व्रत एवं त्योहार

करवा चौथ व्रत कथा एवं महत्व

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Karva Chauth Kab Ki Hai: सुहागिन औरतों का त्योहार करवा चौथ साल 2019 में 17 अक्टूबर के दिन पड़ रहा है। इस दिन महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र और अच्छे स्वास्थ्य की कामना के लिए व्रत रखती हैं। हिंदू धर्म में इस त्योहार का विशेष महत्व है। ये व्रत सुहागिन औरतों के अलावा वे कुंवारी लड़कियां भी रखती हैं जिनकी शादी होने वाली हो या फिर शादी की उम्र हो गई हो। ये व्रत निर्जला रखा जाता है और शाम के समय शुभ मुहूर्त में पूजा कर चंद्रमा को अर्घ्य देकर व्रत खोला जाता है। जानिए इस व्रत की महिमा, नियम और इतिहास…

ऐसे हुई इस व्रत की शुरुआत: माना जाता है कि करवाचौथ की परंपरा देवताओं के समय से चली आ रही है। पौराणिक कथाओं के अनुसार एक बार देवताओं और दानवों में युद्ध शुरू हो गया और उस युद्ध में देवताओं की हार होने लगी। भयभीत देवता ब्रह्मदेव के पास गए और उनसे रक्षा की प्रार्थना की। ब्रह्मदेव ने कहा कि इस संकट से बचने के लिए सभी देवताओं की पत्नियों को अपने-अपने पतियों के लिए व्रत रखना चाहिए और सच्चे दिल से उनकी विजय की कामना करनी चाहिए। ब्रह्मदेव ने यह वचन दिया कि ऐसा करने पर इस युद्ध में देवताओं की जीत निश्चित हो जायेगी। ब्रह्मदेव के इस सुझाव को सभी ने स्वीकार किया। ब्रह्मदेव के कहे अनुसार कार्तिक माह की चतुर्थी के दिन सभी देवताओं की पत्नियों ने व्रत रखा और अपने पतियों की विजय के लिए प्रार्थना की। उनकी यह प्रार्थना स्वीकार हुई और युद्ध में देवताओं की जीत हुई। इस खुशखबरी को सुन कर सभी देव पत्नियों ने अपना व्रत खोला और खाना खाया। उस समय आकाश में चांद भी निकल आया था। माना जाता है कि इसी दिन से करवाचौथ के व्रत के परंपरा शुरू हुई।

करवा चौथ व्रत का महत्व: इस व्रत में भगवान शिव शंकर, माता पार्वती, कार्तिकेय, गणेश और चंद्र देवता की पूजा का विधान है। व्रत वाले दिन कथा सुनना बेहद जरूरी माना गया है। ऐसी मान्यता है कि करवाचौथ की कथा सुनने से विवाहित महिलाओं का सुहाग बना रहता है, उनके घर में सुख, शान्ति,समृद्धि आती है और सन्तान सुख मिलता है। महाभारत में भी करवाचौथ के महात्म्य के बारे में बताया गया है।

भगवान श्री कृष्ण ने द्रौपदी को करवाचौथ की कथा सुनाते हुए कहा था कि पूरी श्रद्धा और विधि-पूर्वक इस व्रत को करने से समस्त दुख दूर हो जाते हैं। श्री कृष्ण भगवान की आज्ञा मानकर द्रौपदी ने भी करवा-चौथ का व्रत रखा था। इस व्रत के प्रभाव से ही पांचों पांडवों ने महाभारत के युद्ध में विजय हासिल की।

करवा चौथ व्रत के नियम और सावधानियां:

1. करवा चौथ का व्रत सूर्योदय से चंद्रोदय तक रखा जाता है।
2. ये व्रत निर्जल या केवल जल ग्रहण करके ही रखना चाहिए।
3. व्रत रखने वाली स्त्री को काले और सफेद कपड़े नहीं पहनने चाहिए। लाल और पीले रंग के कपड़े पहनना इस दिन शुभ माना गया है।
4. इस व्रत को सुहागिन औरतों के अलावा वो लड़कियां भी रख सकती हैं जिनका रिश्ता तय हो गया हो या शादी की उम्र हो गई हो।
5. इस दिन व्रत रखने वाली महिला को पूर्ण श्रृंगार करना चाहिए।
6. इस व्रत में सरगी जरूरी है। सुबह सूरज उगने से पहले सास अपनी बहू को सरगी देती है, जिसमें बहू के लिए कपड़े, सुहाग की चीज़ें, साथ ही फेनिया, फल, ड्राईफ्रूट, नारियल आदि रखा जाता है।