Other Articles

कौन सी ग्रह आपकी जीवन प्रभावित करता है एक नया वर्ष एक फिर आने वाला हें..नए वर्ष के स्वागत में हम सभी अपने पुराने गम,दुःख-दर्द,तकलीफ भूलकर नयी आशा ,नयी उर्जा और नयी सोच से एक बार फिर से नए जोश के साथ इस नए साल/वर्ष का स्वागत करते हें..जीवन का एक नया अध्याय शुरू होने वाला हें..हमने पुरुषार्थ के साथ साथ कर्म प्रधान भी बनाना हें ..एक नयी प्रेरणा से इस नए वर्ष का स्वागत करना हें..दृढ संकल्प प्रत्येक मनुष्य को कर्मनिष्ठ बनाकर सफलता प्राप्ति में सहयोग प्रदान करता हें......
Other Articles

जानें तुलसी पूजा का महत्व और नियम   हिन्दू धर्म में देव पूजा और श्राद्ध कर्म में तुलसी आवश्यक मानी गई है। शास्त्रों में तुलसी को माता गायत्री का स्वरूप भी माना गया है। गायत्री स्वरूप का ध्यान कर तुलसी पूजा मन,घर-परिवार से कलह व दु:खों का अंत कर खुशहाली लाने वाली मानी गई है। इसके लिए तुलसी गायत्री मंत्र का पाठ मनोरथ व कार्य सिद्धि में चमत्कारिक भी माना जाता है। तुलसी को दैवी गुणों से अभिपूरित मानते हुए इसके विषय में अध्यात्म ग्रंथों में काफ़ी कुछ लिखा गया...
Other Articles

जानें हिन्दू धर्म में विवाह संस्कार का महत्व और नियम हिंदू धर्म शास्त्रों में हमारे सोलह संस्कार बताए गए हैं। इन संस्कारों में काफी महत्वपूर्ण विवाह संस्कार। शादी को व्यक्ति को दूसरा जन्म भी माना जाता है क्योंकि इसके बाद वर-वधू सहित दोनों के परिवारों का जीवन पूरी तरह बदल जाता है। इसलिए विवाह के संबंध में कई महत्वपूर्ण सावधानियां रखना जरूरी है। विवाह के बाद वर-वधू का जीवन सुखी और खुशियोंभरा हो यही कामना की जाती है। विवाह = वि + वाह, अत: इसका शाब्दिक अर्थ है - विशेष...
Other Articles

सत्य के पुजारी भगवान परशुराम अक्षय तृतीया का भारतीय जनमानस में बड़ा महत्व है। इस दिन स्नान, होम, जप, दान आदि का अनंत फल मिलता है, ऐसा शास्त्रों का मत है। अक्षय तृतीया को ही पीतांबरा, नर-नारायण, हयग्रीव और परशुराम के अवतार हुए इसीलिए इस दिन इनकी जयंती मनाई जाती है। भारतीय कालगणना के सि‍द्धांत से इसी दिन त्रयेता युग का आरंभ हुआ। इसीलिए इस तिथि को सर्वसिद्ध (अबूझ) तिथि के रूप में मान्यता मिली हुई है। वैशाख शुक्ल पक्ष तृतीया तिथि त्रेतायुग आरम्भ की तिथि मानी जाती है और...
Other Articles

वास्तु शास्त्र का पालन करें और जीवन स्वस्थ रखें वास्तु शास्त्र के प्रसिद्ध ग्रंथ: समरांगण सूत्रधार, मानसार, विश्वकर्मा प्रकाश, नारद संहिता, बृहतसंहिता, वास्तु रत्नावली, भारतीय वास्तु शास्त्र, मुहूत्र्त मार्तंड आदि वास्तुज्ञान के भंडार हैं। अमरकोष हलायुध कोष के अनुसार वास्तुगृह निर्माण की वह कला है, जो ईशान आदि कोण से आरंभ होती है और घर को विघ्नों, प्राकृतिक उत्पातों और उपद्रवों से बचाती है। ब्रह्मा जी ने विश्वकर्मा जी को संसार निर्माण के लिए नियुक्त किया था। इसका उद्देश्य था कि गृह स्वामी को भवन शुभफल दे, पुत्र, पौत्रादि, सुख,...
Other Articles

कर्ज पर आजादी प्राप्त करें ऐसा क्यों होता है कि कभी-कभी कर्ज चुकने का नाम ही नहीं लेता?कर्ज षब्द का भाव है कि किसी से उधार कुछ धन लिया और बाद मे उस पर कुछ अतिरिक्त धन देकर मुलधन को वापस कर देना । ये सबसे बुरी बीमारी है और अगर एक  साल ब्याज की किस्त किसी कारण वष नही दें पाया तो अगले वर्श उस ब्याज को मूलधन मे जोड दिया जाता है और इस प्रकार ब्याज के उपर ब्याज देना पडता है । इसी प्रकार हम हर रोज...
Other Articles

मनुष्य का जीवन कैसे राहू से प्रभावित होता है   हम जहां रहते हैं वहां कई ऐसी शक्तियां होती हैं, जो हमें दिखाई नहीं देतीं किंतु बहुधा हम पर प्रतिकूल प्रभाव डालती हैं जिससे हमारा जीवन अस्त-व्यस्त हो उठता है और हम दिशाहीन हो जाते हैं। इन अदृश्य शक्तियों को ही आम जन ऊपरी बाधाओं की संज्ञा देते हैं। भारतीय ज्योतिष में ऐसे कतिपय योगों का उल्लेख है जिनके घटित होने की स्थिति में ये शक्तियां शक्रिय हो उठती हैं और उन योगों के जातकों के जीवन पर अपना प्रतिकूल...
Other Articles

जीवन की उपयोगिता है वास्तु शास्त्र वास्तुशास्त्र भारत का अत्यन्त प्राचीन शास्त्र है। प्राचीन काल में वास्तुकला सभी कलाओं की जननी कही जाती थी। आज भी जितने भवन और बिल्डिंग आदि बन रही है अधिकांश में वास्तु के हिसाब से बनाया जा रहा है , आइये जानते है वास्तु के कुछ नियम :-वास्तु तीन प्रकार के होते हैं- त्र आवासीय - मकान एवं फ्लैट त्र व्यावसायिक -व्यापारिक एवं औद्योगिक त्र धार्मिक- धर्मशाला, जलाशय एवं धार्मिक संस्थान। वास्तु में भूमि का विशेष महत्व है। भूमि चयन करते समय भूमि या मिट्टी...
1 454 455 456 457 458 465
Page 456 of 465