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प्राचीन भारत के 5 प्रसिद्ध गुरु

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Famous Rishis/Guru/Teachers of India: भारत में हर साल 5 सितंबर को शिक्षक दिवस मनाया जाता है। यह दिन होता है गुरुओं के प्रति प्यार और सम्मान प्रकट करने का दिन। प्रथम उप-राष्ट्रपति और दूसरे राष्ट्रपति डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन के जन्म दिवस को शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाता है। सर्वपल्ली राधाकृष्णन भारतीय संस्कृति के प्रख्यात शिक्षाविद और महान दार्शनिक थे। इनके अलावा भी भारत के इतिहास में कई ऐसे गुरु, शिक्षक रहे हैं जिनकी शिक्षा ने अपने शिष्यों को महान बना दिया था। जानिए भारत के 5 प्रसिद्ध शिक्षकों के बारे में…

1. गुरु द्रोणाचार्य – कौरवों और पांडवों को शिक्षा देने वाले द्रोणाचार्य का स्थान शिक्षकों में काफी ऊपर माना जाता है। द्रोणाचार्य के वैसे तो कई शिष्य थे लेकिन उन्हें सबसे ज्यादा प्रिय थे अर्जुन। उन्होंने अपनी शिक्षा से अर्जुन को एक महान योद्धा बनाया। अर्जुन ने भी अपने गुरु के द्वारा दी गई शिक्षा का मान रखा जिससे वह विश्व के महान धनुरधारी बने।-

2. चाणक्य – चाणक्य एक महान शिक्षक थे। उनकी नीतियों का आज के समय में भी काफी महत्व है। चाणक्य के बारे में कहा जाता है कि मगध के राजा महानंद द्वारा हुए अपमान का बदला लेने के लिए चाणक्य ने प्रतिज्ञा ली थी कि जब तक वह नंदवंश का नाश नहीं कर देगा तब तक वह अपनी शिखा नहीं बांधेगा। चंद्रगुप्त के रूप में चाणक्य को भारत का भावी सम्राट मिल गया था। वे उसे अपने साथ ले आए और शिक्षा देनी शुरू कर दी। उन्होंने चंद्रगुप्त को युद्धकला में पारंगत कर अपने अपमान का बदला लिया। गुरु शिष्य की इस जोड़ी ने अखंड भारत की स्थापना की।

3. विश्वमित्र – सनातन धर्म के महान ग्रंथों में हमें ब्रह्मर्षि विश्‍वामित्र की सबसे ज्‍यादा चर्चा मिलती हैं। ये प्राचीन भारत के सबसे सम्मानित ऋषियों में से एक हैं। विश्‍वामित्र जन्‍म से क्षत्रीय थे लेकिन घोर तप के कारण स्‍वयं भगवान ब्रह्मा ने उन्‍हें ब्रह्मर्षि की उपाधि दे दी। उन्हें गायत्री मंत्र सहित ऋग्वेद के मंडला 3 के अधिकांश लेखक के रूप में भी श्रेय दिया जाता है। त्रेतायुग में ब्रह्मषि विश्‍वामित्र ने कुछ समय के लिए अयोध्‍या के राजकुमार श्रीराम और उनके भाई लक्ष्‍मण को अपने साथ रखा और उन्‍हें कई गूढ़ विद्याओं का ज्ञान दिया।

4. स्वामी समर्थ रामदास – स्वामी समर्थ रामदास महाराष्ट्र के एक आध्यात्मिक कवि थे। रामदास हनुमान और राम के भक्त थे। वे छत्रपति शिवाजी महाराज के आध्यात्मिक गुरु भी थे। अपनी तीर्थ यात्रा के दौरान जनता की दुर्दशा को देखकर उनका हृदय संतप्त हो उठा। जिसे देख जनता को अत्याचारी शासकों से मुक्ति दिलाने के लिए उन्होंने शिवाजी को चुना और उन्हें हिंदवी स्वराज्य की स्थापना के लिए प्रेरित किया।

5. सांदिपनी ऋषि – ये भगवान कृष्ण के गुरु माने जाते हैं। ऐसा माना जाता है कि श्रीकृष्ण ने अपने भाई बलराम और दोस्त सुदामा के साथ इनसे शिक्षा ग्रहण की थी। शिक्षा पूरी होने के बाद कृष्ण और बलराम ने सांदीपनि से गुरु दक्षिणा मांगने के लिए कहा था, जिसपर सांदीपनि ने उनसे अपने खोया हुए पुत्र की मांग कर डाली। गुरु के इस इच्छा को पूरी करते हुए श्रीकृष्ण और बलराम ने मिलकर उनके बेटे को ढूंढ लिया।