ग्रह विशेष

कुंडली में राहु को कैसे शांत करें,जन्मकुण्डली में राहु की खराबी जातक को जेल भेजने तक के योग भी निर्मित कर देती है

333views

ज्योतिष में राहु ग्रह को एक पापी ग्रह माना जाता है। वैदिक ज्योतिष में राहु ग्रह को कठोर वाणी, जुआ, यात्राएँ, चोरी, दुष्ट कर्म, त्वचा के रोग, धार्मिक यात्राओं आदि का कारक माना जाता है। जिस व्यक्ति की जन्मकुंडली में राहु अशुभ स्थान पर बैठा हो, अथवा पीड़ित हो तो यह जातक को इसके नकारात्मक परिणाम प्राप्त होते हैं। ज्योतिष में राहु ग्रह को किसी भी राशि का स्वामित्व प्राप्त नहीं है। लेकिन मिथुन राशि में यह उच्च होता है और धनु राशि में यह नीच भाव में होता है। 27 नक्षत्रों में राहु आर्द्रा, स्वाति और शतभिषा नक्षत्रों का स्वामी है। ज्योतिष के अनुसार राहु छाया ग्रह होने के बाद भी जन्म कुण्डली में अपना प्रभाव बनाए रखता है। हमारी जन्म कुण्डली में राहु के ख़राब होने पर अनेक बाधाएं तथा जीवन में बहुत प्रकार की बिमारियों के होने के भी संकेत मिलते है। जन्मकुण्डली में राहु की खराबी जातक को जेल भेजने तक के योग भी निर्मित कर देती है।

ज्योतिष के अनुसार जन्म कुण्डली में राहु और केतु की एक ऐसी भी स्थिति बनती है, जिससे एक कुयोग का निर्माण होता है, जिसका नाम है कालसर्प दोष। जब जन्म कुण्डली के सभी ग्रह राहु और केतु के अंदर आ जाये अर्थात दोनो ग्रह किनारे में हो और बाकी के ग्रह बीचों बीच हो तो ऐसी स्थिति में यह दोनों ग्रह काल सर्प दोष का निर्माण करते हैं। राहु के द्वारा जातक को हमेशा बुरे प्रभाव नहीं मिलते हैं, परंतु यदि जातक की जन्म कुण्डली में राहु अशुभ कारक स्थिति में है, तो फिर बुरे फल प्राप्त होने लगते हैं। राहु ग्रह के बुरे प्रभावों  के अंतर्गत स्वास्थ्य संबंधित परेशानियां मिलना, सही निर्णन न ले पाना, याददाश्त में कमजोरी आना, बुद्धि का सही दिशा में न लग पाना, मन का इधर-उधर भटकना इन सभी प्रकार की समस्याओं का सामना करना पड़ता है।

जब जन्म कुण्डली में राहु की दशा या महादशा का काल प्रारंभ होता है, तथा जन्म कुण्डली में राहु की स्थिति नाजुक है तो भी हमे कठिन समय से होकर गुजरना पड़ता है, क्योंकि किसी भी ग्रह की दशा या महादशा का उचित फल तभी प्राप्त होता जब वह ग्रह हमारी जन्म कुण्डली के अनुकुल हो और दशा या महादशा के पूर्व भी उस ग्रह से हमें अच्छे फल प्राप्त हो रहे हैं, तब हमें किसी भी ग्रह की महादशा का पूर्ण रुप से  फल प्राप्त होता है। जन्म कुण्डली में राहु के खराब होने से हम मानसिक रुप से बहुत ही कमजोर हो जाते हैं, जिससे हम अपने भविष्य की योजना बनाने में असमर्थ हो जाते है। राहु के खराब होने से आर्थिक संकट का सामना भी करना पड़ सकता है। खुद की कार्य क्षमता में संदेह होने लगता है,कि क्या यह मै कर पाउंगा या नही। घर-परिवार, समाज तथा रिश्तेदारों के प्रति गलतफहमी की भावना उत्पन्न होने लगती हैं। अपनी जुबान पर से नियंत्रण उठ जाता है तथा किसी को भी बिना सोचे समझे कुछ भी बोल देते हैं, जिसका बुरा असर हमारे ऊपर पड़ता है।

राहु ग्रह का संबंध-

ज्योतिष के अनुसार, राहु ग्रह का संबंध ख़ुफ़िया पुलिस, ख़ुफ़िया महकमा, जेल, ससुराल, भूचाल, जौं, सरसों, चालबाज़, कच्चा कोयला, काला कुत्ता, गंदी नाली, लोहे में लगने वाली जंग, काना, लंगड़ा, प्लेग, बुखार, भय आदि चीज़ों का संबंध राहु ग्रह से दर्शाया जाता है। राहु का संबंध गोमेद रत्न, आठ मुखी रुद्राक्ष और नागरमोथा की जड़ी से है।

