दान की महिमा
सामान्यतः लोगों की धारणा यह है कि दूसरों को दुःखी देखकर दुःखी होना और लोगों के सामने दुःख प्रकट करना अच्छा समझा जाता है, लेकिन सन्तों का कहना है कि ज्ञानी वह है जिसके मन में दूसरों के लिए करूणा तो हो, साथ ही वह उनकी तन, मन, धन या ज्ञान से सेवा करें और स्वयं दुखी न रहे। इसे लोक कल्याण समझकर सदैव करता रहे। यही प्रभु इच्छा है कि न किसी को दुःख दो और न किसी से दुःख लो, लेकिन अगर आपके मन में किसी को दुःख देने का विचार भी आए तो उस दिन को अच्छा दिन नहीं समझना चाहिए। क्योकि यह विचार अज्ञानी मनुष्य के होते है, ज्ञानी स्वयं प्रसन्न रहते है।
अज्ञानी सदैव कल्पना में कार्य करते है और ज्ञानी मनुष्यों में देवत्व आ जाता है। ज्ञानी लोगो से अज्ञानी मिलते ही सुख का अनुभव करने लगते है, क्योकि शरण मे आते ही ज्ञानी के ज्ञानरूपी तार अज्ञानी से जुडने लगते है और उसकी अज्ञानता समाप्त होने लगती है। तब दुःख दूर भागता है और उसकी अज्ञानता समाप्त होने लगती है। तब दुःख दूर भागता है और व्यक्ति सुख का अनुभव करने लगता है। कहा गया है कि अपने समान दूसरों के सुख-दुःख का समझना आत्मीयता और भाईचारे में वृद्धि करता है। यही वसुधैव कुटुम्बकम् का आधार है। सुख-दुःख तो आते जाते रहते हैं, किन्तु हमें भाईचारे को विस्तार और स्थायित्व देना है। यही सुखमय जीवन का आधार है। यह दान और परोपकार की भावना से सम्भव है।
कबीर ने कहा है कि अर्थ की शुद्धि के लिए दान आवश्यक है। जिस प्रकार बहता हुआ पानी शुद्ध रहता है उसी प्रकार धन भी गतिशील रहने से शुद्ध होता है।धन कमाना और उसे शुभ कार्यो में लगा देना अर्थ शुद्धि के लिए आवश्यक है।अगर धन का केवल संग्रह होता रहे तो सम्भव है एक दिन वह उसी नाव की तरह मनुष्य को डुबो देगा, जिसमें पानी भर जाता है।
पानी की टंकी से जब तक पानी निकलता रहता है तभी तक टंकी में ताजा जल आने की सम्भावना रहती है । धन के संग्रह से अनेक बुराइयाॅ भी उत्पन्न हो जाती है जिससे बोझिल होकर मनुष्य कल्याण पथ से भटक जाता है, जीवन के सच्चेमार्ग से विरत हो जाता है। इसीलिए कमाने के साथ-साथ धन को दान के माध्यम से परमार्थ में लगाना चाहिए ताकि दुनिया का भला हो सके।
कभी अमेरिका के उद्योगपति एंडयू कारनेगी ने कहा था कि इस दुनिया से कूच करने से पहले ही सब कुछ लुटा दो। स्काॅटलैंड की धनवान शख्सियत सर टाॅम हन्टर ने कारनेगी की इस उक्ति को सच करके भी दिखा दिया । उन्होने अपने अर्जित धन का नब्बे प्रतिशत भाग अस्सी अरब रूप्य निर्धनों में बाॅटने की घोषणा कर दी है। इन रूप्यों से अ फ्रीकी देशो मे गरीबी और भुखमरी में जी रही जनता के लिए कार्यक्रम चलाए जाएॅगे।टाॅम ने गरीबी देखी है, वे फुटपाथ पर कपडे बेचते हुए शिखर तक पहुचे है इसलिए इस दान के पीछे वही दर्द का रिश्ता है जिसे वे आज भी अनुभव कर रहे होंगे।