी आ सकती हैं। उदाहरण के लिए मंगल दोष विवाहित जीवन में समस्याएं पैदा करता है। यदि इस दोष से प्रभावित व्यक्ति किसी ऐसे व्यक्ति से विवाह करता है, जो इस दोष से प्रभावित नहीं है, तो वैवाहिक संबंधों मे परेशानी और विवाह में देरी हो सकती है।
- नकारात्मक ऊर्जा और बुरी नजर भी वैवाहिक जीवन में परेशानी पैदा कर सकती है।
- वैदिक ज्योतिष में, पिछले कर्म को विवाहित जीवन में महत्वपूर्ण माना जाता है। यदि किसी व्यक्ति ने अपने पिछले जन्मों में बुरे कर्म किए हैं, तो यह उनके वर्तमान वैवाहिक जीवन में समस्याएं पैदा कर सकते है। इसी तरह, अगर किसी ने अच्छे कर्म किए हैं, तो वह सुखी और सफल वैवाहिक जीवन का आनंद लेता है।
वैवाहिक जीवन में किन ग्रहों के कारण होती है परेशानी?
- मंगल ग्रह: मंगल आक्रामकता, संघर्ष और जुनून का ग्रह है। किसी व्यक्ति की कुंडली में इसकी स्थिति उनके मुखरता और यौन ऊर्जा के स्तर को इंगित कर सकती है। जब मंगल कमजोर या नकारात्मक स्थिति में होता है, तो यह वैवाहिक जीवन में संघर्ष और अनुकूलता की कमी का कारण बन सकता हैं।
- शुक्र ग्रह: शुक्र प्रेम, सौंदर्य और आनंद का ग्रह है। किसी व्यक्ति की कुंडली में इसका स्थान जातक का अपने साथी के प्रति आकर्षण के स्तर को इंगित करता है। जब शुक्र कमजोर या नकारात्मक स्थिति में हो, तो यह वैवाहिक जीवन में प्यार, स्नेह और सद्भाव की कमी का कारण बन सकता है।
- शनि ग्रह: शनि अनुशासन, जिम्मेदारी और प्रतिबंध का ग्रह है। किसी व्यक्ति की कुंडली में इसकी स्थिति जातक के साथी के प्रति कर्तव्य और प्रतिबद्धता की भावना को इंगित कर सकती है। जब शनि कमजोर या नकारात्मक स्थिति में होता है, तो यह विवाह में देरी, बाधाओं और चुनौतियों का कारण बन सकता है।
- राहु और केतु: राहु और केतु छाया ग्रह हैं और किसी व्यक्ति की कुंडली में उनका स्थान जुनून, बेचैनी और आवेग के स्तर को इंगित कर सकता है। जब राहु या केतु नकारात्मक स्थिति में होते हैं, तो यह वैवाहिक जीवन के लिए संघर्ष का कारण बन सकते है।
- बृहस्पति ग्रह: बृहस्पति ज्ञान और विस्तार का ग्रह है। किसी व्यक्ति की कुंडली में इसकी स्थिति आध्यात्मिक और बौद्धिक विकास के स्तर को इंगित कर सकती है। जब बृहस्पति कमजोर या नकारात्मक स्थिति में होता है, तो यह वैवाहिक जीवन में विश्वास कमी का कारण बन सकता है।

इन योगों के कारण होती है वैवाहिक जीवन में परेशानी
- कुज दोष: कुज दोष, जिसे मंगल दोष के रूप में भी जाना जाता है। यह जातक के वैवाहिक जीवन में परेशानी उत्पन्न करता है, इसके कारण वैवाहिक संबंधों में विवाद, गलतफहमी और तलाक भी हो सकता हैं।
- नाड़ी दोष: कुंडली मिलान में नाड़ी दोष बनने से यह जातक के वैवाहिक संबंधों, स्वास्थ्य समस्याओं, वित्तीय समस्याओं का कारण बनता है।
- विष दोष: जातक की कुंडली में शनि और चंद्रमा की युति के कारण विष दोष बनता है। माना जाता है कि यह दोष वैवाहिक जीवन में समस्याएं पैदा करता है।
- दरिद्र योग: दरिद्र योग तब बनता है, जब किसी व्यक्ति की कुंडली में ग्रहों की युति आर्थिक अस्थिरता और दरिद्रता का संकेत देती है। यह योग वैवाहिक समस्याओं को जन्म दे सकता है।
- अगर जातक कुंडली मिलान के बिना विवाह करता है, तो भी उसे अपने वैवाहिक जीवन में परेशानी का अनुभव करना पड़ता है, क्योंकि कुंडली मिलान से दोष, ग्रह दशा आदि का पता लगाया जाता है और अगर जातक बिना कुंडली मिलान के विवाह करता है, तो उसे अपनी या अपने साथी की कुंडली में बने योग, अशुभ योग और ग्रह दशा का पता नहीं चला पाता है।
- पापकर्तरी योग: माना जाता है कि यह योग वैवाहिक जीवन में समस्याएं पैदा करता है, जैसे कि प्यार की कमी, संचार और अनुकूलता की कमी आदि।

खुशहाल वैवाहिक जीवन के उपाय
- आपको रोज सुबह सूर्यदेव को जल अर्पित करना चाहिए। यह आपकी कुंडली में सकारात्मक ऊर्जा को बढ़ाने में मदद करेगा और आपके जीवनसाथी के साथ आपके रिश्ते बेहतर होंगे।
- हिंदू धर्म में तुलसी को एक पवित्र पौधा माना जाता है और इसे घर में रखने से सकारात्मक ऊर्जा और सद्भाव आता है। यह उपाय जीवनसाथी के बीच संबंधों को बेहतर बनाने में मदद कर सकता है।
- तांबे की अंगूठी दाहिने हाथ की अनामिका उंगली में धारण करने से दांपत्य जीवन में सौभाग्य और समृद्धि आती है। तांबा शुक्र ग्रह से जुड़ा है, जिसे प्रेम और सद्भाव का ग्रह माना जाता है।
- शुक्र मंत्र एक शक्तिशाली मंत्र है, जिसे अपने जीवनसाथी के साथ संबंध सुधारने के लिए जप किया जा सकता है। “ॐ शुं शुक्राय नमः।” मंत्र का रोजाना 108 बार जाप करने से शुक्र के नकारात्मक प्रभाव को कम किया जा सकता है।
- शुक्रवार का दिन शुक्र ग्रह को समर्पित होता है। माना जाता है कि शुक्रवार का व्रत रखने से दांपत्य जीवन में सकारात्मकता और सद्भाव आता है। यह उपाय जीवनसाथी के साथ संबंध सुधारने में भी मदद कर सकता है।
- नवविवाहितों को कपड़े और मिठाई का दान करने से दांपत्य जीवन में सकारात्मक ऊर्जा आती है। यह उपाय जीवनसाथी के साथ संबंध सुधारने में भी मदद कर सकता है।
- अगर आपकी कुंडली में बुध और शुक्र ग्रह कमजोर हैं, तो आप गुरु मंत्र का जाप कर सकते हैं। इससे आपके संबंध और वैवाहिक जीवन में सुधार हो सकता है।
निष्कर्ष
वैवाहिक जीवन में समस्याएँ आना स्वाभाविक है, लेकिन यदि समय रहते उनके कारणों को समझकर समाधान किया जाए, तो रिश्ते को बचाया जा सकता है। ज्योतिष हमें समस्याओं की जड़ तक पहुँचने का मार्ग दिखाता है। सही ग्रह शांति, संयमित व्यवहार और आपसी समझ से विवाह को सुखमय बनाया जा सकता है।





