तपस्वी विश्वामित्र और अमलेश्वर की गाथा आत्मसम्मान बनाम अपमान प्राचीन काल में एक प्रतापी क्षत्रिय राजा थे—कौशिक, जो युद्धकला के महारथी और धर्मनिष्ठ राजर्षि थे। किंतु एक दिन उन्होंने ब्रह्मर्षि वशिष्ठ के आश्रम में कामधेनु के चमत्कार देखे। वशिष्ठ के एक मन्त्र से संपूर्ण सैन्यशक्ति निष्फल हो गई। यह दृश्य कौशिक के आत्मसम्मान को चुभ गया। उनका मन भीतर तक काँप गया— “मैं सब कुछ जानता हूँ, पर क्या ब्रह्मतेज के बिना मेरी शक्ति अधूरी है?” श्लोक (शार्दूलविक्रीडित):* वशिष्ठगौकार्याद् मन्दोऽहं किंचित् भ्रान्तो हृदि मया । “कर्मज्ञोऽहं भव” इति संकल्प्य महाकालं...
"सत्यव्रत: श्रीमहाकालानुग्रही" – अमलेश्वर की पावन कथा श्री अमलेश्वर महाकालधाम, खारून नदी तट, प्राचीन काल। भूमिका: अमलेश्वर ग्राम में एक निर्धन ब्राह्मण दंपत्ति रहते थे — श्री हरिपाल शास्त्री और उनकी पत्नी सौम्या। वे खंडित पुरोहिती से बड़ी कठिनाई से दो वक्त का भोजन जुटाते। उनका इकलौता पुत्र *सत्यव्रत*, अत्यंत तेजस्वी, धर्मनिष्ठ और बाल्यकाल से ही श्री महाकाल का परम भक्त था। कथा आरंभ: एक दिन सत्यव्रत अपने पिता के साथ श्री महाकाल के मंदिर में गया। वहाँ उसने देखा कि कुछ बड़े आचार्य शास्त्रार्थ कर रहे हैं, परंतु...