वास्तु दोष दूर करने के लिए करें ये उपाय
हम लोग जब अपना घर बनवाते हैं तो काफी कोशिशों के बाद भी कोई न कोई कमी रह जाती है और यही कमियां वास्तु दोष की वजह बनती हैं। इन कमियों की वजह से घर में सकारात्मक ऊर्जा के स्थान पर नकारात्मक ऊर्जा वास करने लगती है। अब चूंकि हम लोग घर को तोड़कर फिर से बनवा नहीं सकते हैं, तो सवाल यह है कि इन दोषों से छुटकारा कैसे पाया जाए। पहले आज हम आपको बताएंगे कि घर की सभी दिशाओं का वास्तु में क्या महत्व है।
वास्तु शास्त्र के अनुसार, घर की उत्तर-पूर्व कोने को ईशान कोण कहा जाता है जो कि जल तत्व को दर्शाती ह। उत्तर-पश्चिम दिशा को वायव्य कोण कहा जाता है जो कि वायु तत्व को दर्शाती है। दक्षिण-पूर्व दिशा को आग्नेय कोण कहा जाता है जो कि अग्नि तत्व का प्रतिनिधित्व करती है। दक्षिण-पश्चिम दिशा को नैऋत्य कोण कहा जाता है जो कि पृथ्वी तत्व को दर्शाती है। घर के बीचोंबीच का जो स्थान होता है उसे ब्रह्म स्थान कहा जाता है जो कि आकाश तत्व माना जाता है। इस प्रकार से हमारा पूरा घर पंचतत्वों से मिलकर बना है और इन्हीं पंचतत्वों से मिलकर शरीर भी बना है। बेहतर और खुशहाल जीवन जीने के लिए इन सभी दिशाओं का दोषरहित होना सबसे जरूरी है। इन दिशाओं के दोष को दूर करने के लिए जानते हैं सरल से उपाय।
स्वास्तिक से जुड़ा उपाय
वास्तु विज्ञान के अनुसार, घर के मुख्य द्वार पर सिंदूर से नौ अंगुल लंबा और नौ अंगुल चौड़ा स्वास्तिक का चिन्ह बनाएं। ऐसा करने से चारों ओर से आ रही नकारात्मक ऊर्जा समाप्त होती है तथा वास्तुदोष भी हटता है। हर मंगलकवार को यह उपाय करने से मंगल ग्रह से जुड़े दोष भी समाप्त होते हैं।
वास्तु विज्ञान में रसोई घर को घर की सुख समृद्धि हेतु अतिविशिष्ट माना गया है। रसोई के लिए वास्तु के नियमों के अनुसार, आग्नेय कोण यानी कि दक्षिण-पूर्व दिशा सबसे उचित स्थान मानी गई है। यदि रसोईघर गलत स्थान पर है तो अग्निकोण में बल्ब लगा दें एवं हर रोज ध्यान से उस बल्ब को जलाएं। इससे आपके घर का वास्तुदोष दूर हो जाएगा।
वास्तु के अनुसार घर में घोड़े की नाल टांगना बेहद शुभ माना जाता है। काले घोड़े की नाल मुख्य द्वार पर लगाने से सुरक्षा एवं सकारात्मक ऊर्जा मिलती है। घोड़े की नाल अंग्रेजी के अक्षर यू के आकार की होती है। ध्यान रहे, घोड़े की नाल अपने आप गिरी हुई होनी चाहिए। या फिर आपके सामने घोड़े के पैर से उतारी हुई होनी चाहिए।
वास्तु के अनुसार यदि घर में वास्तु दोष है तो घर के उत्तर-पूर्व कोने में कलश रखना सर्वाधिक उपयुक्त माना जाता है। ध्यान रहे कि कलश कहीं से भी खंडित नहीं होना चाहिए। हिंदू मान्यताओं के अनुसार कलश को भगवान गणेशजी का रूप माना जाता है। गणेशजी को सुखकर्ता और विघ्नहर्ता माना गया है। घर में कलश की स्थापना के बाद सभी कार्य बिना किसी बाधा के पूर्ण होते हैं।
कहते हैं कि जिस घर में पूजा पाठ और कीर्तन भजन रोजाना होते हैं, उस घर में मां लक्ष्मी स्वयं आकर वास करती हैं। रोजाना पूजापाठ करने से आपके घर से वास्तु दोष का भी निवारण होता है। अगर आप रोजाना भजन और कीर्तन करने का वक्त नहीं निकाल सकते हैं तो कम से कम गायत्री मंत्र और शांति पाठ रोजाना करें।