अनुच्छेद 370 और धारा 35 ए को समाप्त करने से लद्दाख और जम्मू-कश्मीर बनेगे अनूठा पर्यटन स्थल
हाल ही में मोदी सरकार द्वारा जनभावनाओं को ध्यान में रखते हुए देशहित में एक सहासिक निर्णय लेते हुए जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 और धारा 35 ए को समाप्त किया और जम्मू-कश्मीर का पुर्नगठन भी कर दिया। पुर्नगठन में जम्मू-कश्मीर राज्य को दो केन्द्र शासित राज्यों जम्मू-कश्मीर तथा लद्दाख में बांट दिया गया है। केंद्र सरकार के निर्णय से उम्मीद की जा रही है कि, अब कश्मीर और लद्दाख का तेजी से विकास होगा और घाटी में अमन-चैन आएगा।
केंद्र सरकार द्वारा केवल दोनों राज्यों की सीमा निर्धारित की गई है। जम्मू-कश्मीर और लद्दाख की भौगोलिक स्थिति तो जैसे पहले थी वैसी ही विभाजन के बाद भी बनी हुई है। इस भूभाग की उत्तर दिशा जहां श्रीनगर, पहलगांव, बालटाल, द्रास, कारगील इत्यादि आते है यहां ऊंचाई है तथा दक्षिण दिशा और नैऋत्य कोण जहां जम्मू, कटरा, उधमपुर, नागरोटा, इत्यादि आते हैं वहां नीचाई हैं। वहीं इसकी पूर्व दिशा जहां लेह, लद्दाख का र्मुगो, पैनामिक, टैगर, हैमिस इत्यादि भाग में ऊंचाई है और पश्चिम दिशा जहां पूंछ, राजौरी, कालाकोटा इत्यादि आते है इस भाग में नीचाई है। वास्तुशास्त्र के अनुसार जहां ऐसी भौगोलिक स्थिति होती है वहां विवाद, रक्त रंजित हिंसा, आर्थिक स्थिति अच्छी न होना और महिलाओं के साथ अन्याय होता है।
जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के पुर्नगठन के बाद जो राज्य सीमा निर्धारित हुई है, उससे एकमात्र परिवर्तन यह आया है कि जम्मू-कश्मीर का ईशान कोण घट गया है। जबकि लद्दाख जो पहले जम्मू-कश्मीर का ही भाग था, उसका ईशान कोण में बढ़ाव वैसे का वैसा ही है और अब नैऋत्य कोण की नीचाई वाला दोष कम हो गया है। इस वास्तु परिवर्तन के कारण लद्दाख प्रसिद्ध होगा, पर्यटकों की संख्या बढे़गी, महिलाओं की स्थिति में सुधार होगा, जबकि इसके विपरीत जम्मू-कश्मीर में विवाद और हिंसा बढ़ेगी, प्रसिद्धि में कमी आएगी और पर्यटकों की संख्या भी कम हो जाएगी।
आभार: पंजाब केसरी न्यूज़