व्रत एवं त्योहार

षटतिला एकादशी: जानें षटतिला एकादशी व्रत कथा और महत्व

171views

षट्तिला एकादषी का व्रत माघ माह की कृष्णपक्ष की एकादषी को मनाया जाता है। इस दिन भगवान कृष्ण की पूजा का विधान है। एकादषी का व्रत रखने वाले दषमी के सूर्यास्त से भोजन नहीं करते। एकादषी के दिन ब्रम्हबेला में भगवान कृष्ण की पुष्प, जल, धूप, अक्षत से पूजा की जाती है। इस व्रत में केवल तिल से बने पकवान का ही भोग लगता है। यह ब्रम्हा, विष्णु, महेष त्रिदेवों का संयुक्त अंष माना जाता है। इस वत्र में तिल का षिवलिंग बनाकर पूजन कर तिल से बने पकवान का भोग लगाकर दान करने के उपरांत व्रत का पारण किये जाने का विधान है। यह मोक्ष देने वाला वत्र माना जाता है।

षटतिला एकादशी व्रत बेहद खास है…यूं तो हर महीने में 2 बार एकादशी आती है। लेकिन इनमें से कुछ एकादशी का खासा महत्व होता है। उन्ही खास एकादशी में से एक है षटतिला एकादशी भी जो माघ महीने में आती है। इस बार षटतिला एकादशी का व्रत 31 जनवरी को होगा और 1 फरवरी को दान-दक्षिणा के बाद व्रत खोला जाएगा। षटतिला एकादशी व्रत विधि विधि और कथा के अलावा भी एक और सवाल है जो एकादशी व्रत करने वालों के दिमाग में रहता है। वो ये कि षटतिला एकादशी व्रत के पारण का समय क्या होगा…यानि षटतिला एकादशी के अगले दिन व्रत किस मुहूर्त में खोलें। क्योकि कुछ लोग तय मुहूर्त में ही ये व्रत खोलते हैं। तो इसकी पूरी जानकारी हम आपको दे रहे हैं।

ALSO READ  11 जुलाई को सावन शुरू ,पड़ेंगे 4 सोमवार

कब है षटतिला एकादशी का व्रत?
षटतिला एकादशी का व्रत माघ महीने में होता है इस बार ये व्रत 31 जनवरी, 2019 को है।

इस वक्त खोलें व्रत
षटतिला एकादशी का व्रत 31 जनवरी यानि गुरूवार को है। इस दिन आप दिन भर व्रत रखें और अगले दिन 1 फरवरी को ये व्रत खोला जाएगा। वही षटतिला एकादशी का व्रत 1 फरवरी को सुबह 7.14 बजे से 9.22 बजे तक खोला जा सकता है। इस तय मुहूर्त में सुबह उठकर स्नान के बाद भोजन बनाएं, भगवान विष्णु को भोग लगाए, और ब्राह्मणों को दान दें और उसके बाद अपना व्रत खोलें।

ALSO READ  श्री महाकाल धाम में महाशिवरात्रि के दुर्लभ महायोग में होगा महारुद्राभिषेक

षटतिला एकादशी व्रत की पूजा विधि
-षटतिला एकादशी पर सबसे पहले सुबह नहा-धोकर भगवान विष्णु की पूजा और ध्यान करें।
-अगले दिन द्वादशी पर सुबह सवेरे नहा धोकर भगवान विष्णु को भोग लगाएं, ब्राह्मणों को भोजन कराएं और उसके बाद ही खुद भोजन ग्रहण करें।

षटतिला एकादशी पर तिल का महत्व
षटतिला एकादशी के नाम से ही जानकारी मिलती है कि इस एकादशी पर तिलों का खास महत्व है। इस दिन तिलों को अपनी दिनचर्या में शामिल करें। इस दिन तिल के जल से नहाएं, पिसे हुए तिल का उबटन लगाएं और तिल का दान दें।

षटतिला एकादशी व्रत कथा
भगवान विष्णु ने एक दिन नारद मुनि को षटतिला एकादशी व्रत की कथा सुनाई थी जिसके मुताबिक प्राचीन काल में धरती पर एक विधवा ब्राह्मणी रहती थी। जो मेरी बड़ी भक्त थी और पूरी श्रद्धा से मेरी पूजा करती थी। एक बार उस ब्राह्मणी ने एक महीने तक व्रत रखा और मेरी उपासना की। व्रत के प्रभाव से उसका शरीर तो शुद्ध हो गया लेकिन वो ब्राह्नणी कभी अन्न दान नहीं करती थी एक दिन भगवान विष्णु खुद उस ब्राह्मणी के पास भिक्षा मांगने पहुंचे। जब विष्णु देव ने भिक्षा मांगी तो उसने एक मिट्टी का पिण्ड उठाकर देे दिया। तब भगवना विष्णु ने बताया कि जब ब्राह्मणी देह त्याग कर मेरे लोक में आई तो उसे यहां एक खाली कुटिया और आम का पेड़ मिला। खाली कुटिया को देखकर ब्राह्मणी ने पूछा कि मैं तो धर्मपरायण हूं फिर मुझे खाली कुटिया क्यों मिली? तब मैंने बताया कि यह अन्नदान नहीं करने तथा मुझे मिट्टी का पिण्ड देने के कारण हआ है। तब भगवान विष्णु ने बताया कि जब देव कन्याएं आपसे मिलने आएं तब आप अपना द्वार तभी खोलना जब वो आपको षटतिला एकादशी के व्रत का विधान बताएं। तब ब्राह्मणी ने षटतिला एकादशी का व्रत किया और उससे उसकी कुटिया धन धान्य से भर गई।

ALSO READ  रक्षा बंधन 8 अगस्त को क्या माने या 9 अगस्त 2025 को ?