ग्रह विशेष

चरावेती-चरावेती प्रचलाम्ह निरंतरम् – केतु के अधीन पौरूष्र्य –

निरंतर चलायमान रहने अर्थात् किसी जातक को अपने जीवन में निरंतर उन्नति करने हेतु प्रेरित करने तथा बदलाव हेतु तैयार...
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