राहु ग्रह का प्रभाव-

यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में राहु ग्रह मजबूत होता है तो जातक को इसके बहुत अच्छे परिणाम प्राप्त होते हैं। यह व्यक्ति को आध्यात्मिक क्षेत्र में सफलता दिलाता है तथा मोक्ष प्राप्ति का मार्ग प्रशस्त करता है। राहु ग्रह अपने मित्र ग्रहों के साथ बली होता है। जबकि इसके विपरीत यदि किसी जातक की कुंडली में राहु की स्थिति कमज़ोर होती है अथवा वह पीड़ित है तो जातक के लिए यह अच्छा नहीं माना जाता है। राहु अपने शत्रु ग्रहों के साथ कमज़ोर होता है। कुल मिलाकर यह कहा जा सकता है कि व्यक्ति के जीवन में राहु का प्रभाव सकारात्मक और नकारात्मक दोनों तरह से पड़ता है।

यदि राहु किसी जातक की कुंडली में शुभ हो तो व्यक्ति के मस्तिष्क में शुभ विचार उत्पन्न होते हैं जिससे वह अच्छे कार्यों को अंजाम देता है। यदि किसी जातक की बुद्धि सही दिशा में लगे वह ऊँचाइयों को प्राप्त कर सकता है। राहु के सकारात्मक प्रभाव से व्यक्ति बुद्धि से काम लेता है और यदि कोई व्यक्ति अपनी बुद्धि के कार्य करता है तो बड़े से बड़ा कार्य कर सकता है, किसी व्यक्ति की जन्मकुंडली में कमज़ोर राहु के कारण उसे कई प्रकार की समस्याओं का सामना करना पड़ता है। ये समस्याएँ मानसिक और शारीरिक रूप से भी हो सकती हैं। पीड़ित राहु के कारण हिचकी, पागलपन, आँतों की समस्या, अल्सर, गैस्ट्रिक आदि की समस्याएँ जन्म लेती हैं। अतः कुंडली में राहु ग्रह को मजबूत करना चाहिए।

राहु ग्रह के उपाय-

वैदिक ज्योतिष के उपायों को बहुत महत्वपूर्ण माना गया है। राहु ग्रह की शांति के लिए उपाय और टोटके बहुत ही लाभकारी सिद्ध होते हैं। अतः इन्हें कोई भी व्यक्ति आसानी से स्वयं कर सकता है। राहु ग्रह से संबंधित उपाय करने से जातकों को राहु ग्रह के सकारात्मक फल प्राप्त होते हैं।

  • अगर आपके जन्मांक में राहु, चंद्र, सूर्य को दूषित कर रहा है तो जातक को भगवान शिवशंकर की सच्चे मन से आराधना करना चाहिए।
  • भगवान भोले शंकर भक्त की पवित्र श्रद्धा पूर्ण आराधना से तत्काल प्रसन्न होने वाले देव है।
  • राहु महादशा में सूर्य, चंद्र तथा मंगल का अंतर काफी कष्टकारी होता है, अतः समयावधि में नित्य प्रतिदिन भगवान शिव को बिल्व पत्र चढ़ाकर दुग्धाभिषेक करना चाहिए।
  • जातक को शिव साहित्य जैसे- शिवपुराण आदि का पाठ करना चाहिए।
  • सोमवार को व्रत करने से भी भगवान शिवशंकर प्रसन्न होते हैं। अतः सोमवार को शिव आराधना पूजन व्रत करने के पश्चात, शाम को भगवान शिवशंकर को दीपक लगाने के पश्चात्‌ सफेद भोजन खीर, मावे की मिठाई, दूध से बने पदार्थ ग्रहण करना चाहिए।
  • राहु की महादशा अथवा अंतर प्रत्यंतर काफी कष्टकारी हों तब भगवान शिव का अभिषेक करवाना चाहिए।
  • निर्मल हृदय से सच्ची आस्था के साथ भगवान शिव का स्मरण करना चाहिए।
  • ॐ नमः शिवाय मंत्र का नाम जाप लगातार करते रहना चाहिए।
  • प्रतिदिन अपने माथे पर सफेद चंदन का टीका जरुर लगाए।
  • भगवान शिव की प्रभु श्रीराम के प्रति परम आस्था है, अतः राम नाम का स्मरण भी राहु के संकटों से मुक्ति दिलाने में सहायक होता है।
  • हनुमान और सरस्वती की पूजा करें।
  • किसी हनुमान मंदिर में तिल और जौ का दान करें।
  • बजरंग बाण या हनुमान चालीसा का प्रतिदिन पाठ करें।
  • भगवान भैरव के मंदिर में शनिवार को तेल का दीपक जलाएं।
  • हर सोमवार शिवलिंग पर जल चढ़ाएं।
  • ससुराल पक्ष से अच्छे संबंध रखें।