व्रत एवं त्योहार

Som Pradosh Vrat 2020: सही मुहूर्त में करें भगवान भोलेनाथ की आराधना, होंगी सभी मनोकामना की पूर्ति

233views

Vaishakh Som Pradosh Vrat 2020: आज वैशाख मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि और सोमवार दिन है। ऐसे में सोमवार के दिन पड़ने वाली त्रयोदशी तिथि को सोम प्रदोष व्रत होता है। आज सोम प्रदोष व्रत के दिन भगवान शिव की विधिपूर्वक पूजा अर्चना की जाती है। आज के दिन भगवान शिव को प्रसन्न करने से व्यक्ति को निरोगी काया और आरोग्य का आशीर्वाद प्राप्त होता है। इसके साथ ही देवों के देव महादेव अपने भक्त की मनोकामनाओं को पूरा करते हैं।

जन्मकुंडली के योगों और दशाओं का फलादेश से कैसे जाना जाए कि अमुक व्यक्ति सफल होगा या असफल…….

वैशाख सोम प्रदोष मुहूर्त

वैशाख मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि का प्रारंभ आज रात 12 बजकर 42 मिनट से हो चुका है। त्रयोदशी तिथि का समापन 21 अप्रैल 2020 दिन मंगलवार को ब्रह्म मुहूर्त में 03 बजकर 11 मिनट पर होगा। ऐसे में आज आप को कुल 2 घंटे 12 मिनट का समय भगवान शिव की आराधना के लिए मिलेगा। आज सोम प्रदोष व्रत की पूजा का मुहूर्त शाम को 06 बजकर 50 मिनट से रात 09 बजकर 02 मिनट तक है।

ALSO READ  11 जुलाई को सावन शुरू ,पड़ेंगे 4 सोमवार

प्रदोष व्रत में भगवान शिव की आराधना प्रदोष काल में ही करने का विधान है। प्रदोष काल सूर्योस्त के बाद और रात्रि से पूर्व का समय माना जाता है। आपकी जानकारी के लिए हिन्दू कैलेंडर के अनुसार, प्रत्येक मास की त्रयोदशी तिथि को प्रदोष व्रत होता है। एक मास में दो बार त्रयोदशी तिथि पड़ती है, इसलिए एक मास में दो बार प्रदोष व्रत होता है।

13 अप्रैल सूर्य का मेष राशि में गोचर, सकारात्मक ऊर्जा का होगा संचार,गर्मी के मौसम में बढ़ोतरी होगी,कोरोना का धीरे धीरे प्रभाव कम होगा

सोम प्रदोष व्रत एवं पूजा विधि

ALSO READ  रक्षा बंधन 8 अगस्त को क्या माने या 9 अगस्त 2025 को ?

आज सुबह स्नान आदि से निवृत्त होकर साफ वस्त्र पहन लें। फिर हाथ में जल और पुष्प लेकर सोम प्रदोष व्रत और पूजा का संकल्प लें। इसके पश्चात दैनिक पूजा करें और भगवान शिव की आराधना करें। फिर दिनभर फलाहार आदि करें और भगवान शिव की आराधना, वंदना करें। शाम के समय प्रदोष पूजा के मुहूर्त में स्नान आदि कर लें। फिर शुभ मुहूर्त में पूजा स्थल पर भगवान शिव की मूर्ति या तस्वीर को स्थापित करें।

इसके पश्चात भगवान शिव शंकर का गंगा जल से अभिषेक करें। फिर उनको अक्षत्, पुष्प, धतूरा, धूप, फल, चंदन, गाय का दूध, भांग आदि अर्पित करें। मौसमी फल, मिठाई आदि का भोग लगाएं। भगवान शिव को रेवड़ी, चिरौंजी और मिश्री का भोग लगा सकते हैं। इस दौरान ओम नम: शिवाय: मंत्र का जाप करें। शिव चालीसा का पाठ करने के बाद भगवान शिव की आरती करें।

ALSO READ  श्री महाकाल धाम में महाशिवरात्रि के दुर्लभ महायोग में होगा महारुद्राभिषेक

अब प्रसाद परिजनों में बांट दें। थोड़ा प्रसाद और कुछ दान दक्षिणा ब्राह्मण के लिए निकाल दें। रात्रि जागरण करें। फिर चतुर्दशी के दिन सुबह स्नान आदि के बाद भगवान शिव की पूजा करें। फिर पारण कर व्रत को पूरा करें।