संतान सुख में बाधा तो क्या करें
शास्त्र कहता है ‘अवश्यमेव भोक्तव्यं कृतं कर्म शुभाशुभम’ अर्थात मनुष्य को अपने किए गए शुभ-अशुभ कर्मों के फलों को अवश्य ही भोगना पड़ता है। शुभ-अशुभ कर्म मनुष्य का जन्म जन्मांतर तक पीछा नहीं छोड़ते। यही तथ्य बृहतपाराशर होरा शास्त्र के पूर्वशापफलाध्याय में स्पष्ट किया गया है। इस अध्याय में मैत्रेय जी महर्षि पाराशर से पुत्रहीनता का कारण और उसकी निवृत्ति का उपाय जानना चाहते हैं। मैत्रेय जी कहते हैं- ‘पुत्रहीन व्यक्ति को सद्गति नहीं मिलती, ऐसा शास्त्रों में कहा गया है। अतः कृपया कहें कि पुत्रहीनता किस पाप के कारण...